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Tag: Supreme Grace

प्रभु राम का रूप है – परम कृपा -(Supreme Grace) किन्तु उनका आतंरिक स्वभाव सुख देने वाला मंगल कारी है

सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शांति स्वरूप ।
है ज्ञान आनंदमयी, राम – कृपा अनूप ।
भावार्थ :प्रभु राम का रूप है – परम कृपा -(Supreme Grace) किन्तु उनका स्वरूप (आतंरिक स्वभाव) है – सुख देने वाला , मंगल करनेवाला, हर्ष, हित,
अच्छाई , सौभाग्य प्रदान करने वाला । उनकी कृपा अतुल्य है , वह ज्ञान एवं आनंद का भंडार है , शक्ति-सामर्थ्य , शांति-आनंद का अक्षय स्रोत है । राम कृपा सुख देने वाली है, सब का मंगल करने वाली है , शक्ति व शांति उसके निज रूप हैं , वह आनंद और ज्ञान से परिपूर्ण है अतः अनुपम है ।
रूप-स्वरूप : आभूषण का रूप है – हार, कंगन,कुंडल आदि परन्तु उसका स्वरूप है स्वर्ण । मिश्री चपटी है , दानेदार है – यह मिश्री का दिखाई देने वाला रूप है , परन्तु मिश्री का स्वरूप है- उसकी मिठास । हर प्रकार की मिश्री मीठी होती है ।
स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश,
प्रेषक: श्री राम शरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ,
प्रस्तुति राकेश खुराना