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यूपी में सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करके जनोपयोगी योजनाओ मे भ्रष्टाचार :ट्रैप

[अलीगढ,यूपी ] सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करके जनोपयोगी योजनाओ मे भ्रष्टाचार :ट्रैप सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की फ़ूड सिक्योरिटी संबंधी प्रोग्राम की १६ साल बाद भी अवहेलना का आरोप लगाते हुए यूपी में नौकरशाही पर निरंकुश की मांग की गई है| आर टी आई एक्टिविस्ट्स की संस्था ट्रैप के सरंक्षक बिमल कुमार खेमानी ने रजिस्ट्रार ,सर्वोच्च न्यायालय ,नई दिल्ली को लिखे पत्र में यह आरोप लगाये हैं |जनोपयोगी योजनाओ मे जम कर धांधली तथा भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है|
श्री खेमानी ने आरोप लगाया है के सुप्रीम कोर्ट के रीट पिटीशन 196/2001 दिनांक 8 मई 2002 आदेश के परिपेक्ष्य मे हमने सूचना कानून के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के न्याय विभाग से निम्न सूचना दिनांक 30-09-2013 को मांगी
१]सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेश के परिपेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा PDS, MDM, ICDS के सामाजिक ऑडिट हेतु जारी किये गए शासनादेश एवं नियामावली की सत्यापित प्रतिलिपि प्रदान करे
२]उपरोक्त आदेश के परिपेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई compliance report की सत्यापित प्रतिलिपि प्रदान करे
३] सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अलीगढ जिले में की गई PDS, MDM, ICDS की सामाजिक आडिट रिपोर्ट सन २००३ से २०१२ की सत्यापित प्रतिलिपि प्रदान करे
श्री खेमानी ने बताया के उनके आवेदन के पश्चात काफी हिल हवाली करते हुवे , माननीय राज्य सूचना आयोग के आदेश के उपरांत सूचना उत्तर प्रदेश शासन के खाद्य एवम रसद अनुभाग -6 के पत्रांक संख्या सु अ 21/29-6-2016-31 सु अ /14(2) दिनांक 21 जनवरी 2016 के माध्यम से प्राप्त हुई
जिसके अनुसार उत्तरप्रदेश सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के क्रम मे एक प्रारूप “ उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा नियमावली 2015 “ बनाकर असाधारण सरकारी गज़ट मे प्रकाशित करवाई है
खेमानी ने आरोप लगाया के इस नियमावली को पारित करते हुवे अंतिम रूप देने की कोई भी कार्यवाही नहीं की गई
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 8 मई 2002 के अनुपालन मे नियमावली बनाने का काम 14 वर्षो तक भी पूर्ण नहीं हो पाया है , अतः PDS, MDM, ICDS के सामाजिक ऑडिट करवाने का कही प्रश्न ही पैदा नहीं होता , और आज भी प्रदेश की नौकर शाही , उनको संविधान द्वारा प्रदत्त सुरक्षा कवच का सहारा लेते हुवे, इन जनोपयोगी योजनाओ मे जम कर धांधली तथा भ्रष्टाचार करने मे लिप्त है ।
रजिस्ट्रार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए खेमानी ने कहा
हमारा संगठन TRAP विशुद्ध रूप से गैर राजनैतिक , सेवा निवृत्त जागरूक नागरिकों को गैर पंजीकृत संगठन है जो कि स्वयं के आर्थिक अंशदान से संचालित है , अतः उक्त मामले मे अवमानना कि कोई कार्यवाही करने मे असमर्थ है हम आपसे अनुरोध करते है कि हमारे इसी पत्र को आधार बनाकर उत्तरप्रदेश सरकार के विरुद्ध अपेक्षित न्यायिक प्रक्रिया करने कि कृपा करे , जिससे इस बेलगाम नौकरशाही पर कुछ तो अंकुश लग सके एवम जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियो का सही से निर्वहन कर सके ।
धन्यवाद सहित ,भवदीय ,

अलीगढ के आकाशवाणी केंद्र मे कमीशनखोरी के लिए सरकारी फंड का दुरूपयोग

[अलीगढ]एक तरफ तरफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आकाशवाणी के प्रोमोशन के लिए नित नई योजनाएं लाइ जा रही है तो दूसरी तरफ इसके केन्द्रों में भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने लगे हैं अलीगढ केंद्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है
आर टी आई एक्टिविस्ट ग्रुप ट्रैप ने सूचना एवम प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को लिखे एक पत्र में अलीगढ के आकाशवाणी केंद्र मे व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत की है|ट्रैप ग्रुप के अनुसार केवल कमीशन खोरी के लिए ही यहां सरकारी धन का दुरूपयोग किया जा रहा है| स्टाफ निरंतर काम किया जा रहा है लेकिन केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा लगातार बढ़ रहा है
ग्रुप के वरिष्ठ एक्टिविस्ट बिमल कुमार खेमानी के अनुसार अलीगढ़ मे आकाशवाणी का उच्च शक्ति ट्रांसमीटर विदेश सेवा प्रसारण के लिए स्थापित किया गया था यह अब मृत प्राय होकर अपनी क्षमता का 20 % भी काम नहीं कर रहा है |यहां काम काम और नियुक्तियां अधिक है|
नियुक्तियां अधिकृत कोटे के अनुरूप ही हैं|
श्री खेमानी ने अपने पत्र में निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही की मांग की है
इसके प्रमाण स्वरूप संबंधित कागजात भी प्रेषित किये गए हैं |,
[१]सेवा नियमावली के अनुसार केंद्रीय सरकार के कर्मचारी जिनके 2 संताने है अपनी संतानों की स्कूल की फीस / कोचिंग की फीस [CEA]की प्रतिपूर्ति क्लेम कर सकता है , किन्तु अलीगढ़ आकाशवाणी के प्रायः बहुत सारे कर्मचारियो ने अपनी तृतीय / चतुर्थ संतानों की फीस की प्रतिपूर्ति भी प्राप्त की है
गैर कानूनी तौर पर ली गई यह रकम सभी से अविलंब वसूल की जानी चाहिए ।
[२]आकाशवाणी , अलीगढ़ मे किताबों की एक लाइब्रेरी भी बनाई गई है , यहां प्रतिवर्ष लाखो रुपयो की पुस्तके मंगाई जाती है यह सिर्फ पुस्तक प्रकाशको द्वारा दी जाने वाली मोटी कमीशन प्राप्ति के लिए अधिकारियों द्वारा की जा रही है स्टाफ के आभाव के बावजूद किताबों की खरीद अपने चहेते प्रकाशकों को फायदा पहुँचाने के लिए हैं
प्राप्त सूचना के अनुसार
[अ]वर्ष 2010-11 मे रु॰ 69432 /-
[आ]वर्ष 2011-12 मे रु॰ 84855 /-
[इ ]वर्ष 2012-13 मे रु॰ 202099 /-
[ई]वर्ष 2013-14 मे रु॰ 334104 /-
इनमे कुछ पुस्तके तो 29 / 30 हजार प्रत्येक पुस्तक की कीमत है , इन पुस्तकों के लिए किसी भी अधिकारी / कर्मचारी ने अपना मांग पत्र भी प्रेषित नहीं किया , इतना ही नहीं कुछ पुस्तके तो छात्रो की पढ़ाई की कोर्स की पुस्तके भी है ,
[३]आकाशवाणी , अलीगढ़ मे रिहाइशी कालोनी मे जरूरत से ज्यादा आवस बनाए गए है जिनमे बहुत सारे आवास अभी भी रिक्त है , किन्तु व्यक्तिगत कमीशंखोरी के चक्कर मे सन 1995 मे FM स्टाफ क्वाटर की योजना बनाई गई तथा इस मद मे रु। 36,16,850/- खर्च कर कर सन 2002 मे क्वार्टर पूर्ण करवाए गए , जिसे इस पत्र के लिखे जाने तक हेंड ओवर ही नहीं हुवे
12 वर्ष बीत जाने पर बिना किसी सम्हाल के ये सब खंडहर मे परिवर्तित हो चुके है ।

BIMAL KUMAR KHEMANI,
TRAP group of RTI activists
ALIGARH (U.P.)
Mob:09359724625

उ प्र में सूचना माँगने वालों को हतोत्साहित किया जा रहा है:सूचना आयोग के विकेन्द्रीयकरण की मांग

[अलीगढ]उत्तर प्रदेश में सूचना आयोग द्वारा आवेदकों को हतोत्साहित किया जा रहा है:प्रणाली में सुधारों की मांग
मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को लिखे एक पत्र में प्रदेश के सूचना आयोग के कार्य प्रणाली में खामियों को इंगित करते हुए सुधारों की मांग की गई है |इसके लिए आर टी आई एक्टिविस्ट ग्रुप ट्रैप ने निम्न सुझाव भी भेजे हैं |
]सूचना अधिकार कानून में प्रदत्त अधिकारों के अनुसार सभी राज्य सूचना आयुक्तों का दायित्व है की वो आवेदनकर्ता को कानून की परिधि में सूचना प्रदान करवाए एवं इस हेतु उनको धारा १८(३) के अंतर्गत सिविल न्यायालयों के भी अधिकार प्रदान किये गए है जिसके तहत वो किसी भी सरकारी अधिकारी को समस्त दस्तावेजो सहित तलब कर सकता , अगर कोई हाजिर नहीं होता है तो उसपर जमानती या गैर जमानती वारंट भी जारी कर सकता है I इस कानून में स्पष्ट है कि आवेदक को ३० दिनों के अंदर सूचना प्रदान करनी चाहिए एवम धारा २०(१) में भी स्पष्ट कहा गया है कि “दो सौ पचास रुपये से लेकर पच्चीस हजार रुपये से अधिरोपित की जा सकती है संस्था के सरंक्षक बिमल कुमार खेमानी और अध्यक्ष ई.विक्रम सिंह ,ने आरोप लगाया है कि राज्य सूचना आयोग के माननीय आयुक्त जन सूचना अधिकारिओ के पक्ष में तारीख पे तारीख देते रहते है , नतीजन आवेदक को कम से कम ८ से १० बार लखनऊ आने को बाध्य होना पड़ता है , और उसपर बड़ी आर्थिक मार पड़ती है|यह हतोत्साहित करने का भी प्रयास माना जा रहा है
उत्तरप्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है एवम देश की १/६ जनसंख्या इस राज्य में ही है , अतः अपीलकर्ता एवम सरकारी खर्चो का ध्यान रखते हुवे इसकी बेंच राज्य के अलग अलग हिस्सों में बनाई जानी चाहिए एवम हमारा सुझाव एक बेंच पूर्वी क्षेत्र एवम एक बेंच पश्चिमी क्षेत्र में कम से कम होनी ही चाहिए , इससे राज्य सरकार को भी बहुत बड़ी समय और धन की बचत होगी , इस हेतु आप राज्य सरकार से वार्तालाप कर यथेष्ठ कार्यवाही कर सकते है | जब तक सरकार की तरफ से कार्यवाही हो तब तक सूचना आयुक्तों द्वारा जिलो में कैम्प लगाकर सुनवाई हो सकती है
यह भी आरोप लगाय गया है कि प्रदेश में सूचना आयोग द्वारा किये गए जुर्माने का वृहत भाग वसूल ही नहीं किया जा रहा है एवम जुर्माने को माफ़ भी किया जा रहा है

अलीगढ में विकास शुल्क वसूलने के बावजूद नागरिक सुविधाएं देने के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है

[अलीगढ] अलीगढ में विकास शुल्क वसूलने के बावजूद नागरिक सुविधाएं देने के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है
अलीगढ विकास प्राधिकरण द्वारा विकास शुल्क नियमित रूप से वसूले जाने के बावजूद भी नागरिक सुविधा देने के नाम पर पूर्णतय उदासीनता बरती जा रही है |यहाँ किसी तरह का भी नागरिक सुविधा विकास परिलक्षित नहीं है|यहाँ की आबादी बढ़ रही है सो निर्माण कार्यों में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है मगर महिला प्रसाधन जैसी नागरिक सुविधाओं एक नाम पर केवल टरकाया जा रहा है|
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार
१]सन २०११ की जन गणना में महानगर की जनसंख्या ८७२,५७५ है जिनमे पुरुष ४६३,१२३ एवम महिला ४०९,१२३ है
२]शहर के नियोजित विकास के क्रम में बहुत सारे व्यावसायिक भवन+स्कुलो के बहुमंजिला भवन की अनुमति प्रदान की गई है किन्तु इनमे कही भी पुरुष एवम महिलाओं के लिए प्रसाधन (मल-मूत्रालय) की कोई व्यवस्था और ना ही इनमे कही वाहन पार्किंग की व्यवस्था ही करवाई गई
३]शहर में नए बनने वाले बहुमंजिला आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों की अनुमति के रूप में विकास प्राधिकरण लाखो रुपयों की रकम विकास शुल्क के नाम वसूल रही है किन्तु शहर में नागरिक सुविधा में किसी तरह का भी विकास परिलक्षित नहीं है
इन समस्यायों का उल्लेख करते हुए आर टी आई एक्टिविस्ट ग्रुप ट्रैप द्वारा निम्न मांगो को उठाया है इनके लिए विकास प्राधिकरण अधिकारियों+मेयर +मुख्य मन्त्री उत्तर प्रदेश + सतीश गौतम , सांसद , अलीगढ+जिलाधिकारी , अलीगढ आदि को भी पत्र लिखे गए हैं
अ]जनसख्या के अनुपात से महानगर में कम से कम ३०० सार्वजनिक पुरुष एवम महिलाओं के लिए प्रसाधन (मल-मूत्रालय) की कोई व्यवस्था की जानी अपेक्षित है
आ]सिटी बस स्टाप के लिए भी भी कम से कम २५/३० स्टाप बनाए जाने चाहिए जिससे यात्रिओ को सुविधा के साथ साथ शहर को भी जाम से कुछ राहत प्राप्त हो सके
इ]जनसंख्या के अनुपात से शहर में कम से कम ८० फेरी क्षेत्र (वेंडिंग जोन) जरूरी हैं इससे शहर में जगह जगह बेतरतीब तरीके से लगाने वाले धकेलो पर नियंत्रण हो सकेगा और शहर को जाम से कुछ रियायत मिल सकेगी
ई] इसी प्रकार कूड़ा एकत्रीकरण स्थल का भी निर्माण किया जाना जरूरी है जिससे नागरिको को सुविधा के साथ साथ निगम को भी लाभ होगा

नागपुर सुधार प्रन्यास के अमृत महोत्सव में टैक्स पयेर्स के ३०० लाख करोड़ रुपये अनाधिकृत रूप से खर्च

[नागपुर,महाराष्ट्र] नागपुर सुधार प्रन्यास के अमृत महोत्सव में टैक्स पयेर्स के ३०० लाख करोड़ रुपये अनाधिकृत रूप से खर्च
नागपुर सुधार प्रन्यास के अमृत महोत्सव में अनाधिकृत ३०० लाख करोड़ का खर्च
नागपुर सुधार प्रन्यास ,नागपुर द्वारा दिनांक २८-१०-२०१२ से ३१-१०-२०१२ तक ४ दिन अपना ७५ वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मनाया था
जिसके लिए रु.३०० लाख खर्च करने की योजना बनाई गई|
नियमानुसार इस रकम को खर्च करनेके लिए नागपुर सुधार प्रन्यास के सभापति द्वारा शासन से आवश्यक अनुमति नही ली गई |इसीलिए यह खर्च अनाधिकृत खर्च है इस गैर कानूनी खर्च वसूली उनसे करना अपेक्षित है |
अमृत महोत्सव में नागपुर सुधार प्रन्यास ने बिना अनुबंध किये ४ फर्म्स से प्रायोजित करवाए
आर टी आई एक्टिविस्ट की संस्था ट्रैप ग्रुप के अध्यक्ष बिमल खेमानी ने अपने पत्र सन्दर्भ संख्या : ट्रैप / ५९० दिनांक ३१ जनवरी २०१५ के द्वारा सी एम देवेन्द्र फ़ड़नवीज से मामले की गहन छानबीन कर दोषी प्रन्यास अध्यक्ष एवम उनके साथियो के लिए उचित दण्ड की मांग की है और अनधिकृत खर्च की वसूली की मांग भी की गई है
,ट्रैप ग्रुप द्वारा सूचना कानून के अंतर्गत पत्रांक जा.क./पीएटी/४८/A दिनांक १२-०१-१५ के अंतर्गत सूचना प्राप्त की गई है

अलीगढ विकास प्राधिकरण,जनसुविधाएं दिए बगैर,विकास शुल्क वसूल रहा है

[अलीगढ,यूं पी ] अलीगढ विकास प्राधिकरण,जनसुविधाएं दिए बगैर,विकास शुल्क वसूल रहा है
अलीगढ विकास प्राधिकरण द्वारा विकास शुल्क वसूलने के बावजूद जनसुविधाएं नही दी जा रही हैं |
जनकपुरी+महाबीर पार्क एक्सटेंशन कालोनी में गत १० वर्षो से बहुत सारी बहुमंजिला आवासीय एवम व्यावसायिक इमारतों का निर्माण हुवा है एवम वर्तमान में भी ५/७ बहुमंजिला इमारतों का निर्माण बड़ी तेजी से चल रहा है|
अलीगढ विकास प्राधिकरण इन बहुमंजिला भवन के निर्माण हेतु विकास शुल्क वसूल रहा है , किन्तु जन सुविधा जैसे वाहन पार्किंग+सड़क+नाली +सीवर +पानी आदि के लिए कोई भी रकम खर्च नहीं की जा रही है |२५ वर्षो पूर्व की जनसंख्या घनत्व के आधार पर ही सुविधाओं का पैमाना नापा जाता है जबकि गत १० वर्षो में बहुत सारे बहुमंजिला भवनों के आने के पश्चात इलाके की जनसंख्या का घनत्व दोगुने से अधिक हो गया विकास प्राधिकरण द्वारा विकास शुल्क लिए
जाने के पश्चात भी इनके उच्चीकरण हेतु कोई भी ध्यान नहीं दिया गया
आर टी आई एक्टिविस्ट के ट्रैप ग्रुप के इंजिनियर विक्रम सिंह ने यूं पी के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव को लिखे एक पत्र में इस स्थिति से अवगत कराया है |
बिमल कुमार खेमानी और विक्रम सिंह ने बताया
“सूचना अधिकार के अंतर्गत जब हमने दोनों स्थानीय निकाय विकास प्राधिकरण एवम नगर निगम से जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि विकास प्राधिकरण मात्र मालवा चार्ज के रूप में एक बहुत ही छोटी रकम नगर निगम को देता है एवम विकास शुल्क की बहुत बड़ी रकम अपने पास ही रख लेता है
गत १० वर्षो में बढ़ी हुई जनसंख्या घनत्व के चलते इस इलाके की सभी नागरिक सुविधाए चरमरा गई है एवम इलाके के नागरिक नारकीय जिंदगी बिताने को मजबूर है
आपसे हम अनुरोध करते है कि आप कृपया विकास प्राधिकरण या नगर निगम को निर्देशित कर इस इलाके की सभी नागरिक सुविधाओं जैसे वाहन पार्किंग , सड़क, नाली , सीवर एवम पानी आदि हेतु सुद्द्रीढीकरण हेतु आवश्यकीय कदम उठाते हुवे इन्हें सुद्रीडढ करवाने की कृपा करे”

अलीगढ को देश के दक्षिण एवम पश्चिमी राज्यों से सीधे जोड़ने के लिए रेल सुविधा की मांग की गई है

[अलीगढ]अलीगढ को देश के दक्षिण एवम पश्चिमी राज्यों से सीधे जोड़ने के लिए रेल सुविधा की मांग की गई है
उच्च शिक्षा और पारम्परिक उद्योग जगत में विश्व विख्यात शहर अलीगढ पश्चिम उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला एवम मण्डल मुख्यालय भी है मार्ग से देश के दक्षिण एवम पश्चिमी राज्यों से सीधे नहीं जुड़ा हुवा है ,|
अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी [AMU]+तालो [Locks]एवम हार्डवेयर के लिए देश विदेश में विख्यात यह महत्वपूर्ण शहर भारतीय रेल के मुख्य दिल्ली कोलकाता मार्ग पर स्थित है इसके पश्चात भी रेल मार्ग से देश के दक्षिण एवम पश्चिमी राज्यों से सीधे नहीं जुड़ा हुवा है ,
बहुत वर्षो से अलीगढ के नागरिक +व्यापारी +छात्र + शिक्षाविद इसकी मांग भी करते आ रहे है
अब पुनः एनजीओ इसके लिए मांग उठा रहे हैं आर टी आई [ RTI ]के ट्रैप ग्रुप ने रैल मंत्रालय को इसके लिए निम्न सुझाव भेजे हैं
१]अलीगढ से दक्षिणी राज्यों की यातायात हेतु मध्य / सेन्ट्रल रेलवे से जोड़ने हेतु मथुरा वाया हाथरस , राया एक्सप्रेस रेल सेवा आवश्यक है
२]अलीगढ से दक्षिणी राज्यों की यातायात हेतु मध्य / सेन्ट्रल रेलवे से जोड़ने हेतु टुंडला , आगरा भी एक विकल्प है जो कुछ लम्बा पड़ सकता है
३] अलीगढ में सबसे पुराने रेल मार्ग मुरादाबाद एवम बरेली के लिए कोई भी सुलभ एक्सप्रेस सेवा नहीं जिसकी अत्यन्त आवश्यकता है
४]अलीगढ से नियमित २ ई.एम्.यु. गाडिया दिल्ली के लिए नियमित चलती है जो की दूधियो की गाडी बन कर रह गई है , जिसमे यात्रा करने की बिलकुल भी सुविधा नहीं है , अतः अलीगढ से खुर्जा / गाजियाबाद होकर दिल्ली के लिए एक इन्टरसिटी सेवा की वृहत्त आवश्यकता है
५] अलीगढ से गुजरात , मुंबई के लिए भी एक एक्सप्रेस सेवा की आवश्यकता है जिससे यह प्राचीन शहर देश की ४ राजधानियों , एवम कई धार्मिक स्थलों से सीधे सीधे जुड़ पाए
दिल्ली से अहमदाबाद चलने वाली आश्रम एक्सप्रेस को अलीगढ से एवम अहमदाबाद की जगह मुंबई तक इसका विस्तार कर इसे चलाया जा सकता है
आर टी आई एक्टिविस्ट बिमल कुमार खेमानी के अनुसार , रेलवे टिकट सेवा का कम्प्यूटरीकरण होने पर यहाँ भी इसे प्रारम्भ किया गया था उस समय यात्रिओ की सुविधा हेतु ३ टिकट काउन्टर चालु किये गए थे , इन २० वर्ष में इस केंद्र पर टिकटे बनाने का काम ५० गुना एवम राजस्व में भी इसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई , किन्तु काउन्टरो की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई , इस पर भी विचार आवश्यक है

उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप

[अलीगढ,यूं पी]उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप लगाया गया है
अलीगढ से संचालित सजग नागरिको के एक दल ने राज्य के गवर्नर श्री राम नाइक को यह शिकायत भेजी है |
ट्रैप ग्रुप ऑफ़ आर टी आई एक्टिविस्ट्स के सरंक्षक बिमल कुमार खेमानी +ई. विक्रम सिंह ,अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश के विभागों में जन सूचना अधिकारी , प्रथम अपीलीय अधिकारी इस कानून को अपने मनमाने ढंग से चला रहे है |
राज्य सूचना आयोग भी कही न कही इनके समर्थन में ही नजर आता है , वहाँ भी सुनवाई में दीवानी न्यायालय की तरह तारीख पे तारीख दी जाती है जिससे सूचना माँगने वाला परेशान होकर अपने आप घर बैठ जाता है ई
सूचना कानून में इस तरह से तारीख पे तारीख देने का कोई प्रावधान ही नहीं एवम केन्द्रीय सूचना आयोग हो अथवा अन्य राज्य के सूचना आयोग जहा एक ही सुनवाई में अपीलों का निस्तारण कर दिया जता है एवम दोषी जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध कानून सम्मत कार्यवाही /जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जाती है एवम जुर्माना होने के पश्चात भी वसूली पर आयोग का अंकुश रहता है किन्तु उत्तर प्रदेश में पहले तो जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ ही नहीं की जाती एवम अगर कही जुर्माना कर दिया जाता है उसे भी मनमाने गैर कानूनी तरीके से माफ़ कर दिया जाता है |
सन २००५ से २०१४ तक जितने भी जुर्माने किये गए है उनमे से वसूली ५ % से अधिक नहीं हुई , नतीजन सभी अधिकारी सूचना कानून से बेखौफ होते हुवे आवेदकों को सूचना प्रदान ही नहीं करते एवम किये गए भ्रष्टाचारो पर पर्दा ही डालने का काम करते है |
संस्था ने निम्न उदाहरण भी दिए हैं
१]अलीगढ की नुमाइश “राजकीय औद्योगिक एवम कृषि प्रदर्शनी” में करोडो की राज्य एवम केंदीय राजस्व की चोरी का मुद्दा
२]चारागाह की भूमि पर प्रशासनिक व्यक्तियों की छत्रछाया में चल रहे अवैध कब्जो का मुद्दा
३] राजस्व विवादों के निस्तारण में घोर लचर कार्यवाही का मुद्दा
४] प्रधान मन्त्री सड़क योजना में किसानो से मुफ्त एवम जबरन अधिगृहित की गई जमीनों का मुद्दा
५]अलीगढ विकास प्राधिकरण द्वारा नियम विरुद्ध निर्माणों पर कोई भी कार्यवाही का मुद्दा