झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
झल्ली
लो जी कर लो बात| हैं जी घर से निकलते समय मैंने आपजी को याद कराया था की मुझे अपना चेहरा अच्छी तरह से देखने में दिक्कत होती है इसीलिए बाज़ार से एक अच्छा सा सुन्दर सा शीशा [आईना] लेते आना |मैंने उसके लिए पैसे भी दिए थे और अप हो के खाली हाथ ही आ गए |क्या सोच के आये हो की मै बहुत खुश हो जाउंगी शाबाशी दूंगी क्यूं?
झल्ला
ओये भलीलोके तेरे शीशे के चक्कर में तो मैंने मेरठ के सदर बाज़ार से लेकर घंटाघर तक की खाक छान डाली मगर तेरी सौं जितने शीशे भी देखे उन सब में तेरे बजाये मुझे अपना ही चेहरा दिखाई दिया | इसीलिए इस गम को भुलाने के लिए में एक छोटा सा पौव्वा जेब में डाल कर ले आया
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