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जस्टिस काटजू के खूबसूरत खण्डरों के मोहपाश में फंस कर कांग्रेस ने इन्हें प्रेस कौंसिल का अध्यक्ष बनाया होगा

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये जस्टिस काटजू को तो देखो बौखलाहट में कैसे कैसे फड़फड़ाते हुए बयान देने लग गए हैं|ओये हसाड़ी सरकार ने इन्हें कहीं एडजस्ट नहीं किया तो अब दिल्ली के चुनावों में भड़ास निकाल रहे हैं |कहे जा रहे हैं कि क्रोशिया की तरह भारत में भी खूबसूरती को ही देख कर वोट डाला जाता है और तो और वोह खुद भी ऐसा ही करते हैं |तौबा तौबा !कह रहे हैं कि
हसाड़ी डॉ किरण बेदी से ज्यादा खूबसूरत शाजिया इल्मी हैं | जस्टिस काटजू रिटायर होने के बावजूद बिना मांगे सलाह उछाल रहे हैं कि शाजिया को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था|

झल्ला

ओ मेरे भोले सेठ जी दरअसल ये जस्टिस मार्कण्डेय काटजू साहब कश्मीर की खूबसूरती के कायल हैं |इसीलिए राजनीती में भी खूबसूरती को ही ढूंढते रहते हैं| राम राम करते करते इनके खुद के खंडहर भी इनकी जवानी की खूबसूरती का बखान कर रहे हैं शायद इसीलिए झल्लेविचारानुसार इनकी खूबसूरती के खंडहरों के मोहपाश में फंस कर कांग्रेस ने इन्हें प्रेस कौंसिल का अध्यक्ष बनाया होगा

व्यंग्यपूर्ण तरीके से कम्युनल/ सेक्युलर शब्दों का केवल प्रयोग किया :शाजिया इल्मी का स्पष्टीकरण

शाजिया इल्मी ने मुस्लिमो को कम्युनल होने से सम्बंधित स्पीच पर अपन स्पष्टीकरण देते हुए स्वयं को सेक्युलर होने का दावा किया |
आम अस्मि पार्टी के कोर ग्रुप की नेत्री और गाजियाबाद से प्रत्याशी शाजिया इल्मी ने आज ब्यान जारी करके कहा है कि उन्होंने मुस्लिमों से नॉन मुस्लिम नेता को वोट देने की अपील की थी इसमें कम्युनल बात कहाँ से आ गई | पूरी अपील को सुन कर और देख कर स्वयं यह क्लीयर हो जाता है कि पूरी स्पीच में केवल व्यंग्यपूर्ण तरीके से कम्युनल/ सेक्युलर शब्दों का प्रयोग किया गया था | शाजिया के अनुसार उनका भाव केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल होरहे मुस्लिम कम्युनिटी को जागरूक करना है ताकि सेकुलरिज्म के नाम पर इस्तेमाल होते रहने के बजाये मुस्लिमो को अपने एजुकेशन+एम्प्लॉयमेंट+ के लिए वोट देने चाहिए|गौरतलब है कि बीते दिन यूं ट्यूब पर अपलोड किया गया एक वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है इस वीडियो में शाजिया इल्मी को मुस्लिमो की एक मजलिस में लोगों को सेक्युलर बने रहने के बजाय कम्युनल बनने की सलाह दी है|

आम आदमी पार्टी को “खासुल्ल्खास” बनाने के लिए “इल्मी” को भी साम्प्रदायिक बनना “लाजमी” है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

चिंतित कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये आम आदमी पार्टी वाले क्या बचकाना भाषण देने लग गए हैं| देख तो इनकी गाजियाबाद से चुनाव लड़ रही शाजिया इल्मी मुस्लिमों की मजलिस में फ़रमा रही हैं कि मुसलमानों को सेक्युलर होने के बजाय साम्प्रदायिक [ Communal ]होने की जरुरत है|इससे शाजिया चुनाव जीते या नहीं जीते मगर बनारस में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण जरूर हो जाएगा केजरीवाल को मुस्लिम वोटें मिल जाएंगी और हसाडे भरी भरकम कैंडिडेट अजय राज की ऎसी की तैसी हो जाएगी |भाजपा के नरेंद्र मोदी आसानी से जीत जायेंगे| ओये इनकी पोल खुल ही गई |हसाडे रणदीप सुरजेवाला ने भी फिर से कह दिया है कि “आप” पार्टी तो अराजक लोगों का ही समूह है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी !शाजिया बी कोई अनपढ़ नही हैं और इनके तो नाम में भी इल्मी लगा हुआ हैजाहिर है केजरीवाल के नामांकन भरने से इन पहले ऐसा वातावरण तैयार करना कोई बचकाना प्रयास नहीं हो सकता| नरेंद्र मोदी को साम्प्रादायिक बताने में जुटे हुए और ज़रा जरा सी बात पर अपने कैंडिडेट्स को बदलने वाले और दिल्ली में चुनाव में साम्प्रदायिक सौहार्द की दुहाई देने वाले आम आदमी पार्टी ने अपने ही कैंडिडेट के इस साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाले प्रयास में कोई सुधारात्मक एक्शन नहीं लिया | इससे तो जनाब लगता है अब मुद्दे बदल गए हैं आम आदमी पार्टी को किसी भी सूरत में किसी भी कीमत पर खास पार्टी बनाना ही है और इसके लिए ख़ास लोगों के पैंतरे इस्तेमाल करना इल्मी के लिए भी लाजमी हो गया है|