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Tag: World Health Organisation

देश में हो रहे असुरक्षित गर्भ पात के आंकड़ों की जानकारी केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय में नही है

देश में हो रहे असुरक्षित गर्भ पात के आंकड़ों की जानकारी केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय में नही है |भारत के केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय में भारत में असुरक्षित गर्भपात से सम्बंधित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं इसके लिए मंत्रालय आज भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स पर ही निर्भर है| केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री, गुलाम नबी आजाद ने आज संसद में इस सच्चाई को स्वीकार किया | २००८-०९ के दौरान देश में ११ लाख गर्भ पात हुए लेकिन इनमे से कितने असुरक्षित गर्भ पात थे इसकी जानकारी देने में मंत्री आज़ाद ने असमर्थता जताई|
श्री आज़ाद ने आज राज्‍य सभा में जानकारी देते हुए बताया कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के सूचना एवं केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन व्‍यवस्‍था के अंतर्गत देश में वर्ष 2008-09 के दौरान कुल 11.06 लाख गर्भपात दर्ज किये गये।
केन्द्रीय मंत्री, श्री आजाद ने कहा कि इनमें से कितने असुरक्षित गर्भपात थे, यह जानकारी उपलब्‍ध नहीं है।
उन्‍होंने कहा कि भारत के रजिस्‍ट्रार जनरल द्वारा रखे गये सैम्‍पल रजिस्‍ट्रेशन सिस्‍टम के अनुसार आठ प्रतिशत मौते असुरिक्षत गर्भपात के चलते बताई जाती हैं। लेकिन डब्‍ल्‍यू एच ओ के क्षेत्रीय अनुमानों के अनुसार 2008 में 13 प्रतिशत मातृत्‍व संबंधी मौतें दक्षिण मध्‍य एशिया क्षेत्र में असुरक्षित गर्भपात के चलते हुईं। भारत के लिए अलग से कोई आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं।

19% देशों में ही विश्व स्वास्थ्य संघटन के,स्तन पान सम्बन्धी,पूर्ण निर्देशों का पालन हो रहा है: एक अगस्त से स्तनपान सप्ताह

पांच में से केवल एक देश में ही विश्व स्वास्थ्य संघटन के ,स्तन पान सम्बन्धी , पूर्ण निर्देशों का पालन हो रहा है
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी स्तन पान के निर्देशों पर १९९ देशों में से केवल १९% [ ३७ देश ]देशों द्वारा ही पालन किया जा रहा है| यह आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किये है |संगठन द्वारा एक अगस्त से विश्व स्तन पान सप्ताह मनाया जा रहा है जिसमे १७० देश भाग ले रहे हैं| संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार स्तन पान शिशु के लिए आदर्श आहार है इसे ग्रहण करने वाले अधिकाँश बच्चे आगे चल कर मधुमेह+मोटापे या स्थूल का्य का शिकार नही होते बल्कि तीव्र बुद्धि के होते हैं| इसके बावजूद भी केवल ३८%शिशुओ को छह माह तक यह आहार मिलता है|
वी स्व.संग.के स्तन पान विशेषग्य डॉ कारमेन कासनोवास ,[ Carmen Casanovas, के अनुसार ] लगभग सभी माएं अपने शिशु को स्तन पान कराने में सक्षम होती हैं| केवल उन्हें पर्याप्त जानकारी और सपोर्ट की आवश्यकता है| दुर्भाग्य से माताओं को इसके प्रति हतोत्साहित करके बाजारी दूध खरीदने को बाध्य किया जाता है|
[१] रिपोर्ट के अनुसार १९९ में से केवल ३७ देशों में ही वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के कोड का पालन किया जा रहा है|इसका विवरण निम्न है
[अ] ६९[३५%] देशों में कृत्रिम या वैकल्पिक दूध के प्रचार पर पाबंदी है
[आ]६२ [३१%]देशों में फ्री सेम्पल्स पर पूर्णतया पाबंदी है
[इ] ६४ [३२%] देशों में हेल्थ वर्कर्स के लिए फ्री गिफ्ट्स पाबंधी है
[ई]८३ देशों (४२ %) में यह नियम लागू है कि कृत्रिम या वैकल्पिक दूश उत्पाद पर माँ के दूध को सर्वश्रेष्ठ बताने वाला विज्ञापन जरूरी है | ;
[उ] केवल ४५ (२३ %) देशों में ही मॉनिटरिंग सिस्टम लागू है|r

येलो फीवर टीके की बेहद कमी ; सरकार ने एक सप्‍ताह में यह उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया

भारत सरकार द्वारा निर्धारित येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों में येलो फीवर टीके की बेहद कमी है। सी.आर.आई. कसौली में उपकरण की खराबी और वैश्विक कमी की वजह से डब्‍ल्‍यू एच ओ के माध्‍यम से आयात के जरिए होने वाली आपूर्ति में आई रुकावट को कारण बताया जा रहा है। भारत सरकार ने एक सप्‍ताह के भीतर यह टीका उपलब्ध करने का आश्वासन दिया है|
मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई अप डेट्स इस प्रकार हैं:
[१] आपूर्ति में कमी की वजह से येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों को सूचित किया गया है कि वे येलो फीवर टीका लगवाने के इच्‍छुक सभी यात्रियों से अंतरिम उपाय के तौर पर निर्धारित येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों से येलो फीवर टीके की एक खुराक लेने (सनोफी पॉस्‍चर द्वारा निर्मित) और डब्‍ल्‍यू एच ओ येलो फीवर टीकाकरण प्रमाण-पत्र (इसके लिए कोई लागत वसूली नहीं जाएगी) प्राप्‍त करने को कहें। भारत सरकार येलो फीवर टीका 300 रुपये प्रति खुराक की दर पर मुहैया कराती है और बाजार में सनोफी पॉस्‍चर की येलो फीवर की एक खुराक की कीमत 1100 रुपये है।
[2.] ही डब्‍ल्‍यू एच ओ के पास 2.57 लाख खुराकों का ऑर्डर भी भेजा गया है (इसमें वर्ष 2012-13 और वर्ष 2013-14 की बची हुई खुराकें भी शामिल हैं।)आपूर्ति अब तक प्राप्‍त नहीं हुई है। डब्‍ल्‍यू एच ओ की आपूर्ति अगस्‍त के दूसरे सप्‍ताह में मिल सकती है।
[३]. दूसरा सी.आर.आई. कसौली से नियमित आपूर्ति में रुकावट और संकटपूर्ण स्थिति के अनुमान के मद्देनजर सनोफी पॉस्‍चर (यह अकेली कंपनी है, जिसे डी सी जी आई की स्‍वीकृति प्राप्‍त है, लेकिन सिर्फ टीके की अकेली खुराक की शीशी के लिए) से 60 हजार खुराकों (दस खुराक की शीशी) की आपूर्ति के लिए अप्रैल 2013 में संपर्क किया गया था। इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि सनोफी पॉस्‍चर के पास मल्‍टी-डोज शीशी के लिए लाइसेंस नहीं है। उसे भारत सरकार के आपूर्ति के ऑर्डर के लिए डी सी जी आई से मंजूरी लेनी होगी।
मंत्रालय ने दावा किया है कि [४]. आपूर्ति मुंबई तट पर पहुंच चुकी है और गुणवत्‍ता नियंत्रण प्रमाणन के लिए नमूने सी.आर.आई. कसौली को 18 जुलाई 2013 को भेज दिए गए थे।
[ 5.] सी.आर.आई. कसौली से रिपोर्ट मिल चुकी है और येलो फीवर टीके की आपूर्ति आज चार महानगरों के येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों को भेज दी गई।
[६]. भारत सरकार के सभी केंद्रों पर एक सप्‍ताह के भीतर यह उपलब्ध क़रा दी जायेगी|
गौरतलब है कि येलो फीवर बीमारी दुनिया के 44 देशों में होती है। इनमें से 23 देश अफ्रीकी महाद्वीप और 11 देश दक्षिण अमरीकी महाद्वीप में हैं। भारत येलो फीवर बीमारी से मुक्‍त है। इन देशों की यात्रा पर जाने वाले मुसाफिरों को येलो फीवर से बचाव के लिए टीका लगवाना पड़ता है। इस टीके की 0.5 मिली लीटर की एक खुराक इस बीमारी से आजीवन बचाव संभव कराती है और बार-बार इन देशों की यात्रा पर जाने वालों को यह टीका बार-बार नहीं लगवाना पड़ता। देश में येलो फीवर टीके की वार्षिक मांग 1.8 लाख खुराक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस खतरनाक संक्रमण को रोकने का एकमात्र उपाय लोगों को टीके लगाना है
देश में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा महानिदेशालय द्वारा निर्धारित 27 येलो फीवर टीकाकरण केंद्र हैं। इन केंद्रों में येलो फीवर टीके की सप्‍लाई सी.आर.आई., कसौली (एक तिहाई का निर्माण होता है और दो तिहाई का आयात होता है) द्वारा की जाती है। किसी भी निजी अस्‍पताल/दवाखाने/संस्‍थान को भारत सरकार ने येलो फीवर टीकाकरण उपलब्‍ध कराने तथा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन – डब्‍ल्‍यू एच ओ द्वारा स्‍वीकृत प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए प्राधिकृत नहीं किया है।