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Archive for: June 2013

“आप” की दिल्ली में केंडीडेट संतोष कोली को एक कार ने गाजिआबाद में गंभीर रूप से घायल किया: ह्त्या की साजिश का आरोप

आम आदमी पार्टी[आप]की कर्मठ कार्यकर्ता [आर टी आई एक्टिविस्ट] संतोष कोली एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई हैं| आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने इसके पीछे हत्या का षड्यंत्र बताया है| इससे पहले भी संतोष पर दो एटैक हो चुके हैं|
बताया गया है कि आप पार्टी कि कार्यकर्ता संतोष और कुलदीप एक मोटर बाईक पर मात्र ४० कि मी की रफ़्तार से उत्तर प्रदेश के गाजिआबाद में एक खाली सड़क पर जा रहे थे इसी बीच पीछे से आ रही एक त्रीव गति की कार ने टक्कर मार दी | और संतोष को गंभीर रूप से घायल करके गायब हो गई| यशोदा अस्पताल में संतोष जन्म, मृत्यु में झूल रही हैं|इससे पूर्व ब्रजलाल पर को भी उत्तर प्रदेश में कार से कुचल दिया गया था| संतोष सीमापुरी से “आप “:की केंडीडेट हैं

बिहार के अफजल अमानुल्लाह को महत्वपूर्ण संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव पद के लिए सलेक्ट किया गया

संसदीय कार्य मंत्रालय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों [आई ऐ एस ] के पदों में निम्न बदल किये हैं| बिहार बैच [१९७९]के अफजल अमानुल्लाह को महत्वपूर्ण संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव पद के लिए सलेक्ट किया गया है| उत्तर प्रदेश[ १९७८] बैच के देश दीपक वर्मा की ३० जून को सेवानिवृति के फलस्वरूप यह रिक्ति हुई है|
[१] श्री अमानुल्‍ला वर्तमान में उपभोक्‍ता कार्य विभाग, उपभोक्‍ता मामले मंत्रालय में विशेष सचिव हैं।
[२] इसके अलावा उत्तर प्रदेश के ही [१९७७ बैच ]सुश्री नीता चौधरी को युवा मामले के मंत्रालय के सचिव पद से मुक्त करके [१९७७] राजस्थान बैच के सुश्री संगीता गैरोला को नियुक्त किया गया है|
[३]उत्तर प्रदेश[१९७९] बैच के रविन्द्र सिंह द्वारा संस्कृति मंत्रालय में वर्तमान सचिव सुश्री संगीता गैरोला से चार्ज लिया जाना है|
(4) उत्तर प्रदेश [१९७७]बैच की सुश्री नीता चौधरी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव पद पर नियुक्‍त किया गया है वे श्री प्रेम नारायण आईएएस (78 यूपी बैच) का स्‍थान लेंगी। श्री प्रेम नारायण78 यूपी बैच) को अगले आदेश तक प्रतीक्षा सूची में रखा गया है वे वर्तमान में महिला और बाल विकास मंत्रालय में सचिव हैं।

बजट करियर इंडिगो एयर लाइन्स के १०% कमांडर पायलट्स एयर एशिया में स्विच ओवर को तैयार

बजट कैरियर और [कथित] लो कास्ट कैरियर के उपनाम से प्राख्यात निजी इंडिगो एयर लाइन्स के लगभग १०%कमांडर पायलट्स के नई आने वाली प्रतिस्पर्द्धी एयर लाइन्स एयर एशिया में जाने की तैय्यारी चल रही है| सूत्रों के अनुसार इंडिगो के कमांडर के वर्तमान पे स्लैब+ असहज कार्य शर्तों से अधिकांश पायलट कमांडर असंतुष्ट हैं और नई कंपनी एयर एशिया द्वारा आकर्षक वेतन मान देने के साथ ही सुविधा जनक कार्य शर्तें दिए जाने की संभावना है इसीलिए इस बड़े स्विच ओवर की सम्भावना है|यदि यह बदलाव फायनल हो जाता है तो अपने जहाजों के बेड़े को बढ़ाने के लिए प्रयासरत इंडिगो एयर लाइन्स के लिए यह नई चुनौती होगी जबकि एयर एशिया को बैठे बिठाए अनुभवी पायलट कमांडर मिल जायेंगे| इसके आलावा एयर एशिया के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इंडिगो और स्पाइस जेट आदि एयर लाइन्स के लो कास्ट के दावों को चुनौती दे दी है| इस संभावना की पुष्ठी के लिए एयर एशिया और इंडिगो को मेल किये जाने पर कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है|

केन्द्रीय गृह मंत्रालय में अनिल गोस्वामी ने राज कुमार सिंह से गृह सचिव का कार्यभार संभाला

गृह मंत्रालय में सचिव राज कुमार सिंह को सेवानिवृति पर भाव पूर्ण विदाई दी गई|श्री सिंह के स्थान पर अनिल गोस्वामी को गृह सचिव नियुक्त गया है|
केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने ३० जून को नई दिल्ली में स्मृति चिन्ह देकर श्री सिंह को विदाई दी|
श्री सिंह के स्थान पर श्री अनिल गोस्‍वामी ने आज गृह सचिव पद का कार्यभार संभाल लिया।

 केन्द्रीय गृह मंत्रालय में अनिल गोस्वामी ने राज कुमार सिंह से गृह सचिव का कार्यभार संभाला

केन्द्रीय गृह मंत्रालय में अनिल गोस्वामी ने राज कुमार सिंह से गृह सचिव का कार्यभार संभाला


श्री अनिल गोस्‍वामी 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जो जम्‍मू कश्‍मीर कॉडर से सम्‍बद्ध हैं। श्री गोस्‍वामी 27 अप्रैल, 2013 को गृह मंत्रालय में विशेष कार्य अधिकारी के रूप में नियुक्ति से पहले सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय में सचिव थे। वे गृह मंत्रालय में अपर सचिव सहित अपने संवर्ग में और केंद्र सरकार में विभिन्‍न पदों पर कार्यकर चुके हैं।

शीला दीक्षित को तीन बार मुख्य मंत्री बनाने वाली नई दिल्ली की जनता, शायद दिल्ली की सबसे दुखी जनता है

आम आदमी पार्टी [आप ]के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल ने रविवार को वाल्मिकी मंदिर में मत्था टेकने के बाद बाल्मीकि समाज की समस्यायों को सुना और उनकी व्यथा जानकर हैरानी व्यक्त करते हुए वाल्मिकी समाज के साथ हो रही है नाइंसाफी के विरुद्ध आवाज उठाने का आश्वासन दिया| उन्हने इस अवसर पर कहा के दिल्ली को तीन बार मुख्यमंत्री देने वाली नई दिल्ली विधानसभा की जनता, शायद दिल्ली की सबसे दुखी जनता है.|अरविन्द केजरीवाल नई दिल्ली से प्रत्याशी हैं|
वाल्मिकी समाज के सम्मानित व्यक्ति किशनपाल मंगवाना[,चेना महाराज ] ने अरविंद केजरीवाल को महर्षि वाल्मिकी की एक प्रतिमा और रामायण भेंट की. चेना महाराज ने अरविंद केजरीवाल और पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने समाज की बहुत सारी परेशानियां बताईं. वाल्मिकी बस्ती के लोग पिछले 15 सालों से समय-समय पर इन समस्याओं को शीला दीक्षित को बताते आ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने हमेशा अनसुना कर दिया.
[१]चेना महाराज ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी ठेका मजदूरी से जुड़ी है. दिल्ली को साफ-सुथरा रखने में सबसे बड़ी भूमिका वाल्मिकी समाज के लोगों की है. 90 प्रतिशत से अधिक सफाई कर्मचारी वाल्मिकी समाज से आते हैं. लेकिन खुद को गंदगी में झोंककर शहर को साफ-सुथरा रखने में जुटे लोगों को अस्थाई सफाई कर्मचारी की नौकरी पाने के लिए भी काफी घूस देना पड़ता है.
[२]“ अस्थाई ठेका मजदूरी हासिल करने के लिए भी एनडीएमसी को 10 से 20 हजार तक की घूस देनी पड़ती है. एक बार में मात्र छह महीने के लिए ही काम मिलता है. सात हजार की अस्थाई नौकरी, वह भी मात्र छह महीने के लिए मिलती है, के लिए इतनी घूस देनी पड़े! सरकार बस हमारा खून चूसने में यकीन रखती है.”
[३]इस ठेका आधारित नौकरी को हासिल करने से पहले रोजगार केंद्र में अपना नाम डलवाने भर के लिए 500 रुपए देने पड़ते हैं. सात हजार की तन्ख्वाह देने के बदले उनसे आधी तन्ख्वाह तो अलग-अलग बहाने से घूस के तौर पर ऐंठ ली जाती है. एनडीएमसी में सफाई कर्मचारी को 5-6 साल तक पहले ठेके पर काम करना पड़ता है उसके बाद 6-7 साल तक नियमित काम. फिर जाकर उसकी नौकरी पक्की होती है.
[४] अगर वाल्मिकी समाज का कोई युवा पढ़ने में होशियार निकला और अगर उसने अच्छी तालीम हासिल कर ली, फिर भी उसे काम सफाई का ही
दिया जाता है. बी.ए और एम.ए पास कई लड़के एनडीएमसी में सफाई का काम ठेका मजदूर की तरह कर रहे हैं.
उन्होंने अरविंद केजरीवाल को वाल्मिकी सदन में कई ऐसे परिवारों से मिलाया जिनके घर के कमाऊ व्यक्ति की सफाई के दौरान मौत हो गई.
वाल्मिकी समाज के लोगों में सरकार के कामकाज को को लेकर काफी गुस्सा है. चेना महाराज सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “सीवर की सफाई का कार्य जोखिम भरा होता है. काम के दौरान अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो सरकार तुरंत उससे घर खाली करा लेती है. मृतक के आश्रितों के लिए सिर्फ 5 प्रतिशत आरक्षण है और अगर किसी आश्रित को नौकरी मिलती भी है तो वह भी अस्थाई ठेका मजदूरी का ही काम मिलता है. हमारा पूरा जीवन समाज की सेवा में बीत जाता है और उस काम को निभाते हुए कोई हादसा हो जाए तो हमारे लिए दुनिया के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. हम तो बस वोट बैंक बनकर रह गए हैं.”
[५]एनडीएमसी में सफाई कर्मचारियों की भारी कमी है. पहले हर सर्किल में करीब 50 सफाई कर्मचारी होते थे लेकिन आज किसी भी सर्किल में 20-25 कर्मचारी रह गए हैं. इस कारण आठ घंटे की बजाए 13-14 घंटे काम करना पड़ता है. सफाई कर्मचारियों को कभी भी बुला लिया जाता है और अगर कोई असमय आने में असमर्थता जताए तो उसका ठेका खत्म करने की धमकी दी जाती है.
चेना महाराज कहते हैं, “गुलामी और जिल्लत की जिंदगी बहुत हो चुकी है. अब हमारे युवा बगावत करने को उतारु हैं. समाज का भी डर खत्म हो रहा है. कांग्रेस सरकार यह मानकर चलती है कि वाल्मिकी समाज तो उसे ही वोट देगा. इस बार हम कांग्रेस सरकार का यह भ्रम मिटाएंगे. आम आदमी पार्टी में हमें उम्मीद नजर आ रही है. अबकी बार इसे भी काम करने का मौका देकर देखेंगे.”
समाज से आये डॉ अशोक बताते हैं, “ वाल्मिकी समाज साधनविहीन. साफ-सफाई का कार्य ऐसा है जिसमें तरह-तरह का संक्रमण फैलने का डर रहता है. चर्म रोग, फेफड़े और पेट का कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां तो आम हैं. ऐसा एक भी परिवार नहीं होगा जिसके सदस्य इन बीमारियों की चपेट में न आए हों. यही वजह है कि इनकी औसत आयु 50 साल हो गई है. जो समाज सबको बीमारियों से दूर रखने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाता हो क्या उसका इतना भी हक नहीं कि सरकार उसकी बीमारियों के लिए ईलाज का अच्छा इंतजाम करे?”

भाजपा सत्ता में आई तो महिलाओं को ३३% आरक्षण :राजनाथ सिंह

देश में भाजपा की सरकार बनने पर महिलाओं को 33 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा।
गाजियाबाद में शनिवार को भाजपा महिला मोर्चा की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन किया गया इसका उद्घाटन करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यह चुनावी बिगुल फूँका |
आरकेजीआईटी[ RKGIT ] कालेज के सभागार में आयोजित कार्यकारिणी को राजनाथ सिंह ने कहा कि देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की जरूरत है। वर्तमान कांग्रेस सरकार और खुद प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार और घोटालों में आरोपित हैं। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे के नेतृत्व में वंदे मातरम व दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारम्भ किये गए इस सम्मलेन में राज नाथ सिंह ने कांग्रेस पर भी प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के राज में प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है। लोग अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के दिनों को याद करते हैं। देश में भाजपा ही बेहतर सरकार का विकल्प दे सकती है। इस काम में महिलाओं का बेहद महत्वपूर्ण यौगदान होगा। गुजरात+मध्यप्रदेश+ छत्तीसगढ़+गोवा में भाजपा की सरकारों के सुशासन की चर्चा आज देश में नहीं, बल्कि देश से बाहर भी हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की खूबियों को महिला कार्यकर्ता सामाजिक कार्यों के जरिए महिलाओं तक पहुंचाएं। उन्होंने पोलिंग बूथ कमेटी के गठन पर ध्यान दिए जाने पर भी जोर दिया|
उत्तराखंड की त्रासदी में मारे गए लोगों और सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे ने कहा कि यह सबको पता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उप्र से होकर जाता है। महिला मोर्चे की पहली बैठक उप्र में होना सौभाग्य की बात है। उन्होंने आश्वासन दिया कि महिला मोर्चा पूरी ताकत के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेगा और पार्टी के लक्ष्य को पूरा करेगा।
इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष कमलावती सिंह ने लोकसभा चुनावों को चुनौती के रूप में स्वीकारने की सलाह दी। �

राष्‍ट्रीय सांख्‍यि‍की पुरस्‍कार भारतीय रिजर्व बैंक के सांख्‍यि‍कीविद डॉ. अभिमान दास को दिया गया:सांख्‍यि‍की दिवस

भारत सरकार ने राष्‍टीय स्‍तर पर विज्ञान भवन में सांख्‍यि‍की दिवस मनाया और प्रो. सी.आर. राव के सम्‍मान में दिया जाने वाला राष्‍ट्रीय सांख्‍यि‍की पुरस्‍कार भारतीय रिजर्व बैंक के जाने-माने सांख्‍यि‍कीविद डॉ. अभिमान दास को दिया गया। श्री श्रीकांत कुमार जैना ने उन्‍हें शॉल, प्रशस्‍ति पत्र और दो लाख रूपये के नकद इनाम से सम्‍मानित किया।
इस अवसर पर कई महत्‍वपूर्ण सांख्‍यि‍कीय प्रकाशन भी जारी किए गए।इसके अतिरिक्त सांख्‍यि‍की और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय+ राज्‍य सरकारों+ राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के देश भर के कार्यालयों+ भारतीय सांख्‍यि‍कीय संस्‍थान+ विश्‍वविद्यालयों+विभागों आदि में [१]संगोष्ठियों[२] सम्‍मेलनों[३]वाद विवाद [४] क्विज [५] व्‍याख्‍यान मालाओं[६] निबंधन प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया गया |
अपने संबोधन में सांख्‍यि‍की एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन तथा रसायन और उवर्रक मंत्री श्री श्रीकांत कुमार जैना ने कहा कि सांख्‍यि‍की दिवस, सांख्‍यि‍कीविदों, विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शि‍क्षकों और छात्रों को एक-दूसरे के साथ संपर्क कायम करने का महान अवसर उपलब्‍ध कराता है, ताकि आंकड़ों की नई जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्‍त उपाए किए जा सकें। उन्‍होंने कहा कि देश के प्रशासन में सांख्‍यि‍कीविदों की भूमिका को और सशक्‍त बनाए जाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्‍यक्ष डॉ. सी. रंगराजन ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय सांख्‍यि‍कीय प्रणाली को सामान्‍य रूप से तथा विशेषकर श्रम और रोजगार सांख्‍यि‍की के संदर्भ में और सशक्‍त बनाने की जरूरत है।
इस समारोह को सांख्‍यि‍की एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय में सचिव प्रो. टी.सी.ए. अनंत और राष्‍ट्रीय सांख्‍यि‍कीय आयोग के अध्‍यक्ष डॉ. प्रणब सेन ने भी संबोधित किया।
गौर तलब है कि आर्थिक योजना और सांख्‍यि‍की विकास के क्षेत्र में स्‍वर्गीय प्रशांत चन्‍द्र महालनोबिस के उल्‍लेखनीय योगदान के सम्‍मान में भारत सरकार उनके जन्‍मदिन, 29 जून को हर साल सांख्‍यि‍की दिवस के रूप में मनाती है। यह दिवस राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मनाया जाता है। इस साल के सांख्‍यि‍की दिवस का विषय ‘श्रम और रोजगार सांख्‍यि‍की’ है। इस दिन को मनाने का उद्देश्‍य सामाजिक-आर्थिक नियोजन और नीति निर्धारण में प्रो. महालनोबिस की भूमिका के बारे में जनता में, विशेषकर युवा पीढ़ी में जागरूकता जगाना तथा उन्‍हें प्रेरित करना है।

अडवाणी ने धारा ३७० के लिए कांग्रेस और उमर अब्दुल्लाह के दादा की गलतियों का इतिहास पढाया ;सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने कभी अपने सहयोगी रहे जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को धारा ३७० पर सलाह देते हुए कहा कि उन्हें ‘धोखाधड़ी‘ और ‘विश्वासघात‘ जैसे शब्दों से भरी आक्रामक भाषा का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। अपने ब्लाग के माध्यम से अडवाणी ने कहा कि उन्हें[उमर] पता होना चाहिए कि संविधान सभा में धारा-370 जो जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती, को जब स्वीकृति दी गई तब तक जनसंघ का जन्म भी नहीं हुआ था। हालांकि संविधान के प्रारूप में यदि कोई ऐसा प्रावधान था जिसका विरोध लगभग समूची कांग्रेस पार्टी कर रही थी तो वह यही प्रावधान था। इस मुद्दे पर नवम्बर, 1946 में संविधान सभा द्वारा संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकृत करने से दो महीने पूर्व ही विचार किया गया।
इस विषय को लेकर इतिहास के पन्नो को पलटते हुए अडवाणी ने कहा कि सरदार पटेल के तत्कालीन निजी सचिव वी. शंकर द्वारा लिखित दो खंडों में प्रकाशित पुस्तक ‘माई रेमिनीसेंसेज ऑफ सरदार पटेल” के अनुसार विदेश जाने से पहले नेहरू ने जम्मू व कश्मीर राज्य से संबंधित प्रावधानों को शेख अब्दुल्ला के साथ बैठकर अंतिम रूप दिया और संविधान सभा के माध्यम से उन प्रावधानों को आगे बढ़ाने का काम अपने रक्षामंत्री गोपालस्वामी अयंगार को सौंप दिया। प्रस्तुतु है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
अयंगार ने अपने प्रस्तावों को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में प्रस्तुत किया। शंकर के अनुसार इससे चारों ओर से रोषपूर्ण विरोध के स्वर उठने लगे और अयंगार स्वयं को बिल्कुल अकेला महसूस कर रहे थे, एक अप्रभावी समर्थक के रूप में मौलाना आजाद को छोड़कर।
शंकर के अनुसार, ‘पार्टी में एक बड़ा वर्ग था, जो जम्मू व कश्मीर और भारत अन्य तिरस्कृत राज्यों के बीच भेदभाव के किसी भी सुझाव को भावी दृष्टि से देख रहा था और जम्मू व कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संबंध में एक निश्चित सीमा से आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं था।
सरदार पटेल स्वयं इसी मत के पक्ष में थे; लेकिन नेहरू और गोपालस्वामी अयंगार के निर्णयों में दखलंदाजी न करने की अपनी स्वाभाविक नीति के चलते उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत नहीं किए और इस प्रकार, नेहरू और अयंगार ने अपने अनुसार ही सारा मामला निपटाया था। सच तो यह है कि प्रस्ताव का प्रारूप तैयार करने में सरदार पटेल ने भाग नहीं लिया था। इनके बारे में उन्हें तभी पता चला, जब गोपालस्वामी अयंगार ने कांग्रेस संसदीय दल के सामने उसे पढ़कर सुनाया।‘
कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में अपने साथ हुए कठोर बरताव से निराश होकर अयंगार अंतत: सरदार पटेल के पास पहुंचे और उन्हें इस स्थिति से बचाने का अनुरोध किया। सरदार पटेल ने कांग्रेस संसदीय ल की एक और बैठक बुलाई।
शंकर लिखते हैं कि: ”मैंने कभी भी ऐसी तूफानी और कोलाहलपूर्ण बैठक नहीं देखी। मौलाना आजाद को भी शोर मचाकर चुप करा दिया गया। अंत में चर्चा को सामान्य व व्यावहारिक स्थिति में लाने और बैठक में उपस्थित लोगों को यह समझाने-कि अंतरराष्ट्रीय जटिलताओं के कारण एक कामचलाऊ व्यवस्था ही की जा सकती है-का काम सरदार पटेल पर छोड़ा गया।‘
”ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी अनिच्छापूर्वक ही सरदार पटेल की इच्छाओं के सामने झुकी। वस्तुत: इसी से स्पष्ट हो जाता है कि संविधान सभा में इस प्रावधान पर हुई चर्चा इतनी सतही और नीरस क्यों थी। अयंगार के अलावा और किसी ने कुछ नहीं कहा-न विरोध में, और न ही समर्थन में।”
यह ज्ञात हुआ, यहां तक कि सरदार पटेल और अयंगार को भी उन प्रारूप प्रावधानों को कांग्रेस पार्टी को सहमत कराना मुश्किल रहा जो विदेश जाने से पूर्व अयंगार और शेख अब्दुल्ला ने पण्डित नेहरू के साथ बैठकर तैयार किए थे; शेख अब्दुल्ला इन स्वीकृत प्रारूप् पर भी पुनर्विचार के संकेत देने लगे थे।
14 अक्तूबर, 1949 को गृह मंत्रालय में कश्मीर मामलों के सचिव विष्णु सहाय ने वी. शंकर को लिखा कि शेख अब्दुल्ला ने प्रारूप पर अपना रूख इस दलील पर बदला है कि नेशनल कांफ्रेंस की वर्किंग कमेटी ने इसे स्वीकृति नहीं दी है।
सहाय लिखते हैं कि अब्दुल्ला ने एक वैकल्िपिक प्रारूप भेजा है जिसमें प्रावधान है कि भारतीय संविधान जम्मू एवं कश्मीर में केवल माने गए विषयों पर ही लागू होगा। शेख ने इस तथ्य पर भी आपत्ति की कि प्रस्तावित अनुच्छेद को अस्थायी वर्णित किया गया है और राज्य की संविधान सभा इसे समाप्त करने हेतु सशक्त है।
15 अक्तूबर, 1949 को शेख अब्दुल्ला और उनके दो साथी अयंगार से मिले तथा उन पर प्रारूप बदलने को दवाब डाला। उसी दिन अयंगार ने सरदार पटेल कोइसकी जानकारी दी। 15 अक्तूबर को सरदार पटेल को लिखे अपने पत्र में अयंगार ने लिखा कि ”उनके (अब्दुल्ला और उनके दो साथियों) द्वारा की गई आपत्तियों में कोई ठोस मुद्दा नहीं था।” उन्होंने आगे जोड़ा ”अंत में मैंने उन्हें कहा कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपके घर (पटेल) और पार्टी बैठक में हमारे प्रारूप के प्रावधानों पर सहमत होने के बाद, वे मुझे और पण्डितजी को इस तरह से शर्मिंदा करेंगे जिसका वे प्रयास कर रहे थे। उत्तर में, शेख अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा सोचने पर वह भी काफी दु:ख महसूस कर रहे हैं। लेकिन अपने लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए मुझे इस रूप में प्रारूप स्वीकार करना असम्भव है…….. उसके पश्चात् मैंने उन्हें कहा कि आप वापस जाइए और इस सब पर विचार कीजिए जो मैंने आपको कहा है और आशा है कि वह सही दिमागी दशा में आज या कल मेरे पास वापस आएंगे। तत्पश्चात् मैंने मामले पर आगे विचार किया तथा एक प्रारूप लिखा जिसमें मुख्य दृष्टिकोण को बदले बिना जोकि हमने हमारे प्रारूप में उल्लिखित किया है, में मामूली सा बदलाव किया है जिसे मैं उम्मीद करता हूं कि शेख अब्दुल्ला राजी हो जाएंगे।”
16 अक्तूबर, 1949 को सरदार पटेल का अयंगार को जवाब संक्षिप्त और कठोर था। वह अयंगार से इस पर सहमत नहीं थे कि बदलाव मामूली हैं। पटेल लिखते हैं: ”मैंने पाया कि मूल प्रारूप में ठोस बदलाव किए गए हैं, विशेष रूप से राज्य नीति के मूलभूत अधिकारों और नीति निदेशक सिध्दान्तों की प्रयोजनीयता को लेकर। आप स्वयं इस विसंगति को महसूस कर सकते हैं कि राज्य भारत का हिस्सा बन रहा है और उसी समय इन प्रावधानों में से किसी को भी स्वीकार नहीं कर रहा।”
पटेल ने आगे लिखा: ”शेख साहब की उपस्थिति में हमारी पार्टी द्वारा समूचे प्रस्ताओं को स्वीकृत करने के पश्चात् इसमें किसी भी बदलाव को मैं पसंद नहीं करता। जब चाहे शेख साहब लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की दलील पर सदैव हमसे टकराव करते रहते हैं। मान लिया कि उनकी भारत या भारतीय सरकार या आपके और प्रधानमंत्री के जिन्होंने उनकी बात मानने में कोई कोताही नहीं बरती, के प्रति भी निजी आधार पर कोई कर्तव्य नहीं बनता।
अपनी कसी हुई टिप्पणियों में उन्होंने कहा: ”इन परिस्थितियों में मेरी स्वीकृति का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। यदि आपको यह करना सही लगता है तो आप आगे बढ़ सकते हैं।”
इस बीच शेख अब्दुल्ला ने अयंगार का संशोधित प्रारूप भी रद्द कर दिया और 17 अक्तूबर को अयंगार को लिखे एक पत्र में संविधान सभा से त्यागपत्र देने की धमकी भी दे दी।
17 अक्तूबर, 1949 को संविधान सभा ने बगैर ज्यादा बहस के अयंगार के मूल प्रारूप को स्वीकर कर लिया। शेख अब्दुल्ला से आशा थी कि वह बोलेंगे, लेकिन वह खिन्न और मौन रहे।
नेहरूजी के विदेश से लौटने के बाद सरदार पटेल ने उन्हें उनकी अनुपस्थिति में हुए घटनाक्रम को निम्न शब्दों में लिखा (3 नवम्बर, 1949):
”प्रिय जवाहरलाल,
कश्मीर सम्बन्धी प्रावधान के बारे में कुछ कठिनाईयां थी। शेख साहब उस समझौते से मुकर गए जो कश्मीर सम्बन्धी प्रावधान के सम्बन्ध में वह आपके साथ सहमत हुए थे। वह मूलभूत चरित्र में कुछ निश्चित बदलावों पर जोर दे रहे थे जो नागरिकता और मौलिक अधिकारों सम्बन्धी प्रावधानों को कश्मीर में लागू नहीं होने देने और इन सब मामलों सहित अन्य में भी वे हैं जो राज्य सरकार द्वारा एकीकरण के तीन विषयों जोकि इस रूप में वर्णित हैं कि महाराजा 8 मार्च, 1948 की उद्धोषणा के तहत नियुक्त मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम कर रहे हैं। काफी विचार विमर्श के बाद मैं पार्टी को इन सब बदलावों पर सहमत कर सका सिवाय अंतिम को छोड़कर, जोकि संशोधित किया गया जिससे न केवल पहला मंत्रिमण्डल कॅवर हो सके अपितु इस उद्धोषणा के तहत तत्पश्चात् भी मंत्रिमण्डल नियुक्त हो सकें।
शेख साहब अपने आपको इन बदलावों से नहीं जोड़ सके, लेकिन हम इस मामले में उनके विचारों को नहीं मान सके और प्रावधान सदन ने जैसाकि हमने बदले थे, को पारित कर दिया। इसके पश्चात् उन्होंने गोपालास्वामी अयंगार को पत्र लिखकर संविधान सभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने की धमकी दी है। गोपालस्वामी ने उनको जवाब दिया है कि वह आपके आने तक अपना निर्णय स्थगित रखें।
आपका
वल्लभभाई पटेल
जैसाकि इस ब्लॉग के शुरू में ही मैंने लिखा कि जम्मू एवं कश्मीर के संदर्भ में भाजपा के रूख पर ‘धोखाधड़ी‘ जैसे अपमानजनक शब्दों का उपयोग करना किसी के लिए भी शोभनीय नहीं है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर 1951 में जनसंघ के जन्म से लेकर आज तक हम न केवल सुस्पष्ट, स्पष्टवादी और सतत् दृष्टिकोण बनाए हुए हैं, अपितु यही एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर हमारे संस्थापक-अध्यक्ष ने अपना जीवन बलिदान कर दिया और जिसके लिए लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारियां दी तथा अनेक तरह के कष्ट सहे। कानपुर में हमारे पहले अखिल भारतीय सम्मेलन के समय से लेकर हम जम्मू एवं कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण के लिए कटिबध्द हैं।

भाजपा ने निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का विरोध किया

भाजपा ने निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए विदेशी निवेश [एफडीआई] की सीमा बढ़ाने का विरोध किया है। रिटेल में एफडीआई का भी पार्टी विरोध करती आ रही है|
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऍफ़ डी आई की सीमा बढाने का प्रस्ताव देश की सुरक्षा के हिसाब से उचित नहीं है। उन्होंने सुरक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने वाली शमायाराम कमेटी की सिफारिशों पर कड़ी आपत्ति जताई है।
श्री जोशी ने कहा कि भाजपा खासतौर पर निजी सुरक्षा एजेंसियों में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़ाकर 100 फीसदी करने के सख्त खिलाफ है।
उन्होंने बताया कि लगभग 50 लाख लोग निजी सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े हैं और ये सुरक्षा गार्ड निजी व सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं।
लाल किला से लेकर कुतुब मीनार जैसी ऐतिहासिक भवनों की सुरक्षा भी निजी सुरक्षा गार्डों के पास है।
इसके बावजूद यह बात समझ में नहीं आ रही है कि सरकार निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एफडीआई की सीमा 100 फीसदी क्यों करने जा रही है। ऐसे में विदेशी मालिक होंगे जोकि देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।

कश्मीर में धारा ३७० के लिए पटेल नही वरन नेहरू जिम्मेदार हैं :एल के आडवाणी

भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने नए ब्लॉग के पश्च्य लेख (टेलपीस)में कश्मीर में धारा ३७० के लिए पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए लोह पुरुष +इंडियन बिस्मार्क पटेल का बचाव किया है| श्री आडवाणी ने स्वतंत्र भारत के इतिहास के प्रारम्भिक पन्नो को खोलते हुए कहा है कि पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दबाब में आ कर कश्मीर नीति में अपने स्वयम के निर्णय को त्याग कर सरेंडर कर दिया था|आडवाणी ने बताया कि सरदार पटेल की मृत्यु दिसम्बर, 1950 में हो गई थी।
24 जुलाई 1952 को पण्डित नेहरू ने जम्मू एवं कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर लोकसभा में एक विस्तृत वक्तव्य दिया। इसमें उन्होंने मजबूती से अनुच्छेद 370 का बचाव किया। उन्होंने यह भी कहा कि सरदार पटेल ही जम्मू एवं कश्मीर के मामले को देख रहे थे। वी. शंकर जो 1952 में आयंगार के मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे, अपने मंत्री के पास गए और जो हुआ था उस पर परस्पर जानकारी साझा की। गोपालस्वामी आयंगार की टिप्पणी थी: ”यह सरदार पटेल की उस उदारता का गलत और दुर्भावनापूर्ण प्रतिफल है, जो उन्होंने अपने उत्कृष्ट निर्णय को छोड़कर पण्डित नेहरू के दृष्टिकोण को स्वीकार करने में दिखाई।”