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Tag: Ranjrajan Samiti

कृपया अपने अमूल्य विचार व्यक्त करें :क्या कांग्रेस की छवि को हो चुके डेमेज को इसके धुरंधर कंट्रोल कर पायेंगे

१/=५/=और १२ /= में भरपेट भोजन की दलील देने वाले नेताओं से कांग्रेस द्वारा किनारा किये जाने के पश्चात अब कांग्रेस के विश्वस्त और अनुभवी नेताओं ने पार्टी की छवि को सुधारने के लिए यौजना आयोग के ३३ /= [शहर]और २७/=[ग्रामीण] के ऊपर के अमीरों वाले फार्मूले की ही आलोचना शुरू कर दी है।
[१] वरिष्ठ और अनुभवी कानून विद कपिल सिब्बल ने तो प्रश्न ही खड़ा कर दिया है कि इतनी कम राशि में कोई कैसे पेट भर सकता है| एक कार्यक्रम में केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने गरीबी का आकलन करने के योजना आयोग के तरीके को चुनौती दे दी उन्होंने कहा कि पांच लोगों का परिवार 5,000 रुपये मासिक की आय में गुजर नहीं कर सकता। योजना आयोग की गरीबी की परिभाषा में कुछ गलत जरुर है।


[२] पार्टी के संकट मोचक महासचिव दिग्विजय सिंहने सोशल साइटपर ट्विट करके यौजना आयोग के इस फार्मूले के आधार को अपनी समझ से परे बताया । उन्होंने सुझाव भी दिया है कि परिवार के सदस्यों में कुपोषण को मापदंड बनाया जाना चाहिए। digvijaya singh ‏@digvijaya_28[Twitter ]I have always failed to understand the Planning Commission criteria for fixing Poverty Line . It is too abstract can’t be same for all areas
[३]]योजना और संसदीय राज्य मंत्री और पूर्व पत्रकार राजीव शुक्ला ने तो गरीबी के आंकड़ों को लेकर देश में छिड़ी बहस को बेवजह कि बहस बताते हुए एक नई दलील निकाली है श्री शुक्ला के अनुसार इन आंकड़ों को न तो सरकार ने तय किया है और न उन पर कोई निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट को सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है। इस संबंध में रंगराजन समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है जो अगले वर्ष आयेगी।
गौरतलब है कि योजना आयोग ने कहा था कि पांच लोगों का परिवार अगर ग्रामीण इलाके में 4,080 रुपये मासिक और शहरी क्षेत्र में 5,000 रुपये मासिक खर्च करता है तो वह गरीबी रेखा में नहीं आएगा।यौजना आयोग के इस फार्मूले को सपोर्ट करने के लिए कांग्रेस के प्रवक्ता राज बब्बर ने ऐ आई सी सी की प्रेस वार्ता में दावा किया की मुंबई जैसे शहर में मात्र १२/= में भरपेट खाना मिलता है| इसके पश्चात सांसद रशीद मसूद ने कहा की दिल्ली की जाम मस्जिद इलाके में तो ५/=में ही भरपेट खाना मिलता है|सरकार के सहयोगी और मंत्री फारुख अब्दुल्लाह तो इस लिमिट को मात्र १/= तक ले आये| तभी से देश में बहस चल रही है | मीडिया वाले सड़को पर ५/=और १२/= लेकर खाना तलाशते दिखाए जा रहे हैं| सोशल साईट्स पर सरकारी आयोजनों में ७७२१/= की थाली का पुनः जिक्र होने लगा है| सरकार की छवि को स्वभाविक धक्का लगा है इसी डेमेज को कंट्रोल करने के लिए धुरंधरों की टीम उतरी है लेकिन यक्ष प्रश्न है कि चुनावों में महज एक साल रह गया है इतनी कम अवधि में क्या ये धुरंधर पार्टी इमेज को हो चुके डेमेज को कंट्रोल कर पायेंगे ? कृपया अपने अमूल्य विचार व्यक्त करें