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जीतन राम मांझी जैसे नेताओं के कारण अगड़ों पिछड़ों के कष्ट कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

जे डी [यूं] का चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये तो हसाडे दलितों दे नाल बढ़ा जुल्म हो रहा है |ओये अनुसूचित जाति के लोगों के साथ आज भी भेदभाव किया जा रहा है|ओये हसाडे सोणे बिहार के मुख्य मंत्री जीतन राम मांझी के कारन तो मधुबनी में भगवान की मूर्ति को धुलवा कर हसाडे सी एम का घोर अपमान किया गया| मांझी जी ने स्वयं भी यही दुखड़ा भोला राम पासवान शास्त्री जयंती पर रोया है |उन्होंने तो यहां तक कह दियाहै कि अनुसूचित जाति में जन्म लेने में उनका क्या कसूर है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान आप जी के यही मुख्य मंत्री दलित उत्थान के नाम पर चुनाव जीतते आ रहे हैं और कांग्रेस+आर जे डी वगैरह से होते हुए जे डी यूं तक पहुंचे हैं यहाँ भी नितीश कुमार की खडायूँ रख कर सरकार चला रहे हैं| अब लालू प्रसाद का पल्ला भारी देख कर नितीश कुमार के विकास अजेंडे को छोड़ कर लालू प्रसाद यादव के जाति वाद के अजेंडे को अपना कर चुनावी वैतरणी पार करना चाह रहे हैं |अगड़ों और पिछड़ों का रोना रोने वाले जे डी [यूं] के नेता श्री के सी त्यागी जाटों के वास्तविक दुखों का निदान करने के बजाय दिल्ली में सरकारी भवन पर स्मारक के नाम पर कब्ज़ा कराने पे तुले हुए हैं| सियासतदानों की इसी करनी के कारण ही अगड़ों पिछड़ों के दुःख दर्द बढ़ते ही जा रहे हैं