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Supreme Court,Hammering Corruption,Verdicts NO Mercy to Any Corrupt

[New Delhi] Supreme Court, Hammering Corruption,Verdicts NO Mercy to Any Corrupt This Verdict Is Given In a Case Of 1992
In Which a bus without tickets was seized . SC Of India calling corruption like cancer.said that Corrupt should not get swayed by the concept of mercy while awarding punishment
The apex court’s observation came while terminating the services of a conductor employed in Uttar Pradesh State Transport Corporation for carrying 25 passengers without ticket in 1992.
A bench of justices Dipak Misra + Prafulla C Pant said.
“The whole act is reprehensible and such a situation does not even remotely commend any lenience,”
It said that both the labour court and Allahabad High Court committed error by imposing lesser punishment and granting chance of reformation to Gopal Shukla as the only punishment should have been dismissal.
The apex court said that the high court appeared to have been swayed by concept of forgiveness and mercy while remaining oblivious to the great harm caused to transport corporation.
It said.”When such kind of indiscipline causes financial loss to the Corporation, adequate punishment has to be imposed and in our view such misconduct does not stand on a lesser footing than embezzlement or corruption and more importantly results in loss of faith and breaches the trust,”
According to the bench, a number of persons were allowed to travel in the bus without tickets and if fares were paid, these were pocketed.
“We must not forget the fundamental duty and work,” the bench said, adding that the approach of the high court and labour court showing leniency towards the conductor is not judicially maintainable.

मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी युवा अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार ने ३६५ दिन पूरे कर भी लिए

 मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी युवा अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार ने ३६५ दिन पूरे कर भी लिए

मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी युवा अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार ने ३६५ दिन पूरे कर भी लिए

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के फ़िलहाल राजनीतिक उत्तराधिकारी युवा अखिलेश यादव की सरकार ने आज ३६५ दिन पूरे भी कर लिए | सरकार दवारा मंहगे अखबारों में पहले पेज से लेकर अन्दर तक महंगे पेड और अनपेड विज्ञापन से छपवाए गए हैं |इनमे सरकार की उपलब्द्धियों के सभी ड्रम जोर से पीटे गए हैं| साईकिल रैली निकाली जा रही हैं| कन्याधन+बेरोजगारी भत्ता+वूमेन पावर लाईन+समाजवादी एम्बुलेंस सेवा+लैपटॉप वितरण यौजना के बाद अंत में अवस्थापना और ओद्यौगिक विकास को रखा गया है| वैस इस दिशा में केंद्र भी पीछे नहीं हैअमेठी में विकास के लिए ३ नए राजमार्गों का आज उदघाटन करवाया जाना है|यानि तू डाल डाल तो मे पात पात |
क्योंकि आज कल केंद्र और राज्य विकास की दौड़ में एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं सो बस इसी श्रेणी पर नज़र टिक कर रह गई|इसमें सूचना एवं प्रोद्यौगिक निति+ उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्यौग यौजना+चीनी उद्योग + सौर ऊर्जा+कुक्कुट प्रोत्साहन को रखा गया है| आश्चर्यजनक रूप से इसमें एयर पोर्ट्स के विकास की बात नहीं कही गई है| इस सरकार में कानून व्यवस्था और महंगाई की दुहाई देने का कोई फायदा नहीं है |
अब इसे तो सभी मानेंगे कि मौजूदा दौर में किसी भी उद्योग को बढावा देने के लिए यातायात की सुविधा का होना जरुरी है |ट्रेन से लोगों का मोह भंग होता जा रहा है|दशकों पहले मेरठ केतत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल ने ड्राई पोर्ट की घोषणा की थी जिसके लाभ से अभी तक लोग वंचित हैं|अब आते हैं हवाई यात्रा की सुविधा पर तो मेरा मानना है कि विकास के लिए एयर ट्रेफिक को बढावा दिया जाना जरुरी है| लेकिन दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश में नागरिक उड्डयन मंत्री की चौधराहट खत्म करने के लिए प्रदेश में इस दिशा में कोई कदम उठते नहीं दिख रहे|समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल में वर्चस्व के लिए राजनीतिक लड़ाई जारी है| जैस जैसे २०१४ के चुनावों से नजदीकी बाद रहे है वैसे ही उत्तर प्रदेश कोई सरकार और केंद्र के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बीच कागजी घोड़ों के साथ साथ जुबानी तेवर बगावती रुख अख्तियार करने लगे हैं| प्रदेश सरकार अधिग्रहण के ग्रहण से मुक्त रहने का रौना रो रही है तो केन्द्रीय मंत्रालय मुफ्त में जमीन का अधिग्रहण प्रदेश सर्कार के हाथों ही करवाने पर तुली है| बेशक मौजूदा हवाई पट्टी प्रदेश सर्कार कि मिलकियत है और उसे केंद्र सरकार को देने को राजी है लेकिन अतिरिक्त भूमि के लिए किसानो से ओउने पौने दामो पर जमीन अधिग्रहण करके केंद्र को देने में आना कानी की जा रही है|
इस टालमटोली इसमें एक पेंच बताया जा रहा है| अगर प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण करती है तो छेत्र के सर्किल रेट्स जो शायद ९०० से १५०० रुपयों तक है ही देय होगा जबकि किसान अपनी भूमि के लिए कम से कम पांच हज़ार रुपये प्रति वर्ग मीटर की उम्मीद लगाये बैठे हैं|किसानो और प्रदेश सरकार को यह ज्ञान प्राप्त हो चूका है कि केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा किसानो से कोडियों के भाव भूमि लेकर बहु राष्ट्रीय कंपनियों को सोने के भाव दी जायेंगी|अब बताईये अपने सोने को कौन कोडियों के भाव दूसरों को देगा ?
अब ज़रा चीनी उद्योग के विकास का दावा भी देख लिया जाए तो मेरठ में ही गन्ना किसानो के उत्पीडन को लेकर चल रहे धरने को आज तीसरा सप्ताह हो चला है| गन्ना किसानों की इस उपेक्षा का दोष केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को कहीं ना कहीं जोडती जरुर हैं|