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Tag: UNESCO

PM Of India Narendra Modi Salutes Radio World:World Radio Day

[New Delhi]PM Of India Salutes Radio World On World Radio Day
PM Modi Tweeted
“I salute the creativity & dedication of all those working with the world of the radio. Thank you for keeping us informed & entertained.”
Modi Added
On World Radio Day greetings to radio lovers. Radio is a beautiful means of communication that has touched several lives through the years
On The Proposal Of Kingdom Of Spain World Radio Day was Proclaimed on 3rd November 2011 By UNESCO
PM Modi has given new lease to Radio in India Through his Most Popular Radio Broadcast “Man Ki Baat”
Modi has Made Available all his episodes also
file photo
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Gandhian And Noted Scholar Narayan Desai Died :PM Condoles

[Ahmedabad,New Delhi]Noted Gandhian and former Chancellor of Gujarat Vidyapith, Narayan Desai, Died In Mahavir Trauma Centre Of Surat city The P M, Shri Narendra Modi has condoled the demise of Shri Narayanbhai
Narayan Desai,Was son of Mahatma Gandhi’s personal secretary and biographer Mahadev Desai
90–year-old Noted Academic is survived by daughter Sanghmitra and sons Nachiketa and Aflatoon.
PM Sh Modi Has Tweeted Condolences
“Narayanbhai Desai will be remembered as a scholarly personality who brought Gandhi ji closer to the masses. Sad to hear of his demise. RIP”
Sh Narayan joined the Akhil Bharatiya Shanti Sena Mandal (Indian Peace Brigade), founded by Vinoba and headed by veteran Revolutionary leader Jayaprakash Narayan He Narayan recruited and trained peace volunteers throughout the country who intervened during ethnic conflicts and helped establish harmony among conflicting communities.
He was elected as the chairman of the War Resisters’ International. He along with a Pakistani peace group were awarded the UNESCO prize for International Peace.
Sh Narayan was Defiant of censorship laws and played an important role in formation of Janata Party,

India Also Observing International Mother Language Day,Today,To Promote”Matribhasha”

[New Delhi]The Ministry of Human Resource Development,[HRD] Of India is celebrating 2lst February [Today]as Matribhasha Divas all over India with the objective of sensitising people on the need to impart communication skills and proficiency in mother tongue Language festivals will also be held in different places for the first time. India Possesses Rich Heritage Of about 3000 mother tongues
UNESCO has been observing February 21st every year as International Mother Language Day to promote mother tongues and increase awareness of the linguistic and cultural traditions throughout the world.
India possesses a very high linguistic diversity index.. The focus will be on India’s vast and diverse language heritage and on ways and means to preserve and support about 3000 mother tongues
All the schools, colleges, universities and Language related institutions under both Central and State Governments are celebrating the occasion by holding seminars+workshops+special lectures+various competitions for students on the importance of mother tongue.
Some of the unique features of this celebration would be GK competitions on Indian Language Heritage and exhibition on Indian mother tongues. Schools and colleges are encouraged to take up year-long activities to facilitate using one’s own mother tongue better and learning other’s mother tongue faster and also to create a congenial atmosphere for appreciating and encouraging all Indian languages.
Central Minister , Smt. Smriti Irani will release new books in Chennai

ITU To Host World Radio Day 2015 In Geneva On 13 February

[Geneva] ITU To Observe World Radio Day 2015 On 13 February
ITU To Host World Radio Day 2015 In Geneva On 13 February
World Radio Day will be marked at ITU in Geneva on 13 February. The event will be broadcast live around the world from 17:00 to 20:00 in the Popov Room in ITU’s Tower Building.
Organized by UNESCO, the European Broadcasting Union (EBU), the United Nations Office in Geneva, and ITU, World Radio Day will begin with a hackathon among young innovators and software developers and an exhibition of new devices as well as historic pieces opening at 14:00 followed by a technical session by radio communication experts at 14:30.
The main programme live broadcast will be anchored by BBC correspondent Imogen Foulkes

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र भी विश्व विरासत स्थल बना

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र भी विश्व विरासत स्थल बना |इससे पूर्व गुजरात के पाटण के रानी की वव को भी यही सम्मान प्राप्त हुआ है|
विश्व विरासत समिति ने ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र (जीएचएनपीसीए) इंडिया को यूनेस्को के दिशा-निर्देशों के निर्धारित मानदंड (x) के आधार पर विश्व विरासत सूची में दर्ज किया है। मानदंड (x) का उद्देश्य जैव-विविधता संरक्षण है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जीएचएनपी) हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में है। कुल्लू घाटी में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा काफी पुरानी है।
घाटी में कई स्थानों के नाम उन संतों के नाम पर हैं जो इस महान हिमालय क्षेत्र में साधना के लिए आए थे।
कुछ अभ्यारणयों को आज भी उपवन के रूप में संरक्षित रखा गया है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र में जीएचएनपी (754.4 वर्ग कि.मी.), सैन्ज (90 वर्ग किलोमीटर) तथा तीर्थान (61 वर्ग किलोमीटर) वन्यजीव अभ्यारण तथा 905.40 वर्ग किलोमीटर के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र में ऊपरी ग्लैशियर तथा जैवानल, सैन्ज तथा तीर्थान नदियां तथा उत्तरी-पश्चिम की ओर बहने वाली पार्वती नदी का जल उद्गम शामिल है।

यूनेस्को ने गुजरात के पाटण में स्थित ११ शताब्दी की रानी की वव[बावली] को विश्व धरोहर माना

गुजरात के टूरिज्म को यूनेस्को ने एक आज एक सौगात दी है | पाटण में स्थित ११ शताब्दी की रानी की वव को अब विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है |इससे गुजरात में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा|
दोहा, कतर में इस समय यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के चल रहे सत्र में यह मान्यता प्रदान की गई है । यूनेस्को ने इसे तकनीकी विकास का एक ऐसा उत्कृष्ट उदाहरण मानते हुए मान्यता प्रदान की है जिसमें जल-प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था और भूमिगत जल का इस्तेमाल इस खूबी के साथ किया गया है कि व्यवस्था के साथ इसमें एक सौंदर्य भी झलकता है।
रानी की वव 11वीं सदी में बनी एक ऐसी सीढ़ीदार बावली है जो काफी विकसित और विस्तृत होने के साथ-साथ प्राचीन भारतीय शिल्प के सौंदर्य का भी एक अनुपम उदाहरण है। यह भारत में बावलियों के सर्वोच्च विकास का एक सुन्दर नमूना है। यह एक काफी बड़ी और जटिल सरंचना वाली बावली है जिसमें शिल्पकला से सजीं सात मंजिला सुन्दर पट्टियां है जो मारू-गुर्जरा शैली की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करती है।
भूगर्भीय परिवर्तनों के कारण आने वाली बाढ़ और लुप्त हुई सरस्वती नदी के कारण यह बहुमूल्य धरोहर तकरीबन सात दशकों तक गाद की परतों तले दबी रही। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे बड़े ही अनूठे तरीके से संरक्षित करके रखे रखा। इस बावली से संबंधित पूरे विवरण को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, सीवाईएआरके और स्कॉटिश टेन ने आपसी सहयोग से डिजिटल रूप में संभाल कर रख लिया है।
फरवरी 2013 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसे विश्व धरोहर सूची के लिए नामांकित किया था। रानी की वव को नामांकित करने की प्रक्रिया और इस सम्पत्ति के प्रबंधन के लिए अपनाई गई रणनीति यूनेस्को के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही अपनाई गई है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और गुजरात सरकार ने मिलकर काम किया। गुजरात सरकार ने रानी की वव के आसपास के क्षेत्र को भी विकास योजना में संरक्षित बनाए रखने को समर्थन दिया है। राज्य सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के साथ मिलकर रानी की वव के आसपास और ऐतिहासिक सहस्रलिंग तालाब के आसपास के खुदाई वाले क्षेत्र और निकट के दूसरे क्षेत्र को भी विकास योजना में भविष्य के लिए संरक्षित घोषित किया है।
रानी की वव ऐसी इकलौती बावली है जो विश्व धरोहर सूची में शामिल हुई है। जो इस बात का सबूत है कि प्राचीन भारत में जल-प्रबंधन की व्यवस्था कितनी बेहतरीन थी। भारत की इस अनमोल धरोहर को विश्व धरोहर सूची में शामिल करवाने में पाटण के स्थानीय लोगों का भी महत्वपूर्ण योगदान है जिन्होंने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और राज्य सरकार को हर कदम पर अपना पूरा सहयोग दिया है।

सांस्‍कृतिक मंत्रालय ने महत्व कांक्षी परियोजना “मौसम” को अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्‍तुत किया

सांस्‍कृतिक मंत्रालय ने अपनी महत्व कांक्षी परियोजना “मौसम” को अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्‍तुत किया। इस परियोजना की मुख्‍य विशेषता पूरे हिन्‍द महासागर क्षेत्र में यूनेस्‍को की विश्‍व धरोहर सूची की अंतर्राष्‍ट्रीय संपत्ति के रूप में समुद्रतटीय सांस्‍कृतिक क्षेत्र को नामांकित करना है।
संस्‍कृति मंत्रालय के सचिव श्री रविन्‍द्र सिंह ने 20 जून 2014 विश्‍व धरोहर समिति के 38वें सत्र में कतर के दोहा में सांस्‍कृतिक मंत्रालय की परियोजना मौसम को अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्‍तुत किया।
इस मौके पर मौजूद यूनेस्‍को के महानिदेशक ने इस परियोजना में काफी रूचि दिखाई। चीन+संयुक्त अरब अमीरात+ कतर+ईरान+म्‍यामार + वियतनाम के राजदूतों ने भी बहुआयामी परियोजना के प्रति रूचि व्‍यक्‍त की।
सांस्‍कृतिक मंत्रालय के अनुसार मौसम परियोजना की विशेषताएं-मौसम : समुद्रतटीय मार्ग और सांस्‍कृतिक क्षेत्र को दो स्‍तरों पर स्‍थापित करना होगा। सामूहिक स्‍तर पर हिंद महासागर क्षेत्र के विभिन्‍न देशों के बीच फिर से संवाद और संबंधों की स्‍थापना करना जिससे इन देशों के बीच सांस्‍कृतिक मूल्‍यों और हितों को लेकर आपसी समझ विकसित हो सके। जबकि छोटे स्‍तर पर मुख्‍य ध्‍यान क्षेत्रीय समुद्र तटीय के मद्देनजर राष्‍ट्रीय संस्‍कृतियों को समझना है।
इस परियोजना से न केवल हिंद महासागर के विभिन्‍न तटवर्ती इलाके आपस में जुड़ सकेंगे बल्कि इस क्षेत्र के विभिन्‍न देशों के अंदरूनी क्षेत्रों से भी उनका संपर्क सुलभ हो सकेगा।
इस नई परियोजना पर प्रारंभिक कार्य की शुरूआत हो चुकी है इस संबंध में आईजीएनसीए+ राष्‍ट्रीय स्‍मारक प्राधिकरण (एनएमए), नई दिल्‍ली + आईआईसी के सहयोग से नई दिल्‍ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में व्‍याख्‍यानों की एक श्रृंखला शुरू की गई है। फरवरी 2015 में होने वाले पहले अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आयोजन अनुसंधान में राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय भागीदार और सहयोगियों के साथ मिलकर किया गया।
मौसम परियोजना एक ऐसी उत्‍साहवर्धक परियोजना है जिससे हिंद महासागर क्षेत्र के विभिन्‍न देशों के बीच धुंधले पड़ चुके आपसी संबंधों में एक नया उत्‍साह और नई आशा का संचार होने से आपसी सहयोग और आदान-प्रदान के एक नए युग की शुरूआत होगी।

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अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए अंतराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को[UNESCO ]में भारत का दोबारा चयन

अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए अंतराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को[UNESCO ] में भारत का दोबारा चयन किया गया | इस बार चुनाव मैदान में दस देश थे, जिसमें से भारत को मिले वोटों की संख्या सबसे ज्‍यादा दर्ज की गई है।इससे पूर्व 2006-2010 के लिए भी चयन हुआ था।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति में अगले चार वर्षों (2014-2018) के लिए भारत का चयन हुआ है।
यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस में 4 जून 2014 , को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए कन्वेंशन के सदस्य देशों की महासभा ने भारत का चयन किया। इस चुनाव में सदस्‍य राज्‍यों की तरफ से कुल 142 मत पड़े थे जिसमें से 135 मतों से भारत ने चुनाव जीता।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति के 24 सदस्‍य हैं और इन्‍हें चार वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। समिति का मुख्य कार्य अमूर्त के महत्व के प्रति स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति में भारत का दूसरी बार चयन हुआ है। इससे पहले, 2006-2010 में इसका चयन हुआ था।

ITU Awards President of Rwanda Mr Paul Kagame For Promoting ICT

World Telecommunication and Information Society Awards President of Rwanda Mr Paul Kagame
ITU Awards President of Rwanda Mr Paul Kagame,+ President of Republicof Korea Ms Park Geun-hye, + Mr Carlos Slim, World Telecommunication and Information Society Award 2014
ITU Secretary-General Hamadoun I. Touré announced the winners of the 2014 World Telecommunication and Information Society Award. [1]Mr Paul Kagame, President of the Republic of Rwanda+
[2]Ms Park Geun-hye, President of the Republic of Korea+
[3]Mr Carlos Slim, Chairman, Grupo Carso +
[4]President of the Carlos Slim Foundation have been honoured in recognition of their leadership and dedication towards promoting ICT development and broadband connectivity as a means of achieving sustainable development
President Kagame is recognized for his leadership in the advancement of education and the potential of ICT as a dynamic industry as well as an enabler for Africa’s socio-economic transformation. He currently serves as Chairman of the UN Secretary General’s Advisory Group on UN MDG Advocacy Group.
President Park is the leader of the Republic of Korea, which has consistently topped ITU’s ICT Index for Measuring the Information Society. The Government has unveiled a set of long-term plans that foster creative talent, a move that establishes a new paradigm towards building a vibrant national economy in a digital environment.
Mr Carlos Slim commands a diverse range of business portfolios within the Carso Group, with América Móvil a leading supplier of telecommunications services. He has been committed to the promotion of technologies for development and his philanthropic activities have contributed to social and cultural development ranging from the promotion of arts to support in the areas of education, health, employment generation and community development.
President Kagame and Mr Slim are co-Chairs of the ITU-UNESCO Broadband Commission for Digital Development.

टी वी और मोबाइलके क्रांतिकारी दौर में अपना महत्व बनाये रखने वाले रेडियो के कार्यक्रमो को पुरुस्कृत किया

टी वी और मोबाइलके क्रांतिकारी दौर में अपना महत्व बनाये रखने वाले रेडियो के कार्यक्रमो को पुरुस्कृत किया बेशक आज के दौर में टी वी और मोबाइल के प्रति रूचि बड़ी है लेकिन संचारऔर मनोरंजन के पुराने साधन रेडियो का महत्व अभी तक बना हुआ है|वर्त्तमान में भी रेडियो के श्रोताओं की संख्या बहुत बड़ी है शायद इसीलिए वैश्विक संस्था यूनेस्को द्वारा भी १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है|
इसीलिए रेडियो कार्यक्रमो को प्रात्साहित करने के लिए आज सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार दिए गए
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव बिमल जुल्‍का ने आज तीसरे सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार का वितरण किया। 68 सामु‍दायिक रेडियो स्‍टेशनों से प्राप्त कुल 131 आवेदनों में से पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वालों की सूची इस प्रकार है:
[अ]-सर्वाधिक सृजनात्‍मक/नवाचारी कार्यक्रम विषय वस्‍तु पुरस्‍कार
यह पुरस्‍कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को कार्यक्रमों और उनके प्रस्‍तुतिकरण में नयेपन तथा समुदाय के बीच प्रभावी रूप से पारंपरिक संवाद के माध्‍यम से विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”फसल बुआई तथा कृषि तरीकों में पर्यावरण बदलाव के अनुसार परिवर्तन” कार्यक्रम के लिए येरला प्रोजेक्‍ट सोसाइटी, सांगली, महाराष्‍ट्र द्वारा संचालित येरलावनी सामुदायिक रेडियो।
[२] ”सुन्‍नो थेके सुरू-चतुर्भुज के प्रकार” कार्यक्रम के लिए जादवपुर विश्‍वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल द्वारा संचालित जेयू सामुदायिक रेडियो।
[आ]तथ्‍यात्‍मकता पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को समुदाय के हित और आवश्‍यकता के अनुरूप कार्यक्रम बनाये जाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”पुथोली” कार्यक्रम के लिए एजुकेशनल मल्‍टीमीडिया रिसर्च सेन्‍टर, अन्‍ना विश्‍वविद्यालय, चैन्‍नई, तमिलनाडु द्वारा संचालित अन्‍ना सामुदायिक रेडियो
[२] ”बाजार लाए बोछार” कार्यक्रम के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्‍टीट्यूट, उत्‍तराखंड द्वारा संचालित कुमाऊं वाणी।
[३] ”गृहासन से सिंहासन” कार्यक्रम के लिए प्रजा पिता ब्रह्म कुमारी र्इश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय, राजस्‍थान द्वारा संचालित रेडियो मधुबन।
[इ]समुदाय भागीदारी पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को समुदाय को कार्यक्रमों की योजना, विषय वस्‍तु, प्रोडक्‍शन तथा प्रसारण में प्रभावी रूप से शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”खासो साशन” कार्यक्रम के लिए साईरे जो संगठन, गुजरात द्वारा संचालित साईरे जो रेडियो।
[२ ]”विजयपथम” कार्यक्रम के लिए श्री विष्‍णु इंजीनियरिंग कॉलेज फॉर वूमेन, आंध्र प्रदेश द्वारा संचालित रेडियो विष्‍णु।
[३] ”गांव की बात” कार्यक्रम के लिए कृषि एवं तकनीक जी. बी. पंत विश्‍वविद्यालय, उत्‍तराखंड द्वारा संचालित पंत नगर जनवाणी।
[ई]स्‍थानीय संस्‍कृति को प्रोत्‍साहित करने के लिए पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को स्‍थानीय प्रतिभा और परंपराओं को अपने कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”कंधाई कथा” कार्यक्रम के लिए शिक्षा अनुसंधान विश्‍वविद्यालय, भुवनेश्‍वर ओडिशा द्वारा सं‍चालित वॉयस ऑफ एसओए समुदाय।
[२] ”अमा, कला, अमा संस्‍कृति” कार्यक्रम के लिए एसोसिएशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवेलपमेंट, ओडिशा द्वारा संचालित रेडियो किसान।
[३] ”डुडी नालिके (कुनिथा)” कार्यक्रम के लिए सेंट एलोयसियस कॉलेज, मंगलोर, कर्नाटक द्वारा संचालित सामुदायिक रेडियो सारंग।
[उ]टिकाऊ विकास मॉडल पुरस्‍कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों को अपने लिए धन की व्‍यवस्‍था करने के लिए नये-नये तरीकों और मॉडल को विकसित करने के लिए दिया जाता है।
[१]सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कम्‍युनिकेशन, केरल द्वारा संचालित रेडियो मीडिया विलेज।
इस वर्ष के राष्‍ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार के लिए आवेदन 31 जनवरी, 2014 तक आमंत्रित थे। 68 सामु‍दायिक रेडियो स्‍टेशनों से कुल 131 आवेदन प्राप्‍त किये गये। पुरस्‍कार के लिए पात्र सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों का चयन करने के लिए स्‍वतंत्र चयन समिति का गठन किया गया।
वर्ष 2012 में सामुदायिक रेडियो स्‍टेशनों पर बेहतर कार्यक्रमों को प्रोत्‍साहित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्‍कार का आरंभ किया गया। ये पुरस्‍कार ऊपर उल्लिखित पाँच श्रेणियों में दिये जाते हैं।