[लुधियाना,पंजाब] पंजाब सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा कर अध्यापकों ने रैली निकाली |इंडस्ट्रियल हब लुधियाना के दाना मंडी में आज हजारों अध्यापक जुड़े हैं |एक अनुमान के अनुसार लगभग दस हजार अध्यापक जुड़ चुके हैं | प्रदेश में कांग्रेस के कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सरकार ने बात चीत से कोई रास्ता निकालने के बजाय वहां दो बसें भर कर पंजाब पुलिस को भेज दिया है |आक्रोशित अध्यापकों को लगातार धमकी दी जा रही है अगर इन्होने दाना मंडी से बआहर निकल कर रैली निकालने की कोशिश की तो सख्त कार्यवाही की जाएगी |अध्यापकों ने सरकार को बातचीत के लिए एक समय सीमा बताई हुई है जिसके पश्चात् नेशनल हाई वे को जाम करने को मार्च निकाल जाएगा |
मालूम हो के प्रदेश में हजारों अध्यापक कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत हैं ये सभी अपने नियमितीकरण के लिए लम्बे समय से संघर्ष कर रहे हैं |पिछले दिनों कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने हजारों युवाओं को नौकरी देने का दावा किया था लेकिन आज अध्यापकों के आंदोलन ने उस दावे पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है|
अध्यापकों के सरकार द्वारा तीन साल तक रु १०३०० का स्केल देने की पेशकश की हुई है जिसे धरनारत अध्यापकों ने लेने से इंकार कर दिया है
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पंजाब सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा कर अध्यापकों ने रैली निकाली
आम आदमी के कल्याण के लिए दिए जा रहे भाषणों का राशन ,लगता है, कही और ही पहुँच रहा है
आज कल आम आदमी के कल्याण के लिए तमाम बड़े बड़े वायदे और दावे किये जा रहे हैं |केंद्र में कांग्रेस से लेकर यूं पी में सपा कोई ना कोई योजना घोषित करने में कसर कोई नहीं छोड़ रही |अल्पसंख्यको के कल्याण के लिए भी नए नए वाडे किये जा रहे हैं मगर जमीन पर आम आदमी के हालात कुछ अलग ही रिजल्ट दिखा रहे हैं|आम आदमी के भले के लिए केंद्र सरकार विदेशी पूँजी को भारत में लाकर देश को चमकना छह रही है और प्रदेश में लैपटॉप की धूम है जबकि वास्तव में इन बड़ी बड़ी बातों में छोटे आदमी पिस रहे हैं| अब क्योकि बात आम आदमी की है सो में आम आदमी पर बीत रहे आज कल के हालात के कुछ उदहारण प्रस्तुत कर रहा हूँ :
कांग्रेस चूंकि सबसे बड़ी पार्टी है और इसके दावे भी आसमानी हैं सो सबसे पहले कांग्रेस की ही बात कर ली जाये|
[१] मेरठ के मोदीपुरम [अक्षरधाम] में कांग्रेस का जोन कार्यालय-१ है |यहाँ के एक चपरासी विपिन कुमार को बीते कई महीनो से वेतन नहीं दिया जा रहा दीपावली के पावन पर्व पर भी मात्र ५०००/=वेतन नहीं दिया गया। वेतन मांगने पर उसे घर से उठवाने की धमकी तक दे दी गई है ।
इस कार्यालय-का 19 जुलाई को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री ने शुभारंभ किया था।विपिन ने बताया कि उसे अभी तक वेतन नहीं मिला और वेतन की मांग करने पर घर से उठवाने की धमकी दी जा रही है। इसकी शिकायत पुलिस अफसरों से की गई है ।
[२]पश्चिमी उत्तर प्रदेश को शुगर बाउल भी कहा जता है यहाँ के किसान के लिए गन्ने की खेती प्रिय है मगर इन्हें अधिकतर शुगर मिलों के भरोसे रहना पड़ता है अक्सर यहाँ शुगर मिलों द्वारा गन्ने की पिराई में देरी +गन्ना खरीद के लिए कीमतों के निर्धारण में मन मानी + भुगतान में देरी आदि से किसानो का उत्पीड़न किया जाता है और अक्सर इन्हे अपने हक़ के लिए संघर्ष करना पड़ता है आज कल भी गन्ना भवन पर किसानों की भीड़ जमा है आये दिन इन्हे केवल आश्वासन ही दिए जा रहे हैं इससे परेशां होकर पीड़ित यशपाल नामक गन्ना किसान गन्ना भवन के एक पेड़ पर चढ़ गया और चीनी मीलों को चलने और बकाये की मांग पूरी होने तक उतरने से मना कर दिया
[३] राज्य का शिक्षक भी आम आदमी की ही श्रेणी में आता है और शिक्षकों की पेंशन ऑनलाइन करने की बात जोर शोर से कही गई है | इसके बावजूद ३० जून को रिटायर हुए एक अल्प संख्यक शिक्षक सैयद हसन रिजवी की पेंशन चालू नहीं हो पाई है |।लखनयू के शिक्षा भवन में लेखधिकारी के कक्ष में ही सैय्यद मसूद हसन ने पेंशन के लिए बुधवार को आग लगा ली |चार माह से पेंशन के लिए भटक रह है पेंशन के लिए रिटायर शिक्षक को बाबुओं ने इतना मजबूर किया कि उन्होंने खुद को आग के हवाले कर दिया।
[४]एम्बुलेंस [१०८] के लिए राज्य और केद्र में श्रेय लें एके होड़ है मगर आग से झुलसे इस शिक्षक को अस्प्ताल तक पहुँचाने के लिए राज्य की राजधानी में एम्बुलेंस नहीं आई | आग से बुरी तरह झुलसे शिक्षक को वहीं के कर्मचारियों ने बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। गौर तलब है कि कर्मचारियों ने किसी तरह आग बुझाई और मोटरसाइकिल से ही लादकर बलरामपुर अस्पताल पहुँचाया |
उपरोक्त उदहारण मात्र चार उदहारण नहीं है वरन खास समस्याएं हैं जो शिक्षक +किसान+मजदूर वर्ग भुगत रहा है कहा गया है कि वैश्विक सोच रखने के बावजूद स्थानीय स्तर पर कार्य किये जाने चाहिए लेकिन गावं नहीं शहर में पोलिस बंदोबस्त के बावजूद लोकल बसों में छतों पर सफ़र आम बात है जाहिर है इससे खतरे भी स्वाभाविक हैं| इन उदहारणों को देख कर लगता है कि राशन पर भाषण देने वाले बहुतेरे हैं मगर भाषण पर राशनकही का कहीं पहुँच रहा है
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