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Tag: Right To Information

Modi Govt Reiterates Its Commitment To Disclose Maximum Information:RTI

[New Delhi]Centre Reiterates Its Commitment To Disclose Maximum Information Personal information under RTI Act
For This Cause,Director [RI] Gayatri Mishra Has Issued An Memo Today Itself For Public Authorities
The Department of Personnel and Training have been impressing upon the public authorities to disclose maximum information proactively, so that public at large need not file RTI applications to seek information held by the public authorities.
Some of the stakeholders have objected to disclosure of personal information as it would put the lives of the information seekers at risk.
Based on directions from High Court of Kolkata in the matter of Shri Avishek Goenka Vs UOI and in the interest of stakeholders, Govt Has Invited Comments From Stakeholders

उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप

[अलीगढ,यूं पी]उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप लगाया गया है
अलीगढ से संचालित सजग नागरिको के एक दल ने राज्य के गवर्नर श्री राम नाइक को यह शिकायत भेजी है |
ट्रैप ग्रुप ऑफ़ आर टी आई एक्टिविस्ट्स के सरंक्षक बिमल कुमार खेमानी +ई. विक्रम सिंह ,अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश के विभागों में जन सूचना अधिकारी , प्रथम अपीलीय अधिकारी इस कानून को अपने मनमाने ढंग से चला रहे है |
राज्य सूचना आयोग भी कही न कही इनके समर्थन में ही नजर आता है , वहाँ भी सुनवाई में दीवानी न्यायालय की तरह तारीख पे तारीख दी जाती है जिससे सूचना माँगने वाला परेशान होकर अपने आप घर बैठ जाता है ई
सूचना कानून में इस तरह से तारीख पे तारीख देने का कोई प्रावधान ही नहीं एवम केन्द्रीय सूचना आयोग हो अथवा अन्य राज्य के सूचना आयोग जहा एक ही सुनवाई में अपीलों का निस्तारण कर दिया जता है एवम दोषी जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध कानून सम्मत कार्यवाही /जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जाती है एवम जुर्माना होने के पश्चात भी वसूली पर आयोग का अंकुश रहता है किन्तु उत्तर प्रदेश में पहले तो जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ ही नहीं की जाती एवम अगर कही जुर्माना कर दिया जाता है उसे भी मनमाने गैर कानूनी तरीके से माफ़ कर दिया जाता है |
सन २००५ से २०१४ तक जितने भी जुर्माने किये गए है उनमे से वसूली ५ % से अधिक नहीं हुई , नतीजन सभी अधिकारी सूचना कानून से बेखौफ होते हुवे आवेदकों को सूचना प्रदान ही नहीं करते एवम किये गए भ्रष्टाचारो पर पर्दा ही डालने का काम करते है |
संस्था ने निम्न उदाहरण भी दिए हैं
१]अलीगढ की नुमाइश “राजकीय औद्योगिक एवम कृषि प्रदर्शनी” में करोडो की राज्य एवम केंदीय राजस्व की चोरी का मुद्दा
२]चारागाह की भूमि पर प्रशासनिक व्यक्तियों की छत्रछाया में चल रहे अवैध कब्जो का मुद्दा
३] राजस्व विवादों के निस्तारण में घोर लचर कार्यवाही का मुद्दा
४] प्रधान मन्त्री सड़क योजना में किसानो से मुफ्त एवम जबरन अधिगृहित की गई जमीनों का मुद्दा
५]अलीगढ विकास प्राधिकरण द्वारा नियम विरुद्ध निर्माणों पर कोई भी कार्यवाही का मुद्दा

राईट टू इम्यून के पेटेंट राइट्स अपने नाम लिखवा कर नेताओं के गले सूचना के अधिकार के फंदे से बड़े हो गए हैं


झल्ले दी झाल्लियाँ गल्लां

आम आदमी पार्टी का एकदुखी नेता

ओये झल्लेया ये क्या मजाक हो रहा है| 3 जून को सीआईसी [ CIC ] ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश जारी कर कहा था कि राजनीतिक दलों को हर प्रकार के रिकॉर्ड की मांगी गई जानकारी लोगों को देना चाहिए।अर्थार्त आर टी आई के दायरे में हैं|अब जब दलों को अपनी अन्दर बाहर की सारी आमदनी और खर्चे का हिसाब किताब रखना पड़ रहा है तो अब एक अध्यादेश के माध्यम से राजनितिक दलों के गले को आर टी आई के फंदे से बड़ा बता कर फंदे को ही गलत ठहराने की कवायद शुरू हो रही है|

झल्ला

ओ साहब जी दरअसल इन नेताओं ने राईट टू इम्यून[उन्मुक्त ] [ Right To Immune ] को ईजाद करके उसके पेटेंट राईट्स अपने नाम लिखवा रखे हैं ऐसे में इनका गला इन्फोर्मेशन [Right To Information] + रिजेक्ट[ Right To Reject ]+ रिकाल [Right To Recall]जैसे छोटे मोटे फंदों से ज्यादा बड़ा हो ही जाता है| क्यों ठीक है ना ठीक