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केंद्र सरकार ने ,लोक सभा में , मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय में वृद्धि का रुख दिखाया और खर्च करने की आदतों में सुधार का दावा किया

केंद्र सरकार ने आज ,लोक सभा में , मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय में वृद्धि का रुख दिखाया और खर्च करने की आदतों में सुधार का दावा किया केंद्र सरकार को आज मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय (एमपीसीई) में वृद्धि का रुख नजर आया| एमपीसीई[MPCE ] में इस वृद्धि के रुख के आधार पर लोक सभा में लोगों की खरीद क्षमता में बढ़ोत्‍तरी और खर्च करने की आदतों में सुधार को दर्शाने का प्रयास किया गया ।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन तथा रसायन एवं उर्वरक राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री श्रीकांत कुमार जेना ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा परिवार उपभोक्‍ता व्‍यय पर ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में समय-समय पर किए गए विभिन्‍न सर्वेक्षणों के प्राप्‍त आंकड़ों से पता चला है कि मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय (एमपीसीई) में वृद्धि का रुख नजर आ रहा है। एमपीसीई में यह वृद्धि लोगों की खरीद क्षमता में बढ़ोत्‍तरी और खर्च करने की आदतों को दर्शाती है।
लोगों की खर्च करने की आदत में बदलाव का श्रेय जीवन शैली, खान-पान की आदत, स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूकता में परिवर्तन को जाता है, इसका कारण समय-समय पर शुरू किए गए विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों की वजह से लोगों की आय के स्‍तर में वृद्धि होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और लोगों की आय के स्‍तर में सुधार के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए कुछ कार्यक्रमों में महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा), राष्‍ट्रीय ग्रामीण जीवनयापन मिशन, राष्‍ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), भारत निर्माण, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई), जवाहर लाल नेहरू राष्‍ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) और विशाल शहरों के उप-नगरों में शहरी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।

भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने सुभारती मेडिकल कॉलेज सहित छह मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द की

भारतीय चिकित्‍सा परिषद (एमसीआई) ने राष्ट्रीय राजधानी छेत्र [ एनसीआर ]में 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द कर दी है
भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय से राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में चल रहे मेरठ+गाजिआबाद+ग्रेटर नॉएडा+हापुड़+गुड गाँव के 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता/अनुमति पत्र रद्द करने की सिफारिश की है। ये कॉलेज हैं –
[1]. संतोष मेडिकल कॉलेज, गाजियाबाद
[2]. सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ
[3]. स्‍कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, ग्रेटर नोएडा
[4]. सरस्‍वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़
[5]. श्री गुरू गोबिन्‍द सिंह ट्राईसेन्‍टेनरी मेडिकल कॉलेज, गुडगांव
[6.] रामा मेडिकल कॉलेज, हापुड़
मंत्रालय को भारतीय चिकित्‍सा परिषद की यह सिफारिश इस साल मई में प्राप्‍त हुई थी।
हालांकि इसे 04 जून को फिर से जांच-पड़ताल के लिए परिषद के निदेशक मंडल के पास वापस भेज दिया गया था।
मेडिकल कॉलेजों को भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 के प्रावधानों और उनके दिशा-निर्देशों के तहत मान्‍यता दी गयी है।
इस उद्देश्‍य हेतु, भारतीय चिकित्‍सा परिषद नियमन, 1999 में निर्धारित न्‍यूनतम शर्तों के अनुसार भारतीय चिकित्‍सा परिषद परीक्षा के मानदंडों और कॉलेजों में उपलब्‍ध सुविधाओं के मूल्‍यांकन के लिए उनकी जांच पड़ताल करती है।
एमसीआई के सिफारिशों के आधार पर केन्‍द्र सरकार भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 11 (2) के तहत किसी भी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मुहैया की जाने वाली विशिष्‍ट चिकित्‍सा अर्हताओं को मान्‍यता प्रदान करती है और उन्हें अधिसूचित करती है।
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के उत्‍तर में लिखित में यह जानकारी दी।

रालोद के कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद नहीं किया गया तो उत्तर प्रदेश में संघर्ष छेड़ा जाएगा: जयंत चौधरी

[नर्इ दिल्ली,]राष्ट्रीय लोकदल[रालोद] के राष्ट्रीय महासचिव युवा जयंत चौधरी ने आज उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार के विरुद्ध हुंकार भरते हुए चेतावनी दी कि प्रदेश में यदि रालोद के कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद नहीं किया गया तो प्रदेश में सरकार के विरुद्ध संघर्ष छेड़ा जाएगा| श्री जयंत जी ने कहा कि समाजवादी सरकार में रालोद कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है, जिसे राष्ट्रीय लोकदल बिल्कुल बर्दाशत नहीं करेगा। यदि राज्य सरकार नहीं चेती तो राष्ट्रीय लोकदल इसके विरूद्ध संघर्ष करेगा। 18 अगस्त को शामली-मुजफ्फरनगर चलो के तहत जयन्त चौधरी की पद यात्रा को ऐतिहासिक कामयाब बनाने के लिए रण नीति पर भी चर्चा हुई|
रालोद की पशिचमी उत्तर प्रदेश की नव-गठित कार्यकारणी की पहली बैठक में आज छोटे[वर्तमान] चौधरी जयंत ने प्रदेश में अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए तीन सूत्री फार्मूला भी पेश किया | पार्टी कार्यालय 13ए, फिरोजशाह रोड़, नर्इ दिल्ली में बैठक आयोजित हुर्इ, जिसमें तीन मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा के बाद आम सहमति बनी।
बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद जयंत चौधरी ने कहा कि
[१]पशिचमी उत्तर प्रदेश में अलग हार्इकोर्ट बैंच,
[२] जाट आरक्षण तथा
[३] हरित प्रदेश के मुददे राष्ट्रीय लोकदल के मुख्य एजेंडे पर हैं।
इसके आलावा गन्ना तथा आलू किसानों के बकाये के लिये जिला कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया गया
राष्ट्रीय महा सचिव ने कहा कि हार्इकोर्ट बैंच को लेकर रालोद हमेशा संघर्षशील रहा है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह इस मुद्दे पर केन्द्रीय कानून मंत्री से मिल चुके हैं तथा उनसे सकारात्मक आशवासन भी मिला है।
रालोद पशिचमी उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यवीर त्यागी ने कहा कि रालोद वकीलों के आन्दोलन को समर्थन प्रदान करता रहा है और आगे भी संघर्षशील रहेगा।
जाट आरक्षण को लेकर भी चौधरी अजित सिंह व श्री जयंत चौधरी केन्द्र सरकार के सम्मुख जाट आरक्षण की मांग उठा चुके हैं
हरित प्रदेश के विषय में श्री जयंत चौधरी ने कहा कि छोटे राज्य हमेशा विकास करते हैं तथा उनमें प्रशासनिक समीक्षा समुचित ढंग से हो सकती है।
18 अगस्त को शामली-मुजफ्फरनगर चलो के तहत श्री जयन्त चौधरी जी की पद यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए तन मन से कामयाब बनाने के लिए रालोद पशिचमी उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष श्री त्यागी ने अपील की।
तथा जिला अध्यक्षों की सहायता के लिए जिला प्रभारीयों की नियुकित की जाएगी।

पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है : लाल कृषण अडवाणी

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा] के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने संसद सत्र को व्यर्थ करने के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की | अडवाणी ने अपने ब्लाग में बताया है कि संसद के मानसून सत्र में तेलंगाना के गठन को लेकर सरकार की ढुल मुल नीति + सीमा पर हुए पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
इन इकतालीस वर्षों के अपने संसदीय जीवन में मैंने पहले कभी भी नहीं देखा कि किसी सरकार ने संसद सत्र को इतनी बुरी तरह से व्यर्थ कर दिया हो जैसाकि यूपीए सरकार ने संसद के वर्तमान मानसून सत्र को किया है।
तीन सप्ताह का सत्र घोषित किया गया था। पहला सप्ताह समाप्त हो गया है। एक दिन भी न तो प्रश्नकाल हो सका या न ही कोई अन्य कामकाज। समूचे सप्ताह में रोज हंगामा होता रहा। और यह हंगामा मुख्य रुप से आंध्र से जुड़े कांग्रेसजनों ने किया-जो तेलंगाना का विरोध और आंधा प्रदेश को संयुक्त रखने की मांग कर रहे थे।
पहले सप्ताह के व्यर्थ जाने में मुख्य कारण तेलंगाना के बारे में घोषणा करना रहा। भाजपा सदस्य सरकार से बार-बार अनुरोध करते रहे कि वह अपनी पार्टी के सदस्यों को संयम में रखें परन्तु इस दिशा में कोई कोशिश होती भी नहीं दिखाई दी! इससे आश्चर्य होता है कि आने वाले दो सप्ताहों के सत्र की सत्तारुढ़ दल कैसे योजना बनाएगा!
तेलंगाना आंदोलन के दशकों पुराने इतिहास में जाए बगैर मुझे स्मरण आता है कि 9 दिसम्बर, 2009 का, जब यूपीए सरकार ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्बरम ने घोषणा की कि भारत सरकार एक पृथक राज्य तेलंगाना बनाने की रुकी हुई प्रक्रिया को राज्य विधानसभा में विधेयक पारित कराकर शुरु करेगी। सभी को लगा था कि इस हेतु आवश्यक विचार-विमर्श कांग्रेस पार्टी के भीतर हो गया होगा। लेकिन इस घोषणा से आंध्र और रायलसीमा में विरोध शुरु हो गया। 23 दिसम्बर, 2009 को भारत सरकार ने दूसरी घोषणा की कि जब तक सभी दलों से एक आम सहमति नहीं बन जाती तब तक तेलंगाना पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसका अर्थ हुआ गृह मंत्रालय की घोषणा का उलट होना। अब जो हो रहा है उससे तेलंगाना के लोग महसूस कर रहे हैं कि यह घोषणा आगामी चुनावों में फायदा उठाने के उद्देश से की गई है और सत्तारुढ़ दल ने एक बार फिर से उन्हें वेबकूफ बनाया है।
मुझे याद है कि एनडीए शासन के दौरान तीन नए राज्यों-उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड-का निर्माण कितनी सहजता से हुआ। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार-इन तीन राज्यों जिनमें से उपरोक्त तीनों राज्यों का जन्म हुआ, की विधानसभाओं ने इनके पक्ष में प्रस्ताव पारित किए और संसद के दोनों सदनों में लगभग सर्वसम्मति से आवश्यक विधेयक पारित किए। यह सब इसलिए हासिल हो सका क्योंकि भाजपा इन नए राज्यों के बारे में इच्छुक थी और इस सम्बन्ध में आवश्यक आधार कार्य कर लिया गया था।
तब भी भाजपा तेलंगाना के पक्ष में थी लेकिन चूंकि उस समय हमारी सरकार को समर्थन दे रही सहयोगी पार्टी तेलुगूदेसम इसके पक्ष में नहीं थी, अत: हमारी सरकार इसके बारे में बात तक नहीं कर सकी।
तेलंगाना मुद्दे को गलत ढंग से ‘हैंडल‘ करने के चलते अब तक का संसद सत्र एकदम व्यर्थ गया है। परन्तु पिछले सप्ताह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक गंभीर त्रासदी घटी, जिसने इस सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है-विशेष रुप से रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी द्वारा त्रासदी के दिन गड़बड़ करने से।
मैं कहना चाहूंगा कि यदि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर घात लगाकर हमारे पांच जवानों को मार गिराया, तो एंटोनी के वक्तव्य से व्यथित भारतीय संसद ने रक्षा मंत्री पर हमलाकर उन्हें अपने पहले दिन के अस्पष्ट वक्तव्य को वापस लेने पर बाध्य किया और उसके स्थान पर दूसरा वक्तव्य आया जो पाकिस्तान के विरुध्द राष्ट्रीय आक्रोश को पूरी तरह से प्रकट करता है।
संसद में रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में चौंका देने वाली यह बात कि उन्होंने इस घटना के बारे में सेना द्वारा जारी किए अधिकारिक बयान में जानबूझर बदलाव किए-बदलाव पाक सरकार और पाक सेना को इस हमले जिम्मेदारी से बचाने के लिए किए गए।
सेना के बयान में बदले गए अंश का उदाहरण:
पीआईबी (रक्षा विभाग) का प्रेस वक्तव्य कहता है: ”हमला पाक सेना के जवानों के साथ लगभग 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा किया गया।” रक्षा मंत्री एंटोनी ने कहा: ”हमला 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहले लोगों से साथ मिलकर किया।”
संसद का वर्तमान सत्र शुरु होने से पूर्व ही प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया में प्रकाशित हुआ था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ वार्ता करने वाले हैं और वह भी 26/11 के मुंबई के आतंकवादी हमलों के अपराधियों को भारत को सौंप जाने की शर्त को भुलाकर। इसलिए संसद को एंटोनी के 8 अगस्त के संशोधित वक्तव्य में यह देखकर प्रसन्नता हुई कि ”पाकिस्तान की आतंकवादियों के नेटवर्क संगठन और ढांचे को नेस्तानबूद करने में निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और नवम्बर, 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने में संतोषजनक कदम उठाने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय हो सके।
घटनास्थल पर सेनाध्यक्ष के दौरे और रक्षा मंत्री को पूरे तथ्यों की जानकारी देने के बाद संसद में मंत्री के संशोधित संस्करण में पाकिस्तान को निम्न शब्दों में चेतावनी दी गई:
”निश्चित तौर पर इस घटना का पाकिस्तान के साथ हमारे सम्बन्धों और नियंत्रण रेखा पर हमारे व्यवहार पर असर पड़ेगा। हमारे संयम को कमजोरी नहीं समझना चाहिए और हमारी सशस्त्र सेना की क्षमता को तथा हमारे इस दृढ़ निश्चय को कि हम नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे, कम करके नहीं आंका जाना चाहिए था।”

New case of Human Infection with Avian Influenza A(H7N9) virus Has Been Detected In China

11 AUGUST 2013 – First new case of human infection with avian influenza A(H7N9) virus has been detected and confirmed since 20 July 2013.The patient is in a critical condition.
As per the W H O this infected patient is a 51-year-old woman from Huizhou, Guangdong Province. She became ill on 27 July 2013, was admitted to a local hospital on 28 July 2013 and transferred to a hospital in Huizhou City on 3 August 2013. She is currently in a critical condition.
Laboratory test conducted by Guangdong Provincial Centre for Disease Control on 9 August 2013 was positive for avian influenza A(H7N9) virus infection, and was confirmed by the Beijing Municipal Center for Disease Control (CDC) on 10 August 2013.
To date, WHO has been informed of a total of 135 laboratory-confirmed human cases with avian influenza A(H7N9) virus including 44 deaths.
Currently, four cases are hospitalised and 87 have been discharged. There is no evidence of sustained human to human transmission.The Chinese government continues to take strict monitoring, prevention and control measures, including: strengthening of epidemic surveillance and analysis; deployment of medical treatment; conducting public risk communication and information dissemination; strengthening international cooperation and exchanges; and is continuing to carry out scientific research.
WHO does not advise special screening at points of entry with regard to this event, nor does it currently recommend any travel or trade restriction

डॉ. अजय छिब्‍बर ने, सरकारी हस्‍तक्षेप के बिना अपनी समीक्षाओं को सार्वजनिक करने के अधिकार के साथ , स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन कार्यालय का कार्यभार संभाला

डॉ. अजय छिब्‍बर ने आज भारत के स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन कार्यालय (आईईओ) के पहले महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाल लिया। यह संस्‍था योजना कार्यक्रमों, खासतौर से प्रमुख कार्यक्रमों का स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन करेगी और कार्यक्रमों की प्रभावितकता, प्रासंगिकता तथा इसके प्रभाव का विश्‍लेषण भी करेगी। उसे सार्वजनिक वित्‍त पोषण वाले या सरकार की तरफ से प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष गारंटी वाले किसी भी कार्यक्रम के स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन का अधिकार होगा। संस्‍था को बिना सरकारी हस्‍तक्षेप के अपनी समीक्षाओं को सार्वजनिक करने का अधिकार भी होगा। आईईओ खुले परामर्श और सिविल सोसायटी तथा जनता के साथ वार्तालाप के जरिए निर्णय करने में सक्षम होगा।
आईईओ की गतिविधियां उसकी वेबसाइट पर देखी जा सकती हैं, जहां भारत सरकार की सभी नीतियों और कार्यक्रमों का स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन उपलब्‍ध रहेगा। संस्‍था की मूल्‍यांकन रिपोर्ट को संसद और प्रधानमंत्री कार्यालय में पेश किया जाएगा।
आईईओ के महानिदेशक का पद केन्‍द्रीय राज्‍यमंत्री के बराबर होगा और उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा, जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। संस्‍था के कर्मचारियों को चयन बिना किसी हस्‍तक्षेप के महानिदेशक द्वारा किया जाएगा। महानिदेशक के आग्रह पर संस्‍था को स्‍वतंत्र एवं समुचित बजट प्रदान किया जाएगा।

violation of the environmental regulations,In The Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh,Is Established

The committee headed by Saroj, a director in the environment ministry has submitted report on the adverse environmental impact of alleged illegal sand mining in the UP district. This Panel has established The violation of the environmental regulations Act, 1957 .
The Ministry of Environment & Forest vide office order no. Z-11013/170/2013-IA.II(M) dated 6th August, 2013 constituted a three member Committee comprising of [1]Dr. Saroj, Director, M o E F, New Delhi, [2] Shri G.C. Meena, Deputy Collector of Mines, Incharge Dehradun Office of I B M, Dehradun,[3] Dr. K. K. Garg, Director, Regional Office of M o E F, Lucknow to inquire into the adverse environmental impact of the alleged illegal sand mining in Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh.
From the very beginning Govt.of Uttare Pradesh has been denying any illegal sand mining in the area ,Specially by the ruling party’s leaders.
Information is now received through the Sources, that This Panel has refuted the claim of the State govt and established the violation of the environmental regulations Act, 1957 by endorsing the findings of Rampant+ Unscientific and Illegal mining going on at various locations in the Gautam Buddh Nagar district along the Yamuna River in Uttar Pradesh.
It may be added that The 2010-batch IAS officer was suspended by the Uttar Pradesh government in the wake of the crackdown, sparking nation-wide outrage.Now She In Being Harassed By the leaders.
28-year-old SDM (sadar)of GB Nagar, Durga Shakti Nagpal who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a mosque’s wall, which was under construction, allegedly without following the due process. Now It Is Alleged that This Case Was Also Fabricated By The Sand MAFIA

“आप” पार्टी ने चर्चित पीड़ित अशोक खेमका को हरियाणा के सी एम् के खिलाफ चुनाव लड़ने का न्यौता दिया

हरियाणा के पीड़ित और चर्चित आई ऐ एस अधिकारी अशोक खेमका ने सत्ता रुड यूं पी ऐ अध्यक्षा श्री मति सोनिया गाँधी के दामाद राबर्ट वढेरा पर लगाये अपने आरोप को दोहराते हुए अपना जवाब हरियाणा सरकार की तरफ से गठित एक समिति को सौंप दिया है। १०० पेजों के इस जवाब में खेमका ने दोहराया है कि
रॉबर्ट वाड्रा और रियल स्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच गुड़गांव के शिखोहपुर गांव में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 3.53 एकड़ की जमीन का सौदा हुआ था।इससे राजनीती फिर से गरमा गई है|
२१ साल कि नौकरी में तबादलों के ४० दंश झेल चुके श्री खेमका के अनुसार श्री वढेरा ने गुड़गांव में 3.53 एकड़ जमीन के लिए दस्तावेजों में हेरफेर की और एक कमर्शियल कॉलोनी के लाइसेंस पर भारी-भरकम राशि जेब में रखी. खेमका ने कहा कि जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द किए जाने वाले उनके फैसले पर तुरंत अमल होना चाहिए। यदि इस मामले में कोई पक्ष असंतुष्ट हो तो वह कोर्ट का रुख कर सकता है।

'आप ' पार्टी

‘आप ‘ पार्टी

आम आदमी पार्टी[आप] ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की जमीन के सौदे को फर्जी बताने वाले हरियाणा के इस चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को आप पार्टी में शामिल होकर हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ चुनाव लड़ने और उन्हें हराने के लिए आमंत्रित कर दिया किया है। इससे पहले आप ने नॉएडा की एस डी एम् दुर्गा शक्ति नागपाल को भी पार्टी ज्वाइन करने का न्योता दिया हुआ है| अरविन्द केजरीवाल ने ट्विट किया है कि अशोक खेमका और दुर्गा शक्ति नागपाल जैसे लोग विधानसभाओं और संसद में होने चाहिए और उन्हें कानून बनाना चाहिए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार ने किसी पक्ष की कोई तरफदारी नहीं की.|मुख्य सचिव (पी के चौधरी) मामले को देख रहे हैं और वह इसका अध्ययन कर रहे हैं.|
यूं पी में दुर्गा शक्ति नागपाल का उत्पीडन कर रहे सपा के सांसद नरेश अग्रवाल ने जमीन घोटाले का खुलासा करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका पर ही हमला बोला है.उन्होंने तो खेमका की रिपोर्ट को ही , मानाने से इंकार करके खारिज ख़ारिज कर दिया|
हरियाणा में मुख्य विपक्षी इंडियन नेशनल लोकदल[ INLD ] के महासचिव अभय चौटाला ने हरियाणा की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्रीके इस्तीफे के साथ मामले में एफआईआर दर्ज करने की भी मांग भी की है
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
साध्वी उमा भारती ने कहा कि बिना जांच किए ही रॉबर्ट वॉड्रा को पीएमओ से क्लीन चिट दे दी गई. इससे पता चलता है कि सरकार रॉबर्ट वॉड्रा को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है.
. कांग्रेस नेता और पूर्व रेलमंत्री पवन बंसल ने कहा कि रॉबर्ट वॉड्रा पर लगे आरोप सरासर गलत हैं और ये पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है.
कांग्रेस नेता संजय झा ने कहा कि घोटाले का आरोप लगाने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को कोर्ट जाना चाहिए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार खेमका ने राबर्ट वढेरा की जमीन के सौदे के मामले में हरियाणा सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राबर्ट वाड्रा ने गुडगांव में गलत दस्तावेजों के जरिए जमीन का सौदा किया। यह मामला गुड़गांव के शिकोहपुर में साढ़े तीन एकड़ जमीन का है। यह वही जमीन है जिसके सौदे की जांच करने के बाद आईएएस खेमका ने जमीन की रजिस्ट्री को ही रद्द कर दिया था।
वढेरा और डीएलएफ के बीच डील में हुई कथित धांधली के आरोप लगने के बाद हरियाणा सरकार ने अक्टूबर 2012 में जांच समिति गठित की थी। इस समिति ने खेमका से सौदा रद्द कर पर जवाब मांगा था। मई 2013 को खेमका ने जवाब के तौर पर अपनी 100 पेज की रिपोर्ट समिति को सौंपी।
रिपोर्ट सौंपने के तीन महीने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

Budget Air Line Spice Jet has been penalized With Rs one lakh for Cruelty and Breach Of Contract

[New Delhi]:Budget Air Line Spice Jet has been penalized With Rs one lakh for Breach Of Contract and Cruelty
Budget Air Line Spice Jet has been directed by East District Consumer Disputes Redressal Forum in New Delhi to pay Rs one lakh to a passenger for not allowing all members of his family to board the plane .This family was having confirmed tickets for Delhi from Goa.but they were not allowed to board the plane . They All were forced to travel on two different flights while returning to Delhi from Goa. The East District Consumer Forum noted that it was “cruelty” on the part of SpiceJet to split the family into two groups especially when they had children with them and held it guilty of unfair trade practice.It is alleged that air lines sold tickets more then available seats. Out of four only three members of the family of Manu Digvijay singh were allowed to board the plane.

भारतीय प्रति‍स्‍पर्धा आयोग ने 11 जूता कंपनि‍यों पर 6.25 करोड़ रूपए का जुर्माना ठोका

भारतीय प्रति‍स्‍पर्धा आयोग[ competition Commission of India ] ने एक नि‍वि‍दा के मामले में 11 जूता कंपनि‍यों पर 6.25 करोड़ रूपए का जुर्माना ठोका जिसके भुगतान के लिए दो माह का समय दिया गया है| वि‍त्‍तीय वर्ष के सकल कारोबार के औसत पर पाँच %की दर से जुर्मानें की गणना की गई है|
भारतीय प्रति‍स्‍पर्धा आयोग ने पोलि‍स्‍टर बलेन्‍डड डक एंकल बूट्स रबर सोल की आपूर्ति‍ से संबंधि‍त एक नि‍वि‍दा के मामले में 11 कंपनि‍यों पर 625.43 लाख रूपए का जुर्माना कि‍या।
आयोग के समक्ष आपूर्ति‍ एवं नि‍पटान महानि‍देशक ने एक मामला दाखि‍ल कि‍या था।
आयोग ने पाया कि‍ इन 11 कंपनि‍यों ने प्रति‍स्‍पर्धा अधि‍नि‍यम 2002 के प्रावधानो का उल्‍लंघन कि‍या है। आयोग ने 2008-09, 2009-10 और 2010-11 के वि‍त्‍तीय वर्ष के सकल कारोबार के औसत पर पाँच %की दर से जुर्मानें की गणना की है।
आयोग ने इन कंपनि‍यों को आदेश प्राप्‍त होने के 60 दि‍न के भीतर जुर्माना जमा करने का नि‍र्देश दि‍या है।
आयोग का आदेश 2012 के मामला न. एक के संदर्भ में जारी कि‍या गया है
गौरतलब है कि भारतीय प्रति‍स्‍पर्धा आयोग देश की एक विनियामक संस्था है। इसका उद्देश्य स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढावा देना है ताकि बाजार [उपभोक्ता|उपभोक्ताओं]] के हित का साधन बनाया जा सके। बीते साल के जून माह में भी इसी आयोग ने 11 सीमेंट कंपनियों को व्यापार संघ बनाकर कीमत का निर्धारण करने का दोषी ठहराते हुए ६000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था