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सांसदों ने संसद के भीतर मिर्ची बम से आतंक मचाया जबकि पाकिस्तान ने तो बाहर से ही हमला करवाया था

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमला भारतीय संसद के बाहर बीते सदी में हुआ था लेकिन आज विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र की संसद के भीतर उसके अपने सांसदों ने तेलंगाना के गठन को लेकर मिर्ची बम से आतंक मचा दिया | कई सांसदों को हॉस्पिटल लेजाया गया और स्पीकर को भी सदन छोड़ना पड़ा| सदन में शीशे और माइक तोड़े गए|गाली गलौच और एक दूसरे के साथ बाकायदा मार पीट भी की गई| एक दिन पूर्व ही संकेत दिया गया था की आज के दिन सदन में सांप छोड़े जा सकते हैं |चाकू लाया जा सकता है लेकिन इन संकेतों को अनदेखा किया गया और आज कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई आज सांप तो नहीं छोड़े गए मगर मिर्ची स्प्रे गन के साथ सांसदों ने सदन में प्रवेश किया और उसका इस्तेमाल करने में भी सफल रहे|
इसे संसदीय लोकतंत्र पर काला धब्बा करार दिया गया है|आंध्रा प्रदेश में अलग तेलंगाना प्रदेश के गठन के समर्थन और विरोध में रोजाना प्रदेश और केंद्र में हाय हल्ला हो रहा है|केंद्र सरकार ने तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए तेलंगाना के गठन के लिए बिल पेश कर दिया और प्रदेश विभाजन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की |
विवादास्पद तेलंगाना विधेयक पेश किये जाने के समय लोकसभा में कुछ सदस्यों द्वारा सदन में स्प्रे छिड़के जाने और माइक आदि तोड कर दूसरे सांसदों पर हमले किये जाने की अभूतपूर्व घटना घटी| कुछ सांसद घायल भी हुए उन्हें चिकित्सीय सुविधा मुहैय्या करवाई गई | यहाँ तक स्पीकर मीरा कुमार को भी शारीरिक पीड़ा हुई और उन्हें सदन छोड़ना पड़ा|मीरा कुमार ने इसे शर्मनाक बताया | संसदीय लोकतंत्र पर धब्बा करार देते हुए संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने यह आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष से कार्रवाई के लिए सिफारिश की जायेगी क्योंकि कार्रवाई करना उनका ही विशेषाधिकार है| संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि तेलंगाना मुद्दे पर जिन सांसदों ने आज लोकसभा में भारी उत्पात किया, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी क्योंकि उन्होंने स्प्रे आदि छिड़ककर सांसदों की ‘‘हत्या’’ का प्रयास किया है।
इसे पूर्व बीते दिन पांच केन्द्रीय मंत्रियों ने तेलंगाना मुद्दे पर लोकसभा में अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के अनुरोध की अवज्ञा की, जिसके बाद सिंह को कहना पडा कि सदन में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर उनका दिल दुखी है । इस गतिरोध को दूर करने के लिए डॉ मन मोहन सिंह ने भाजपा नेताओं को 12 फरवरी को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया , ताकि तेलंगाना विधेयक समेत अन्य भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों को संसद में पारित कराने के संबंध में उनसे समर्थन मांगा जा सके लेकिन आज सुबह उनके अपने ही सांसदों ने संसदीय प्रणाली की मर्यादा को तार तार कर दिया |
गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे ने कहा कि तेलंगाना बिल सदन के पटल पर रखा जा चूका है इसीलिए अब यह सरकारी प्रॉपर्टी है|सी पी आई के गुरुदास गुप्ता ने मिर्ची स्प्रे करने वाले एल राजागोपाल की गिरफ्तारी की मांग की है|

लोकसभा का दूसरा दिन भी तेलंगाना की भेंट चढ़ा

तेलंगाना मुद्दे को लेकर आज[बृहस्पति] लगातार दूसरे दिन लोकसभा भी नहीं चल पायी।
तेलंगाना के अलावा विभिन्न दलों के सदस्य अपने अपने मुद्दों को लेकर आसन के समक्ष[वेल] आकर नारेबाजी करते रहे जिसके कारण सदन में व्यवस्था नहीं बन पायी और एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही लगभग सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई|
शीतकालीन सत्र की बीते दिन से शुरू हुई विस्तारित [Extended]बैठक में आज दूसरे दिन भी हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो सका। लोक सभा तेलंगाना मुद्दे और तमिलनाडु के मछुआरों की स्थिति को लेकर लोकसभा में आज विभिन्न दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही सीमांध्र क्षेत्र के कांग्रेस,तेदेपा और जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य एकीकृत आंध्रप्रदेश की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए।उनके हाथों में तख्तियां थी जिस पर लिखा था, आंध्रप्रदेश को एकजुट रखें।
’तेलंगाना प्रोटेस्टर्स सांसदों के हंगामे के चलते सुबह ११ बजे संसद के दोनों सदनों को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया|राज्य सभा और लोक सभा को बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समस्या को सुलझाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सवयम अपरान्ह एवं संध्या में प्रयासकर सकते हैं शीत कालीन इस सत्र का पहला दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया था और आज सुबह भी शुरूआती घंटा बर्बाद हो गया | गौरतलब है कि कांग्रेस के ही मुख्य मंत्री किरण कुमार रेड्डी ने पृथक तेलंगाना के गठन के विरोध की कमान संभाल रखी हैजबकि विपक्षी दलों ने विभाजन का स्वागत किया है

तेलंगाना प्रोटेस्टर्स सांसदों के हंगामे के चलते आज सुबह ११ बजे संसद के दोनों सदन एक घंटे के लिए स्थगित

तेलंगाना प्रोटेस्टर्स सांसदों के हंगामे के चलते आज सुबह ११ बजे संसद के दोनों सदनों को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया|राज्य सभा और लोक सभा को बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समस्या को सुलझाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सवयम अपरान्ह एवं संध्या में प्रयासकर सकते हैं शीत कालीन इस सत्र का पहला दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया था और आज सुबह भी शुरूआती घंटा बर्बाद हो गया | गौरतलब है कि कांग्रेस के ही मुख्य मंत्री किरण कुमार रेड्डी ने पृथक तेलंगाना के गठन के विरोध की कमान संभाल रखी हैजबकि विपक्षी दलों ने विभाजन का स्वागत किया है

आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ लड़ाई को देश की राजधानी में ला कर तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने आज दिल्ली में अनशन स्थल बनाया

[नई दिल्ली] आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ लड़ाई को देश की राजधानी में ला कर तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने आज दिल्ली में अनशन स्थल बनाया आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ लड़ाई को देश की राजधानी में ला कर तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने आज अनिश्चिकालीन हड़ताल शुरू की और कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति करने का आरोप लगाया।तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने आज सोमवार को आंध्र प्रदेश के बंटवारे से बिगड़े हालात को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है। जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत न मिलने के कारण उन्होंने आंध्र भवन को अपना अनशन स्थल बनाया है अनशन से पहले नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आंध्र की स्थिति को न समझने के लिए ‘इटैलियन’ में बोलकर कटाक्ष भी किया। इटैलियन में उन्होंने कांग्रेस राज्य के लिए ‘इमोब्लिज़मो’ शब्द का प्रयोग किया ‘इमोब्लिज़मो’ का मतलब है कि कुछ भी बदल नहीं रहा।उन्होंने केंद्र सरकार पर आंध्र प्रदेश के बिगड़ते हालात को न समझने का आरोप लगते हुए कहा, ‘पिछले 70 दिन में कांग्रेस सरकार ने जो कुछ किया है, आंध्र प्रदेश के आम आदमी का उन पर से विश्वास उठ गया है। सरकार ही नहीं राजनीतिक दलों से भी लोगों का विश्वास उठा है। आज वहां हालात जस के तस है। सरकार में कोई विश्वास नहीं है। इटैलियन में इसे ‘इमोब्लिज़मो’ कहते है। ‘इमोब्लिज़मो’ का मतलब है कि कुछ भी बदल नहीं रहा।’
आंध प्रदेश के विभाजन के विरोध में 30 हज़ार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं, जिस वजह से हैदराबाद समेत कई इलाकों में बिजली सप्लाई ठप हो गई है।इसके अलावा कई ट्रेनों पर भी बिजली सप्लाई का असर पड़ा है। इसी वजह से चेन्नई सेंट्रल से विजयवाड़ा को जाने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया है। वहीं, चेन्नई से गुंटूर जाने वाली पेसेंजर ट्रेन और विजयवाडा से पिनाकिनी एक्सप्रेस के अलावा और भी कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया |हैदराबाद: विभाजन विरोधी आंदोलकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही हिंसा के कारण विजयनगरम शहर में कफ्र्यू लगा दिया गया है और पुलिस को लोगों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गये हैं।
इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए लोग विजयनगरं तथा अन्य स्थलों पर सड़क पर उतर आये और पुलिस के साथ उनका टकराव हुआ। भाषा के अनुसार बाहरी हिस्से कोठापेटा में पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया और पाल्लीवेधी इलाके में भीड़ पर लाठीचार्ज किया।
आंध्र प्रदेश राज्य से अलग कर तेलंगाना राज्य बनाने के केन्द्रीय कैबिनेट के निर्णय के बाद से तटीय आंध्र का शहर विजयनगरम में अशांति है।: उधर जगन मोहन रेड्डी का आन्ध्र में धरना भी जारी है |

पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है : लाल कृषण अडवाणी

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा] के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने संसद सत्र को व्यर्थ करने के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की | अडवाणी ने अपने ब्लाग में बताया है कि संसद के मानसून सत्र में तेलंगाना के गठन को लेकर सरकार की ढुल मुल नीति + सीमा पर हुए पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
इन इकतालीस वर्षों के अपने संसदीय जीवन में मैंने पहले कभी भी नहीं देखा कि किसी सरकार ने संसद सत्र को इतनी बुरी तरह से व्यर्थ कर दिया हो जैसाकि यूपीए सरकार ने संसद के वर्तमान मानसून सत्र को किया है।
तीन सप्ताह का सत्र घोषित किया गया था। पहला सप्ताह समाप्त हो गया है। एक दिन भी न तो प्रश्नकाल हो सका या न ही कोई अन्य कामकाज। समूचे सप्ताह में रोज हंगामा होता रहा। और यह हंगामा मुख्य रुप से आंध्र से जुड़े कांग्रेसजनों ने किया-जो तेलंगाना का विरोध और आंधा प्रदेश को संयुक्त रखने की मांग कर रहे थे।
पहले सप्ताह के व्यर्थ जाने में मुख्य कारण तेलंगाना के बारे में घोषणा करना रहा। भाजपा सदस्य सरकार से बार-बार अनुरोध करते रहे कि वह अपनी पार्टी के सदस्यों को संयम में रखें परन्तु इस दिशा में कोई कोशिश होती भी नहीं दिखाई दी! इससे आश्चर्य होता है कि आने वाले दो सप्ताहों के सत्र की सत्तारुढ़ दल कैसे योजना बनाएगा!
तेलंगाना आंदोलन के दशकों पुराने इतिहास में जाए बगैर मुझे स्मरण आता है कि 9 दिसम्बर, 2009 का, जब यूपीए सरकार ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्बरम ने घोषणा की कि भारत सरकार एक पृथक राज्य तेलंगाना बनाने की रुकी हुई प्रक्रिया को राज्य विधानसभा में विधेयक पारित कराकर शुरु करेगी। सभी को लगा था कि इस हेतु आवश्यक विचार-विमर्श कांग्रेस पार्टी के भीतर हो गया होगा। लेकिन इस घोषणा से आंध्र और रायलसीमा में विरोध शुरु हो गया। 23 दिसम्बर, 2009 को भारत सरकार ने दूसरी घोषणा की कि जब तक सभी दलों से एक आम सहमति नहीं बन जाती तब तक तेलंगाना पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसका अर्थ हुआ गृह मंत्रालय की घोषणा का उलट होना। अब जो हो रहा है उससे तेलंगाना के लोग महसूस कर रहे हैं कि यह घोषणा आगामी चुनावों में फायदा उठाने के उद्देश से की गई है और सत्तारुढ़ दल ने एक बार फिर से उन्हें वेबकूफ बनाया है।
मुझे याद है कि एनडीए शासन के दौरान तीन नए राज्यों-उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड-का निर्माण कितनी सहजता से हुआ। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार-इन तीन राज्यों जिनमें से उपरोक्त तीनों राज्यों का जन्म हुआ, की विधानसभाओं ने इनके पक्ष में प्रस्ताव पारित किए और संसद के दोनों सदनों में लगभग सर्वसम्मति से आवश्यक विधेयक पारित किए। यह सब इसलिए हासिल हो सका क्योंकि भाजपा इन नए राज्यों के बारे में इच्छुक थी और इस सम्बन्ध में आवश्यक आधार कार्य कर लिया गया था।
तब भी भाजपा तेलंगाना के पक्ष में थी लेकिन चूंकि उस समय हमारी सरकार को समर्थन दे रही सहयोगी पार्टी तेलुगूदेसम इसके पक्ष में नहीं थी, अत: हमारी सरकार इसके बारे में बात तक नहीं कर सकी।
तेलंगाना मुद्दे को गलत ढंग से ‘हैंडल‘ करने के चलते अब तक का संसद सत्र एकदम व्यर्थ गया है। परन्तु पिछले सप्ताह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक गंभीर त्रासदी घटी, जिसने इस सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है-विशेष रुप से रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी द्वारा त्रासदी के दिन गड़बड़ करने से।
मैं कहना चाहूंगा कि यदि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर घात लगाकर हमारे पांच जवानों को मार गिराया, तो एंटोनी के वक्तव्य से व्यथित भारतीय संसद ने रक्षा मंत्री पर हमलाकर उन्हें अपने पहले दिन के अस्पष्ट वक्तव्य को वापस लेने पर बाध्य किया और उसके स्थान पर दूसरा वक्तव्य आया जो पाकिस्तान के विरुध्द राष्ट्रीय आक्रोश को पूरी तरह से प्रकट करता है।
संसद में रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में चौंका देने वाली यह बात कि उन्होंने इस घटना के बारे में सेना द्वारा जारी किए अधिकारिक बयान में जानबूझर बदलाव किए-बदलाव पाक सरकार और पाक सेना को इस हमले जिम्मेदारी से बचाने के लिए किए गए।
सेना के बयान में बदले गए अंश का उदाहरण:
पीआईबी (रक्षा विभाग) का प्रेस वक्तव्य कहता है: ”हमला पाक सेना के जवानों के साथ लगभग 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा किया गया।” रक्षा मंत्री एंटोनी ने कहा: ”हमला 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहले लोगों से साथ मिलकर किया।”
संसद का वर्तमान सत्र शुरु होने से पूर्व ही प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया में प्रकाशित हुआ था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ वार्ता करने वाले हैं और वह भी 26/11 के मुंबई के आतंकवादी हमलों के अपराधियों को भारत को सौंप जाने की शर्त को भुलाकर। इसलिए संसद को एंटोनी के 8 अगस्त के संशोधित वक्तव्य में यह देखकर प्रसन्नता हुई कि ”पाकिस्तान की आतंकवादियों के नेटवर्क संगठन और ढांचे को नेस्तानबूद करने में निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और नवम्बर, 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने में संतोषजनक कदम उठाने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय हो सके।
घटनास्थल पर सेनाध्यक्ष के दौरे और रक्षा मंत्री को पूरे तथ्यों की जानकारी देने के बाद संसद में मंत्री के संशोधित संस्करण में पाकिस्तान को निम्न शब्दों में चेतावनी दी गई:
”निश्चित तौर पर इस घटना का पाकिस्तान के साथ हमारे सम्बन्धों और नियंत्रण रेखा पर हमारे व्यवहार पर असर पड़ेगा। हमारे संयम को कमजोरी नहीं समझना चाहिए और हमारी सशस्त्र सेना की क्षमता को तथा हमारे इस दृढ़ निश्चय को कि हम नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे, कम करके नहीं आंका जाना चाहिए था।”

चौधरी अजित सिंह ने पृथक तेलंगाना की मांग का समर्थन करके आन्ध्र प्रदेश में भी सियासी मित्र अर्जित किये

उत्तर प्रदेश में राजनीती के चतुर खिलाड़ी चौधरी अजित सिंह ने पृथक तेलंगाना की मांग का दिल्ली में समर्थन करके आन्ध्र प्रदेश में भी सियासी मित्र अर्जित कर लिए हैं|
आन्ध्र प्रदेश के सांसदों एवं राज्य सरकार के मंत्रियों तथा विधायकों ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष व केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री चौ. अजित सिंह से मुलाकात की। मुलाकात करने वालों में सांसद श्री वी हनुमंतराव + श्री पूनम प्रभाकर +राज्य सरकार के मंत्री श्री जैना रेड्डी+ श्रीमती गीता रेड्डी+श्रीमती डीके अरुणा+ श्रीमती सुनीता लक्ष्मी रेड्डी और अन्य विधायकगण शामिल थे। इन्होंने चौ. अजित सिंह को तेलंगाना के लिए किए गए अथक प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया है। चौ. अजित सिंह ने इन सभी नेताओं को तेलंगाना को अलग राज्य बनाने में पूर्ण सहयोग करने का विश्वास दिलाया।
राष्ट्रीय लोकदल लम्बे समय से तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत है। रालोद बेहतर प्रशासन एवं विकास के लिए छोटे राज्यों के पक्ष में है। चौ. अजित सिंह ने कहा है कि तेलंगाना के लोग काफी लम्बे समय से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाए।

यूं पी ऐ और सी डबलू सी ने प्रथक तेलंगाना राज्य को हरी झंडी दी: देश में मिली जुली प्रतिक्रिया

अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना को लेकर आज अनेकों बैठकें हुई जिनमे यूं पी ऐ समन्वय समिति + कांग्रेस कार्य समिति ने अलग तेलंगाना राज्य को हरी झंडी दे दी.| बैठक के पश्चात दिग्विजय सिंह और अजय माकन ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि अगले 10 वर्ष के लिए हैदराबाद , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की, संयुक्त राजधानी रहेगी|।आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 117 विधानसभा सीट तेलंगाना में हैं, तथा तेलंगाना क्षेत्र से लोकसभा में 17 सांसद हैं।इस फैसले की मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं| [१] तेलंगाना में तो स्वाभाविक ख़ुशी का माहौल छा गया. आन्दोलनों और 56 वर्ष के इंतज़ार के बाद आज सरकार ने अलग तेलंगाना राज्य को मजूरी दे दी|
[२]एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग कर रहे लोगो ने भी गैर तेलंगाना प्रान्तों में आन्दोलन तेज़ कर दिया है. + धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए गए हैं+. सुरक्षा के लिए १००० अतिरिक्त सैनिक भेजे जा चुके हैं|इनमे . सी आर पी ऍफ़ +आर ऐ ऍफ़ की ३० कम्पनियाँ भी शामिल हैं|
[३]. प्रथक गोरखालैंड की मांग करने वाले आंदोलनकारियो ने 3 दिन के बंद का ऐलान किया है.
[४] उत्तर प्रदेश में चौ.अजीत सिंह ने प्रथक हरित प्रदेश की मांग की.है
[५] महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग करने की मांग भी उठने लग गयी है.
[६]जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि आंदोलन के आधार पर नए राज्य के गठन से ‘खतरनाक परिपाटी’ बनेगी। अब्दुल्ला ने कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों में उपद्रवों को प्रोत्साहन मिलेगा।
[७]आप पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है|
यूं पी ऐ के इस निर्णय से तेलुगूभाषी लोगों के लिए दो राज्य बन जाएंगे।
आंध्र स्टेट और तेलंगाना (तब का हैदराबाद स्टेट) को मिलाकर एक नवंबर 1956 को गठित किए गए राज्य आंध्र प्रदेश के गठन के बाद से ही चले आ रहे इस मुद्दे का संप्रग के इस निर्णय के साथ ही पटाक्षेप हो गया।
आंध्र प्रदेश के ही कुछ कांग्रेस सांसद भी पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध कर रहे हैं, और इस संबंध में पिछले सप्ताह उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की थी और राज्य को विभाजित न करने की मांग की थी।थक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, किन्तु अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। वाम दलों ने सावधानी बरतते हुए कहा है कि तेलंगाना के बाद पथक राज्य के निर्माण की ऐसी और मांगें जोर पकड़ेंगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है तो जब हमने तीन नए राज्य बनाए थे तब तेलंगाना राज्य इसलिए नहीं बन पाया था क्योंकि हमने हमारे गठबंधन के एक सहयोगी का सम्मान किया था। अन्यथा हम तब ही पथक राज्य बना चुके होते।
शिवसेना ने फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा हमें आंध्रप्रदेश के विभाजन के फैसले पर अफसोस है। हम एकीकत महाराष्ट्र के पक्ष में हैं और किसी अन्य फैसले का सवाल ही नहीं उठता। राउत का इशारा पृथक विदर्भ राज्य की मांग की ओर था। शिवसेना हालांकि भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक सहयोगी है लेकिन तेलंगाना और विदर्भ पर दोनों की राय अलग अलग है। भाजपा जहां तेलंगाना और विदर्भ दोनों की पक्षधर है वहीं शिवसेना इनके विरोध में है।
विपक्ष इसे लोक सभा के होने वाले चुनावों में राजनितिक लाभ प्राप्त करने के लिए उठाया गया कदम बता रहा है जबकि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने इससे इंकार किया है|कुछ भी हो हरियाणा और पंजाब के विभाजन के समय चंडीगढ़ को दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया था जिसका फैसला अभी तक नही हो पाया है तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबादको बना कर पुरानी गलती की पुनरावर्ती की गई है | कहा जा रहा है के तेलंगाना की स्थापना की मांग को लेकर अपनी पार्टी को दो फाड़ होने से बचाने और टी आर एस को कांग्रेस में शामिल करने के लिए कांग्रेस द्वारा प्रदेश का विभाजन किया जा रहा है यह कहाँ तक कांग्रेस को चुनावी लाभ दे पायेगा इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो चुनावों में ही मिल पायेगा|
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh at the UPA Coordination Committee Meeting, in New Delhi on July 30, 2013.

भारतीय संसद की सोमवार की कार्यवाही भी कोयला घोटाले की कालिख से बाहर नही निकल पाई :संसद की कार्यवाही ठप्प

भारतीय संसद के दोनों सदन सोमवार को भी हंगामे की भेंट चड गए|यानि आज भी लोक तंत्र को १.९७ करोड़ का चूना लगा ही दिया गया| प्रतिदिन की कार्यवाही पर १.९७ करोड़ का खर्च आता है| उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पहली और वर्तमान संसद की कार्यवाही लगभग १/३ रह गई है|यह अपने आप में चौंकाने वाला तथ्य है|संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ ने विपक्ष से संवाद स्थापित करते हुए मंगलवार को संसद के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद व्यक्त की है लेकिन आज की कार्यवाही या तेवर देख कर कहा जा सकता है कि प्रमुख विपक्षी भाजपा इस विषय में कोई रियायत देती नज़र नही आ रही|
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने वेल को कब्जा कर कोयला घोटाले और उसमे सी बी आई की कार्यप्रणाली में दखल को लेकर में प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह के इस्तीफे की मांग जारी रखी| लोक सभा की स्पीकर मीरा कुमार और राज्य सभा में हामिद अंसारी सोमवार को भी हंगामे के सामने असहाय नज़र आये |इसीलिए पहले १२ बजे + २ बजे और फिर मंगल वार तक के लिए सदस स्थगित किये गए|लोक सभा में भाजपा का सोमवार का नारा रहा कोयला की दलाली है पूरी कांग्रेस ही काली है|
लेकिन समाजवादी पार्टी ने हमेशा की तरह केंद्र सरकार की ढाल बनते हुए चीन द्वारा १९ किलोमीटर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया| सपा सुप्रीमो और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार की कार्यवाही को डरपोक +अक्षम बताया | उन्होंने कहा कि भारतीय फौज चीन को जवाब देने में सक्षम है लेकिन सरकार का कायरता पूर्ण व्यवहार रुकावट पैदा कर रहा है| सपा सांसदों ने भी वेल में आकर चीन की घुसपैंठ की तरफ ध्यान खीचने का प्रयास किया|
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने तो विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के आगामी माह में चीन दौरे पर ही सवाल उठा दिए.उन्होंने चीन को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि हम कब से चेतावनी दे रहे हैं कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा करना शुरू कर दिया है. लेकिन सरकार है कि सुनने को तैयार नहीं है|
पूर्व रक्षा मंत्री ने दावा किया कि चीन भारत के एक लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर चुका है और भारत सरकार कुछ नहीं कर रही है.|
कोयला घोटाले जैसे मुद्दे पर सरकार की प्रतिष्ठा दावं पर हो सकती है इसीलिए इस विषय पर बहस को टाला जाना समझ में आता है लेकिन चीन जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे पर भी बहस से बचा जा रहा है इस गंभीर राष्ट्रवादी मुद्दे को मात्र अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाना अपने आप में चिंताजनक है|

लोक सभा में चीन की घुसपैंठ +बंगाल के लिए विशेष पॅकेज और कोयला घोटाला की गूँज में कोई बिजनेस नहीं हुआ

लोक सभा में चीन की घुसपैंठ +बंगाल के लिए विशेष पॅकेज और कोयला घोटाला के अलावा प्रथक तेलंगाना की गूँज के बावजूद भी कोई बिजनेस नहीं हुआ |अब गुरूवार को अगली बैठक होगी|
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया गया जिसके फलस्वरूप मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।बुधवार को महावीर जयंती का अवकाश है|
[१] सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के खिलाफ विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के नजदीक [वेल]पहुंच गए, जिसके कारण कार्यवाही बाधित हुई थी।
गौरतलब है कि लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सीमा के तकरीबन 10 किलोमीटर अंदर लगभग 15-20 चीनी सैनिक 15 अप्रैल से ही एक शिविर बनाकर रह रहे हैं। भारतीय फौज भी उनके सामने डटी हुई है|यह शुरू से ही विवादित छेत्र होने के कारण चीन ने इस बात से इंकार किया है कि उसके सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है। दोनों पक्षों के सैन्य कमांडर बीते सप्ताह ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत के लिए मिले थे, लेकिन वे गतिरोध दूर करने में नाकाम रहे।
[२]तृणमूल कांग्रेस [टी एम् सी]के सांसद भी पश्चिम बंगाल के लिए विशेष पैकेज की मांग उठाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के आसन [वेल]के नजदीक पहुंच गए। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो
[३] भाजपा सदस्यों ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर स्थायी समिति की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। इसके बाद पीठासीन अधिकारी, आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के एम. थम्बीदुरई सदन की कार्यवाही नही चला पाए सो उन्होंने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

बलात्कार पीडिता बच्ची की आहों ने लोक सभा की पहले दिन की कार्यवाही को ठप्प कराया

संसद के बजट के दूसरे सत्र के पहले दिन ही विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने दिल्ली में कानून व्यवस्था के झंडे के साथ लोक सभा के वेल पर कब्जा कर बिजनेस ठप्प कर दिया जिसके फलस्वरूप संसद की कार्यवाही को पहले बारह बजे फिर दो बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया|
मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के साथ टी एम् सी और लेफ्टिस्ट के अलावा तेलंगाना समर्थक भी एक जुट दिखाई दिए|भाजपा ने , दिल्ली में गुडिया के साथ हुए जघन्य +घिनौना+विभत्स बलात्कार पर आपत्तिजनक बयान दिए जाने को लेकर , गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस्तीफे की मांग की |तेलंगाना के समर्थक भी प्ले कार्ड्स लिए हुए नारे लगा रहे थे|टी एम् सी के सांसद पिछले दिनों मुख्य मंत्री ममता बेनर्जी के साथ एस ऍफ़ आई के कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए दुर्व्यवहार को लेकर नाराजगी जाहिर की| भाजपा पहले ही प्रश्न काल को स्थगित किये जाने की मांग दर्ज़ करवा चुकी थी |इस सब हंगामे के चलते बिजनेस ठप्प होता देख कर स्पीकर मीरा कुमार ने हाउस की कार्यवाही को सोमवार के लिए स्थगित कर दिया|