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Tag: TimePassPoetry

उजालों के आते ही स्याह साये हो गए साफ़ ,रह गई W UP फिरने को यहाँ से वहां मारी मारी

आश्वासन की मृगतृष्णा में आरोपों के हैं चश्मे ,बेचारी जनता फिर रही यहाँ से वहां मारी मारी
ग़ुरबत में जो थाम ले हाथ वोही है सच्चा हमदर्द , उजालों में तो स्याह साये तक साथ छोड़ देते हैं
सियासी मुस्कराहट से किस का हुआ कब भला ,फूल सूखने पर ये भवरें कब कली पर टिकते हैं
केंद्र के एलेक्शंस हुए यूं पी में देरी है सालों की,वेस्टर्न यूं पी के भाग्य में केवल है भारी लाचारी
बिजली नही ,न्याय नहीं,नहीं है कहीं रोजगारी ,आश्वासन की मृगतृष्णा हैं आरोपों के हैं चश्मे
मीडिया के अनेकों स्तम्भों में नीवं में हैं विज्ञापन,इसीलिए “गोयनका” की कमी खलती भारी
इलेक्ट्रॉनिक्स हो या प्रिंट मीडिया या फिर हो कोई सोशल साइट सबने ढपली अलग ही बजाई
उजालों के आते ही स्याह साये भी साफ़ हो गए ,रह गई जनता फिरने को यहाँ से वहां मारी मारी

दिल और दिमाग की जंग में फंसा “झल्ला” हाय, दिल ले रहा पंगे जिस्म रहा पिटवाए

[१]दिल हे अपना बावरा हर तरफ दौड़ा जाये ,खुद तो बैठा चैन से मुझको रहा पिटवाए
[२]सर पर बाल सफा हुए चाल भी लड़खड़ाये ,खुद तो लेता मौज ये मुझको रहा पिटवाए
[३]आँखों पर चश्मा लगा, फर्क नजर नहीं आये खुद तो लेता पंगे ये मुझको दे पिटवाए
[४] दिल और दिमाग की जंग में फंसा “झल्ला” हाय खुद तो लेता पंगे मुझको दे पिटवाए

नहीं रहा वोह घर ,कान्हा,नहीं रही वोह यमुना,मुख्य मंत्री भी हर साल बधाई देकर करते इतिश्री

kali paltan mandir meerut2नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ,हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की
घुट्टी ले माखन दूध की खड़ा हिंदुस्तान ,लोग लुगाई आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
नहीं रहा घर तुम्हारा नहीं रही वोह यमुना, मुख्य मंत्री मात्र बधाई देकर करते इतिश्री
फिर भी दिल्ली से मुंबई जहाँ तक नजर गई बूढ़ा बच्चा बन गोविंदा झूमे घडी घडी
जन्म लिया कान्हा ने फिर से उम्मीद जगी मिट जाएगी देश से महंगाई+क्राइम +बदी
कंस भरे है घर घर कान्हा राह नहीं आसान ,सुदर्शन होना चाहिए ऐ के ४७ से महान तभी
हो सकता है बहें फिर मख्हन+दूध+ दही ,झल्ले की अरदास है ये सपना सच हो कभी

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+जनता सुलग रही है और सत्तारुड सपा उछल रही है

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+ईस्टर्न यूं पी चमक रही है
जनता बेचारी सिमट+सुबग+सिसक रही है और
सपा तो उछल रही है इसीलिए सभी को खटक रही है
बिजली हो+बीमारी हो+अपराध हो या भाई चारे का नाश
कांग्रेस भटक रही है+बसपा भाम्भड भूसे है
और भाजपा बिलख बिलख ओनली उछल रही है
और अभिशिप्त बेचारी वेस्टर्न यूं पी सुलग रही है

सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन

निकला हूँ घर से सामान के लिए, हाथों में थैला और फरमान लिए हुए
वाजिब पैसे हैं जेब में तरकारी के लिए,ऐ टी एम से निकाले इसी काम के लिए
सलाद के लिए टमाटर के जब पूछे भाव जेब खाली होती दिखी बिना भाव
सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन
सब्जी मंडी में है चहुँ और मारा मारी.लेना हो तो लो वरना आगे बढ़ो
बस यही कोहराम मचा हुआ है हर तरफ इस छोटी सी जान के लिए

गाज़ा पट्टी पर बड़ों ने दिखला बचपना किया राज्य सभा का बंटाधार

मुजफ्फर नगर की सांप्रदयिकता की भड़की आग
शिरडी वाले साईं बाबा से शंकराचार्य का टकराव
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी से हो रहा
सीधे सीधे हरियाणा कांग्रेस का खुल्ला टकराव
जब इनसे भी न बनी बात तो गाज़ा पट्टी पर बड़ों ने
दिखला बचपना किया राज्य सभा का बंटाधार

अबहूँ ना बरसे बदरवा ,सावन भागे जाये ,हाय रे सावन भागे जाये

अबहूँ ना बरसे बदरवा ,सावन भागे जाये ,हाय रे सावन भागे जाये
रमज़ान में रोज रोजे रखे,सच्ची इबादत में दिन दिए सब बिताये,
फिर बदरा तू क्यूँ नहीं बरसाए ,हाय रे बदरा क्यूँ ना तू बरसाए
अबहूँ ना बरसे बदरवा ,सावन भागे जाये ,हाय रे सावन भागे जाये
भोलो ने कावण है उठाई ,लम्बी रेस लगाये ,पावों में छाले पड़ गए
फिर भी पानी को तू तरसाये ,हाय क्यूँ फिर पानी को भी तरसाये
अबहूँ ना बरसे बदरवा ,सावन भागे जाये ,हाय रे सावन भागे जाये
शिर्डी वाले साईं दूध से दिए नहलाये हाँ जी दूध से दिए नहलाये
हिन्दू मुस्लिम दोनों ने अपने फर्ज निभाए फिर भी तूने सभी तरसाये
सभी ही तरसाये हाय रे सभी को ही तरसाये ,सावन भागे जाये
हाय रे सावन भागे जाये ,सभी का सावन भागे जाये

एग्जिट पोल ने “स ब का”धराशाई कर दिया नरेंद्र जी मोदी को सभी पर भारी कर दिया

एग्जिट पोल ने “स ब का”धराशाई कर दिया
नरेंद्र जी मोदी को सभी पर भारी कर दिया
जो कहते फिरते थे नहीं है कहीं मोदी लहर
उनसे जुदा उन सबका का किनारा हो गया
अभी कांग्रेस ने पोल्स से किनारा है किया
राहुल गांधी बचाने का जुगाड़ ही किया
इस हार के लिए होगी “सभी” की जिम्मेदारी
कह कर, गिरते राहुल को अभी सहारा सा दिया
इन्तेजार है तो अब १६ मई के नतीजों का
उसके बाद “कमल” कीचड़ से निकल आएगा

तेलंगाना पर हो रही खूनी सियासत को देख कर,झल्ले मुंह से निकला सबके खुदा प्लीज सबकी खैर करीं

चाहत नहीं है अब महल या फिर माढ़ियों की। बस उतना मिल जाये जितना अपना भर है॥
ये भी नहीं समाज ने कहा वो ही अपना हक़ है । सरकारी एलान पर भी नहीं है कोई शुबहों शक॥
संसद,परिषदों में हंगामे रोज देख कर “झल्ला”। अपना तो पाक साफ़ ईमान तक डोलने है लगा ॥
दशकों पुरानी बात अब नई बन कर उभर आई है। आप बीती सुनो बेशक”झल्ला”होनी जग हंसाई है॥
देश विभाजन में कुनबे दरबदर यहाँ वहाँ से हो गए । मुआवजे की आस लिए पीढ़ियां भी रुखसत हो गईं॥
हुकुमरानों ने अब आंध्रप्रदेश को तक्सीम किया है।सीमांध्र के लिए मोटे पैकेज का एलान किया है ॥
ये और बात है कि १९४७ के पीड़ितों का मुआवजा |अभी भी कागजों के कब्रिस्तानों में ही दफ़न है पड़ा है |
कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है बार बार । नई पीढ़ी की सोच कर ही रूह कांप कांप जाती है॥
तेलंगाना पर हो रही खूनी सियासत को देख कर |पंजाब और हरियाणा में फंसे चंडीगढ़ की याद आती है|
अब हैदराबाद की सोच कर बेसाख्ता मुह से यही निकलता है प्लीज सबके खुदा सबकी खैर खैर खैर करे||

हाँ दिल कभी कहते नहीं थकता था वन्स मोर वन्स मोर अब तो बर्दाश्त नहीं होता इस किस्म का कोई भी शोर

चाँद मांगे रोज मुझसे जो कभी चाँद दिखता था |
अब में कैसे उसे बताऊँ हाल अपने बूढ़े दिल का ||
हाँ था जरूर कभी अरमान चाँद को चाँद दिलाने का |
जज्बा था ,हौंसला था,हिम्मत थी जब दिल जवाँ था||
हाँ दिल कभी कहते नहीं थकता था वन्स मोर वन्स मोर|
अब तो बर्दाश्त नहीं होता इस किस्म का कोई भी शोर||
जिस आसमानी चाँद की ख्वाहिश हुई है जाती उम्र में|
अपने लिए वोह चाँद भी अब वोह वाला चाँद कहाँ रहा||