Tag: Time Pass Jhalli Poetry
ऐसा नहीं कि”झल्ले”ने मयखाने में मय कशी से तौबा करली,राज की बात सुनो सभी झल्लेयो,मुफतखोरों को पिलानी शुरू की है
शराब पी के कलेजा जलाता है हर कोई,मजा तो तब है दिल जलाये और कोई||
पीता था जब तलक अकेले मयखाने में,जिसे देखो दुत्कार के निकल लेता था|
आज ये आलम है मेरे दरों दीवारों का , शरीफ जादों की लाइन लगी रहती||
ऐसा भी नहीं है कि “झल्ले” ने मयखाने में बैठ कर मय कशी से तौबा करली|
ये राज की बात है सुनो सभी झल्लेयो, मुफतखोरों को पिलानी शुरू कर दी है||
कल तलक बनते थे जो खुदाई खिदमतगार, फिरते थे गिरेबान चाक करने को|,
आज वोह सभी गिरेबान फाड़ होनहार, इस “झल्ले” खादिम के मददगार बने हैं||
उनको ये शिकायत है कि हम शक करते हैं हुस्न पर शक करना तो अपनी मजबूरी है
उनको ये शिकायत है कि हम शक करते हैं
हुस्न पर शक करना तो अपनी मजबूरी है
ये कोई छुपा रहस्य नहीं, खुली हकीकत है
हुस्न को हकीकत समझाना खीर ढेड़ीहै
इश्क और शक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
इस राजे जिंदगानी का जानना भी जरूरी है
इश्क एक तोहफा है,नेमत है,करिश्मा है
इसीलिए अजीब सी दौलत का खजाना है
खजाने को पाने के बाद हिफाजत जरूरी है
हिफाजत के लिए ही शक करना भी जरूरीहै
मै कोई बीता बुरा वक्त नही,धर्म कांटें में भी तुल जाता हूँ
तनहा हूँ तन्खाईया नहीं हूँ , दीगर है किसी तराजू में नहीं हूँ
तेरी तरफ से काफिर बेरुखी , इसके हरगिज लायक नहीं हूँ
मत रौंद मेरी तन्हाइयों को , रकीब के गलबैय्याँ डाल कर
में कोई बीता बुरा वक्त नही,धर्म कांटें में भी तुल जाता हूँ
बेशक नहीं हूँ में चमकता हुआ टुकड़ाए सोना और चांदी ,
नादाँ मिटटी में हीरे की कद्र ,कर उसे गढना तो सीख ले
तरुण तेजपाल के “तहलका” में तहलका मच गया तेजपाल पर ही बलात्कार का मुकद्दमा दर्ज़ हो गया
तरुण तेजपाल के “तहलका” में तहलका मच गया
मुकद्दमा दर्ज़ हुआ तेजपाल पर ही बलात्कार का
गोआ में ऍफ़आईआर क्योंकि अपराध वहीं हुआ
दिल्ली वालों ने जब अपनी दोनों आँखे कर ली बंद
गोआ पोलिस ने गिरफ्तारी को इधर का रुख किया
तहलका वाले कहते हैं कि यह तो नशे में हो गया
वोह याद करलें के पी एस गिल ने कभी महिला
के पुट्ठे पर ऐसे ही हाथ जड़ा तो हंगामा खूब हुआ
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