Ad

Tag: Shri K.C. Venugopal

ऍफ़ ऐ ऐ द्वारा, भारतीय नागर विमानन छेत्र को डाउन ग्रेड किये जाने से स्टार अलायन्स पर प्रभाव नहीं

भारतीय नागर विमानन छेत्र को फेडरल एविएशन एडमिनिस्‍ट्रेशन[FAA] द्वारा, सुरक्षा को लेकर, डाउन ग्रेड किये जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगायह दावा नागर विमानन राज्‍य मंत्री श्री के. सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में किया |
नागर विमानन राज्‍य मंत्री श्री के. सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में जानकारी दी कि एयर इंडिया के स्‍टार एलायंस में जुड़ने से फेडरल एविएशन एडमिनिस्‍ट्रेशन (एफएए) द्वारा भारतीय विमानन क्षेत्र की डाउन ग्रेडिंग से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
स्‍टार एलायंस ने इसकी पुष्टि भी की है कि एफएए सुरक्षा आकलन, संबंधित सरकारों तथा विमानन प्राधिकरण से संबंध रखता है तथा इसका स्‍टार एलायंस में एयर इंडिया के जुड़ने से प्रत्‍यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पिछले वर्ष दिसंबर, 2013 में स्‍टार एलायंस द्वारा की गई घोषणा के बाद इसके मुख्‍य कार्यकारी बोर्ड (सीईबी) ने सर्वसम्मति से पुन: एकीकरण को स्‍वीकार किया है। एकीकरण के तहत स्‍टार एलायंस की विभिन्‍न अपेक्षाओं+ प्रक्रियाओं + मानकों को अपनाना पड़ता है।
एयर मंत्री ने बताया कि करगिल के लिए अभी तक नियमित उड़ान शुरू नहीं हुई है ,जम्मू-कश्मीर में करगिल को हवाई सेवा से जोड़ने की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है। हालांकि यह हवाई सेवा प्रदाता एयरलाइनों पर निर्भर करता है कि वे विशेष स्थानों पर सेवा उपलब्ध कराते हैं या नहीं। यह मार्ग पर ट्रैफिक की मांग और वाणिज्यिक तौर पर मुनाफे पर भी निर्भर करता है।
करगिल तक पहली उड़ान 7 जनवरी, 2014 को उद्घाटन के मौके परभरने वाले ,एयर मंत्री ने बताया था कि क्षेत्रीय एयरलाइन परियोजना में सुधार दोबारा मूल्यांकन किया जा रहा है। ऑपरेटर ने आंतरिक मूल्यांकन, उड़ान संबंधी नीतियां बनाने और विलय एवं अधिग्रहण जैसे काम के लिए और समय मांगा था। आज की तारीख तक करगिल से या करगिल तक कोई घरेलू उड़ान की सुविधा नहीं है।
देशभर में हवाई परिवहन सेवाओं के बेहतर नियमन के लिए सरकार ने रूट डिसपर्सल गाइडलाइन्स (आरडीजी) का प्रस्ताव रखा है। आरडीजी के अनुसार, कैटेगरी-1 (मेट्रो) मार्ग पर अधिसूचित सभी एयरलाइन्स के लिए कैटेगरी-1 और कैटेगरी-2 मार्ग पर तैनात एयरलाइंस की पूरी क्षमता का 10 फीसदी होना जरूरी है। कैटेगरी-2 के मार्ग से पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर (करगिल सहित), अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप के हवाई अड्डे जुडे हैं

नागर विमानन मंत्रियों के सम्‍मेलन में राज्यों से ऐ टी ऍफ़ पर लागू वैट में ४% कटौती करने का आग्रह किया गया

राज्‍यों के नागर विमानन मंत्रियों सम्‍मेलन में राज्यों और केंद्र में परस्‍पर लाभकारी और उपयोगी साझेदारी पर बल देते हुए राज्यों से ऐ टी ऍफ़ पर वैट में ४% कटौती करने का आग्रह किया गया| सम्‍मेलन में 8 राज्‍यों के नागर विमानन मंत्रियों सहित लगभग 50 प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया।
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री चौ. अजित सिंह ने इस सम्मलेन में कहा है कि उड्डयन क्षेत्र को और ऊचांई पर ले जाने के लिए केन्‍द्र सरकार तथा राज्‍य सरकारों की आपसी साझेदारी आवश्‍यक है। विमान सेवओं के घाटे में जाने के कारणों की चर्चा करते हुए नागर विमानन मंत्री ने कहा कि एटीएफ (विमान र्इंधन) की उच्‍च लागत विमान सेवाओं के आर्थिक नुकसान का प्रमुख कारण है। एटीएफ घरेलू विमान सेवाओं के संचालन लागत का 40 से 50 % बैठता है। पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में एटीएफ की कीमतें 50 से 60 % ज्‍यादा हैं। ऐसा मुख्‍य रूप से इसलिए है कि क्‍योंकि एटीएफ का आधार मूल्‍य अधिक है और उस पर राज्‍य सरकारें वैट लगाती हैं
श्री सिंह ने बताया कि उनके मंत्रालय ने इस मसले को पेट्रोलियम मंत्रालय तथा राज्‍य सरकारों के साथ उठाया है। कुछ राज्‍यों का जवाब सकारात्‍मक है। झारखण्‍ड ने एटीएफ पर वैट में 4 % की कमी की है, मध्‍य प्रदेश सरकार ने इंदोर तथा भोपाल हवाई अड्डों पर इसे घटाकर 23 % करने पर सहमति दी है और अन्‍य हवाई अड्डों पर 13 %करने पर सहमति व्‍यक्‍त की है।पश्चिम बंगाल ने कुछ शर्तों के साथ इसे घटाने पर सहमति दी है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एटीएफ पर वैट में कमी करने से राज्‍यों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा। ऐसा छत्तीसगढ़ में देखने को मिला है। छत्तीसगढ़ ने 2010 में एटीएफ पर लगाये जाने वाले वैट में 4 % की कमी की थी और इसका नतीजा यह हुआ कि रायपुर से एटीएफ लेने में 6 गुणा वृद्धि हुई और वहां से उड़ान भरने वाले विमानों की संख्‍या रोजाना 8 से 18 हो गई। उन्‍होंने राज्‍य सरकारों के प्रतिनिधियों से एटीएफ पर वैट में 4 % की कमी करने का अनुरोध किया।
टायर 2 और तथा टायर 3 के शहरों को विमान सेवा से जोड़ने के प्रश्‍न पर श्री अजीत सिंह ने कहा कि यह तभी संभव होगा जब विमान सेवाओं के संचालन खर्च में कमी होगी। इसमें राज्‍य सरकारें सुरक्षा लागत, बिजली तथा हवाई अड्डों के सम्‍पत्ति कर में कमी कर योगदान दे सकती हैं।
योजना आयोग ने अंतर मंत्रालय कार्यबल का गठन 12वीं योजना अवधि में वित्तीय नियोजन का खाका तैयार करने के लिए किया था। कार्यबल ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ देश के कुछ हवाई अड्डों के विकास और आधुनिकीकरण का खाका तैयार किया। कार्यबलों की सिफारिशों के अनुसार भारत सरकार ने सिद्धांत रूप में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ देश के 20 हवाई अड्डों के संचालन प्रबंधन तथा उनके विकास का फैसला किया है। ये हवाई अड्डे हैं – कोलकात्ता, चेन्‍नई, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर गुवाहाटी, भुवनेश्‍वर, कोयमबटूर, त्रिची, वाराणसी, इंदौर, अमृतसर, उदयपुर, गया, रायपुर, भोपाल, अगरतला, इंफाल, मंगलौर तथा वड़ोदरा हैं।
सम्‍मेलन को नागर विमान राज्‍य मंत्री श्री केसी वेणु गोपाल ने भी संबोधित किया।

Government has proposed construction of 17 new Air ports

Government has proposed construction of 17 new Air ports One Air port is proposed for Kushinagar in Uttar Pradesh
Minister of State for Civil Aviation, Shri K.C. Venugopal informed Rajya Sabha today that seventeen new airports have been proposed for construction during the 12th Five Year Plan. It Is to give boost to civil aviation sector and increase air connectivity to Domestic fliers The list of the new airports is as follows:
Sl.No. -Location- State
[1.]Mopa Goa[2].Gulbarga Karnataka [3].Bijapur [4].Hassan[5].Shimoga[6].Aranmula(Pathanamthitta)Kerala[7].Kannur
[8].Sindhudurg Maharashtra[9.] Navi Mumbai[10].Shirdi[11].Dabra Madhya Prades[12.]Karaikal Pudducherry[13.]Kushinagar UttarPradesh[14]Andal-Faridpur West Bengal[15].Itanagar Arunachal Pradesh[16.]Kishangarh (Ajmer)Rajasthan[17]]Deoghar Jharkhand