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संत रामपाल को”भिंडरवाले”जूनियर बना कर ऑपरेशन ब्लू स्टार पार्ट २ तो नहीं बनाया जा रहा?

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया हसाडे सोणे हरियाणा में इन भाजपाइयों नेकानून का कैसा मखौल बना कर रख छोड़ा है | देख तो पंजाब और हरियाणा की हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए कथित संत राम पाल को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा |बीमारी और आराजकता का बहाना बनाया जा रहा है |सोमवार को भी वांछित बाबा को कोर्ट में पेश नहीं किया गया | उलटेआरोपी बाबा को चोरी छुपे सतलोक आश्रम से बाहर भिजवा दिया अब बता भी नहीं रहे कि उन्हें कहाँ छुपा रखा है|

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी आप जी के हुड्डा सरकार के बोये ये सतलोकी बीज इस भाजपा को काटने ही पढ़ेंगे वरना आपजीकी पार्टी के नेताओं की मंशा +माननीय अदालतों की भूमिका और मनोहर लाल खट्टर की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लगने लग गए हैं |इसके अलावा भड़काऊ कवरेज और कोर्ट की टिपण्णियां से आहत सतलोक के अनुयायियों ने स्वयं को जलाने का भी निर्णय ले लिया |झल्लेविचारानुसार ये चैनल वाले ऐसी भाषा बोल रहे हैंइससे डर लगने लग गया है कि बाबा संत सतपाल को जरनैल सिंह भिंडरवाले जूनियर बना कर एपिसोड ऑपरेशन ब्लू स्टार [गोल्डन टेम्पल]पार्ट २ तो नहीं बनाया जा रहा |संकटमोचक मोदी भापा घिरे खट्टर जी की रक्षा करें

सृष्ठी के छह चक्रों को पार करने पर ही सत लोक की अनुभूति होती है

गुरु अमरदास जी फरमाते हैं –
काया अन्दर सब किछ बसे , खंड, मंडल , पाताला ।
काया अन्दर जग जीवन दाता , सबनां करे प्रतिपाला ।
काया कामण सदा सहेली , गुरुमुख नाम संभाला ।
भाव: इस शरीर की विचित्र रचना है। इस स्थूल शरीर में छह चक्र हैं – पहला गुदा चक्र है , उसका धनी गणेश है । दूसरा इंद्री चक्र है , जिसका धनी ब्रह्मा है । तीसरा नाभि चक्र है, उसका धनी विष्णु है । चौथा ह्रदय चक्र है , जिसका धनी शिव है । पांचवा कंठ चक्र है , जो दुर्गा का स्थान है , वह ब्रह्मा , विष्णु, महेश तीनों की माता है । छटा चक्र दो भ्रू – मध्य आँखों के पीछे है जिसे शिवनेत्र या तीसरी आँख भी कहते हैं \ यह शरीर में रूह की बैठक या आत्मा का ठिकाना है इन चक्रों को तय कर योगीजन अनहद शब्द को पकड़कर सहस्रार में लीन होते हैं ।
गुरु नानक साहब ने योगियों से बातचीत में इसका संकेत दिया है – इस काया अन्दर मंगन चढ़े जोगी तां नाओं पल्ले पाई । अर्थात – इन छह चक्रों से ऊपर आओ तो नाम का परिचय , अनुभव मिलेगा । जैसे पिंड के छह चक्र हैं , ब्रह्माण्ड के भी छह चक्र हैं — सहस्रार या सहस्र दल कमल , त्रिकुटी , सुन्न , महासुन्न, भंवरगुफा और सतलोक या सचखंड । इन मंडलों को गुरु की सहायता से ही तय किया जा सकता है ।
गुरु अमरदास जी,
गुरु नानक,
प्रस्तुती राकेश खुराना