इंडियन प्रीमियर लीग के पाप को छोटा करके दिखाने के चक्कर में नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बड़ी लाईन खींच दी है सिद्धू ने कहा है कि जब घोटालों + विवादों+घपलों के बावजूद भारतीय संसद पवित्र है तब आई पी एल को पाप लीग कैसे कहा जा सकता है| मीडिया में पिछले तीन दिनों से आईपीएल पर घमासान जारी है और आई पी एल को पाप लीग बता कर इस पर रोक लगाए जाने की मांग उठने लगी है|ऐसे में भाजपा सासंद + क्रिकेट कमेंटेटर +पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने एक ट्वीट करके एक नया विवाद खडा कर दिया है| गौरतलब है कि नवजोत आईपीएल का प्रसारण करनेवाली टेलीवीजन कंपनी से भी जुड़े हुए हैं और आईपीएल मैचों के दौरान कमेन्ट्री भी करते हैं। ऐसे में उनके अपने निजी हित भी आईपीएल से स्वाभाविक रूप से जुड़े हैं शायद इसीलिए आईपीएल का बचाव करना उनकी मजबूरी हो सकता है लेकिन उन्होंने जिस तरह से बड़ी लाइन के रूप में संसद को भ्रष्ट बताया है यह अपने आप में इस चर्चा को ज़िंदा रखेगा | भाजपा ने यदपि स्पॉट फिंक्सिंग प्रकरण पर हैरानी और चिंता व्यक्त कि है लेकिन अपने सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के विवादास्पद बयान से अपने आप को अलग कर लिया है| पार्टी की ब्रीफिंग में प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि वह अच्छे कमेंटेटर हैं+पार्टी के सांसद +प्रमुख नेता हैं+ वह अच्छे कलाकार भी हैं। हर व्यक्ति के चार-पांच रूप होते हैं और इसे एक दूसरे में मिला कर नहीं देखा जाना चाहिए। भाजपा के सहयोगी दल जनता दल [यू] के नेताओं ने इसे दिमाग का दिवालिया पन बताया है |
दिल्ली पोलिस की मानी जाए तो श्रीशांत सहित तीनो आरोपी क्रिकेटरों ने स्पॉट फिक्सिंग के आरोप स्वीकार कर लिए हैं क्रिकेट के कर्णधार और बिग बॉस श्रीनिवासन भी इस पर चिंता व्यक्त करके जांच करवाने की बात करने लगे है ऐसे में दोषियों के देश द्रोह स्वरूपी आरोपों को हलके में मजाक में उड़ाना एक सांसद से अपेक्षित नही हो सकता| जिस गेम के माध्यम से जनता का पैसा देश द्रोहियों की तिजोरियों में गैर कानूनी तरीके से जा रहा हो उस तरीके के खुलासे के तत्काल पश्चात एक सांसद द्वारा उसे हलके तरीके से छोटा बताने का प्रयास किया जाना अपने आप में चिंता का विषय है|शायद सिद्धू एक अन्य व्यंगकार जसपाल भट्टी[ अब स्वर्गीय] की नक़ल करने की कौशिश करते दिख रहे हैं लेकिन इस कौशिश में वोह यह भूल गए कि जसपाल भट्टी किसी भी राष्ट्रीय समस्या को छोटा करके नहीं वरन गंभीरता से रोचक बना कर जनता के दिमाग तक पहुंचाते थे
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