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केंद्र ने सिख गुरूद्वारा संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया

[नयी दिल्ली]केंद्र ने सिख गुरूद्वारा संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेशकिया |
केंद्र सरकार ने आज सिख गुरूद्वारा संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया |इसमें गुरूद्वारा प्रबंधन बोर्ड एवं समिति के सदस्यों के निर्वाचन में सहजधारी सिखों के वोटिंग राइट्स को समाप्त करने का प्रावधान है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उच्च सदन में पेश किये गये इस विधेयक में सिखों के गुरूद्वारा के प्रबंधन के लिए बने बोर्डो एवं समिति के सदस्यों के निर्वाचन के लिए सहजधारी सिखों को मिले अधिकारों को हटाने का प्रावधान है।पांच ककार धारण किये बगैर सिख धर्म को मानने और केश कटा चुके सिखों को सहजधारी सिख कहते हैं।
विधेयक के कारणों एवं उदृदेश्यों के अनुसार केन्द्र सरकार ने पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 के तहत आठ अक्तूबर 2003 को एक अधिसूचना जारी कर सहजधारी सिखों को इन बोर्डो एवं समिति के सदस्यों के निर्वाचन के लिए मिले अधिकारों को हटा दिया था
लेकिन पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर 2011 के अपने एक आदेश में केन्द्र सरकार की इस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।
मौजूदा विधेयक के तहत सहजधारी सिखों के इस अधिकार को हटाने का प्रावधान है जो आठ अक्तूबर 2003 से प्रभावी होगा।
विधेयक पेश किए जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने मांग की कि इस विधेयक पर सदन के सिख एवं अल्पसंख्यक सदस्यों को बोलने का मौका दिया जाए। हालांकि उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि विधेयक पेश हो जाने के बाद कोई सदस्य उस पर नहीं बोल सकता है। इस विधेयक पर सदस्य अब तभी बोल सकते हैं जब इसे विचार के लिए पेश किया जाए।
कांग्रेस के एम एस गिल ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय के कारण गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटियों में पुराने कार्यकारिणी के सदस्य काबिज हैं। उन्होंने कहा कि वह कल सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और वह चाहते हैं कि अल्पसंख्यक सिख समुदाय की आवश्यकताओं को देखते हुए इस विधेयक पर सदन में कल ही चर्चा कर इसे पारित किया जाए।
शिअद के सुखदेव सिंह ढींढसा सहित कई अन्य दलों के सदस्यों ने उनकी इस मांग का समर्थन किया कि इस विधेयक को कल ही पारित किया जाना चाहिए

सिख गुरुद्वारा संस्थाओं के चुनावों में”सहजधारी”नहीं केवल “गुरसिख” को ही होगा मताधिकार

[नई दिल्ली]सिख गुरुद्वारा बोर्ड+समितियों के चुनावों में सहजधारी नहीं वरन केवल गुरसिख ही मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा |
यह फैंसला मंत्रिमंडल की बैठक में सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई जिसके अनुसार सहजधारी सिखों को सिख गुरुद्वारा समितियों में अब मताधिकार नहीं होगा| सिख गुरुद्वारा अधिनियम,में निहित सिख की परिभाषा के अंतर्गत आने वाले गुरसिख को ही सिख धर्म की संस्थाओं में वोटिंग राईट होंगें |इसे पंजाब रूलिंग शिरोमणि अकाली दल की बढ़ी जीत माना जा रहा है|
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन के बारे में गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार किया जिसमें संसद के माध्यम से अधिनियम को संशोधित करके सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के तहत गठित बोर्ड तथा समितियों के सदस्यों के चुनाव में मत डालने के लिए वर्ष 1944 में सहजधारी सिखों को दी गई छूट को समाप्त करने का आग्रह किया गया।
इसी के अनुरूप केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद के जरिये सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जो 08-10-2003 की पिछली तारीख से प्रभावी मानी जाएगी।