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पंजाब में ‘मोदी लहर’ नहीं फिर भी भाजपा ने तीन में से दो सीटें कब्जाई

[चंडीगढ़,पंजाब]पंजाब में ‘मोदी लहर’ नहीं थी फिर भी भाजपा ने तीन में से दो सीटें कब्जाई |सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के हिस्से की १० सीटों में से केवल दो ही झोली में आई| २०१४ के मुकाबिले अकालियों को दो सीटों का घाटा हुआ है|
लेकिन सी एम कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने अपनी कांग्रेस को कुल 13 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत दर्ज कराई है लेकिन पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ गुरदासपुर में अपनी सीट नहीं बचा पाए |
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को पंजाब में महज तीन सीटें मिली थीं।
आम आदमी पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली है।
पंजाब से शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल,उनकी पत्नी श्रीमती हरसिमरत कौर बादल, बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी एवं परणीत कौर और रवनीत सिंह बिट्टू उन प्रमुख चेहरों में हैं जिन्हें जीत मिली है।
केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा उम्मीदवार हरदीप सिंह पुरी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और अकाली दल के उम्मीदवार प्रेम सिंह चंदूमाजरा हारने वाले प्रमुख चेहरे हैं।
भाजपा ने होशियारपुर और गुरदासपुर सीटें जीती, लेकिन एक बार फिर अमृतसर सीट नहीं जीत सकी।
पंजाब में ‘आप’ को पिछले आम चुनावों में चार सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार उसे सिर्फ एक सीट मिल सकी है। संगरूर सीट पर ‘आप’ उम्मीदवार भगवंत मान जीते हैं।

लाल कृष्ण अडवाणी ने चुनावी माहौल में कानून व्यवस्था के प्रति सरकार की उपेक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगाये

लाल कृष्ण अडवाणी ने चुनावी माहौल में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाये हैं| भाजपा के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार
अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग में देश की कानूनी अदालतों में केसों की पैंडेंसीपर चिंता व्यक्त करते हुए सनी देओल की फ़िल्म दामिनी के मशहूर डायलाग तारीख पे तारिख[ Date After Date After Date ] का भी प्रयोग किया| ब्लॉग के टेल पीस[ TAILPIECE ] में अडवाणी ने बताया है कि
[१]भारत में ३० मिलियन[ 30 million]केस पेंडिंग हैं
[२]इनमे से ८०% लोअर कोर्ट्स में लंबित हैं
[३]हाई कोर्ट्स में ४ मिलियन केस पेंडिंग हैं
[४] यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट में भी ६६ हजार केस तारीखों के इन्तेजार में हैं
ब्लॉगर ने नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम [ National Court Management System ] के हवाले से बताया है कि वर्त्तमान में १९ हजार जज हैं इनमे से १८ हजार जज ट्रायल कोर्ट्स में हैं जिनके फलस्वरूप एक सिविल केस की सुनवाई के लिए १५ साल तक का समय लग जाता हैं |उन्होंने बताया कि बीते तीस सालों में बेशक जजों की नियुक्ति में छह गुना वृद्धि हुई है लेकिन कोर्ट्स में केसों की संख्या में १२ गुना इजाफा हुआ है |वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक अडवाणी ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि आने वाले तीस सालों में भारत में १५० मिलियन केस होंगें जिनके निबटारे के लिए ७५ हजार जजों की जरुरत होगी |१५० मिलियन केसों को सोल्व करने के लिए कोई मार्ग या इच्छाशक्ति नजर नहीं आ रही|