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आई ओ सी का चार्टर नहीं मानने के आरोप में भारतीय ओलम्पिक संघ निलंबित :षड्यंत्र का आरोप

अन्तराष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी [आई ओ सी] का चार्टर नहीं मानने के आरोप में भारतीय ओलम्पिक संघ[ आई ओ ऐ] को निलंबित कर दिया गया है| आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की स्विट्जरलैंड के लुसाने में शुरू हुई दो दिवसीय बैठक में आईओए को निलंबित करने का फैसला किया गया। आईओसी ने आईओए के चुनाव खेल संहिता के तहत कराने पर पहले ही नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भारत के निलंबन का प्रस्ताव पेश करेगा। आई ओ ऐ ने इसके लिए आई ओ सी में गए एक प्रतिद्वन्दी भारतीय प्रतिनिधि का एक षड्यंत्र बताया है|

आई ओ सी का चार्टर नहीं मानने के आरोप में भारतीय ओलम्पिक संघ निलंबित :षड्यंत्र का आरोप


भारत ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में भारतीय झंडे के साथ हिस्सा नहीं ले पाएगा। आई ओ सी से फंड्स भी रोके जा सकते हैं|
इस निलंबन के फलस्वरूप आई ओ ऐ को इंटरनेशल ओलिंपिक कमेटी से फंड नहीं मिल सकेंगे। साथ ही भारतीय अधिकारी किसी भी ओलिंपिक मीटिंग में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। भारतीय खेल जगत के लिए इसे एक तगड़ा झटका माना जा रहा है।
समाचार एजेंसी एपी ने भी इस फैसले की जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों के हवाले से यह खबर प्रकाशित की है एजेंसी के अनुसार आईओसी ने पहले से चेतावनी दी थी कि अगर आईओए के चुनाव ओलंपिक चार्टर के बजाय भारत सरकार के नियमों के आधार पर होते हैं तो वो उसकी मान्यता सस्पेंड कर देगा। यही नहीं आईओसी की एथिक्स कमेटी का भी कहना था कि आईओए में किसी दागी पदाधिकारी का चुनाव नहीं होना चाहिए लेकिन कॉमनवेल्थ घोटाले में एक साल से जेल की हवा खा रहे ललित भनोट को आईओए का निर्विरोध महासचिव चुन लिया गया।बुधवार को होने वाले भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के चुनावों से एक दिन पहले आईओसी का यह फैसला आया है।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने मीडिया के समक्ष यदपि अभी आधिकारिक तौर पर निर्णय प्राप्ति से इंकार किया है मगर उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ के दो अधिकारियों नरिंदर बत्रा और आरके आनंद के अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के आला अधिकारियों के साथ बैठक के लिए स्विट्जरलैंड जाने की बात जरूर कही इसके अलावा उन्होंने आई ओ सी में गए एक भरतीय प्रतिनिधि परउनके खिलाफ सद्यन्त्र रचाने का आरोप भी लगा दिया|
आईओसी लगातार आईओए से कह रहा था कि वह अपने संविधान और ओलिंपिक चार्टर को माने तथा चुनाव के लिए सरकार की खेल संहिता पर नहीं चले।
इस निलंबन के बाद आईओए को आईओसी से मिलने वाला कोष रुक जाएगा और उसके अधिकारियों के ओलंपिक बैठकों और प्रतियोगिताओं में शामिल होने पर प्रतिबंध होगा।

संसद में ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी

भारतीय संसद में आज मंगलवार को ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी है|इस पर वोटिंग कल होगी | विपक्ष की नेत्री सुषमा स्वराज ने अपनी बहस के दौरान तीन बार पानी पीकर , जहाँ तीखे तेवरों में, अनेकों आंकड़ों के साथ ,सरकार की ऍफ़ डी आई नीति को विकास की सीढ़ी नहीं बल्कि विनाश का गड्ढा बताया तो कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने उसी तेवर में विपक्ष के दावों का खंडन करने के लिए अनेको आकडे प्रस्तुत करके अपनी नेत्री श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधान मंत्री के चेहरे पर मुस्कान ला दी मगर सपा के मुलायम सिंह यादव ने अपने संक्षिप्त संबोधन में ऍफ़ डी आई का विरोध करके सत्ता पक्ष की इस मुस्कान को गायब कर दिया|

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज

संसद में ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी


ने कहा कि विदेशी किराना का फैसला सरकार वापस ले। उन्होंने कहा कि” मैं आपको वोट के जरिए हराकर नहीं बल्कि मना करके जीतना चाहती हूं क्योंकि यही देशहित में है”.| उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अमीरों और विदेशी कंपनियों की लड़ाई लड़ रहे हैं. हर चौराहे पर जब विदेशी कंपनियों के किराना स्‍टोर खुलेंगे तब जाकर 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा|उन्होंने कहा ” मैं प्रधानमंत्री से गुजारिश करती हूं कि जब दुनिया में इसके विरोध में आवाज़ें उठ रहीं हैं तो फिर भारत में इसे लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है.” 2011 में भी इस फैसले का विरोध हुआ था। अमेरिका अपने यहां छोटे उद्योग को बढ़ावा दे रहा है. राष्ट्रपति ओबामा खुद ही शनिवार को छोटे दुकानों में शॉपिंग करने जाते हैं.|९०% फीसदी माल चीन से आएगा। एकाधिकारी बाजार उपभोक्ता के हित में नहीं है। प्रतियोगी बाजार उपभोक्ता के हित में होता है। यह विकास की सीढ़ी नहीं, विनाश का गड्ढा है।

उधर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल

ने एफडीआई के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इससे देश में निवेश आएगा. ”कोई भी अगर एफडीआई में आना चाहता है तो उसको 100 मिलियन ड़ालर (10 करोड़ डॉलर) का निवेश करना पड़ेगा.”जिसमे से ५० करोड़ डालर्स स्थानीय विकास में लगाया जाएगा|
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि बड़ी कंपनियों को इससे बहुत फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि चीन में जब 1992 को एफडीआई को इजाज़त दी गई तो व़ॉलमार्ट भी आया. ”लेकिन 2008 में वो पहली बार मुनाफे में आया तब तक वो घाटे में था.” इसके अलावा उन्होंने आंकड़े प्रस्तुतु करते हुए केवल १८ शहरों में ही वाल मार्ट के आने की संभावना जताई|और दिल्ली का उदहारण देते हुए बताया कि उनके चुनाव छेत्र चांदनी चौक में न तो जगह है और नाही खरीददार |ऐसे में यह कहना कि वाल मार्ट देश पर कब्जा कर लेगा, बेबुनियाद है|

मुलायम सिंह यादव

ने ऍफ़ डी आई का विरोध करते हुए कोका कोला और पेप्सी का उदहारण दिया और इसे किसान और छोटे व्यापारियों के विरोध में बताया |उन्होंने पार्टी लाईन से ऊपर उठ कर देश हित में ऍफ़ डी आई को वापिस ले लिए जाने की मांग की
इससे पहले बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा ने मांग की थी कि फेमा के लिए संसद में अलग से चर्चा और वोटिंग की जाए.लेकिन समान विषय होने के कारण अध्यक्षा महोदया ने इसकी इजाजत नहीं दी

प्रधान मंत्री पद के लिए भाजपा और सपा में ख्वाहमखः लट्ठम लट्ठ नहीं है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक सोश्लाईट

ओये झल्लेया लोक तंत्र का ये क्या मज़ाक उड़ाया जा रहा है ? पहले तो गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भाजपाई को भी फूटी आँखों नहीं सुहाते थे अब सभी उसी नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का प्रबल दावेदार बताते नहीं अघा [थक]रहे|इसके साथ ही एक और कमाल हो गया कांग्रेस से तड़ीपार घोर कांग्रेसी एन के तिवारी ने भी अगला प्रधान मंत्री सपा के मुलायम सिंह यादव को घोषित करके खलबली मचा दी है|

प्रधान मंत्री पद के लिए भाजपा और सपा में ख्वाहमखः लट्ठम लट्ठ नहीं है

झल्ला

ओ बाबू साहब ये जुलाहों में ख्वाहमखः लट्ठम लट्ठ नहीं है |गुजरात की जनता अपने प्रदेश के व्यक्ति को प्रधान मंत्री बनते देखने के लिए उसे भारी मत से मुख्य मंत्री जरूर बना सकती है |और जहां तक तिवारी जी का सवाल है तो बुढापे में एक अदद लाठी की जरुरत तो सबको होती ही है|

चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक रडार पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच भी आ गई है

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक रडार पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की मेरठ के लिए खंडपीठ (बेंच) भी आ गई है| केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद मेरठ में एयरपोर्ट के लिए प्रयासरत चौधरी अजित सिंह अब अपने राजनीतिक प्रभावी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ (बेंच) के लिए सक्रिय हो गए हैं। जाहिर है कि मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच के मुद्दे को स्पोर्ट करके रालोद प्रमुख ने प्रदेश सरकार के लिए सरदर्दी बड़ा दी है|
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों व वादकारियों की लगभग तीन दशक पुरानी मांग को पूरा कराने के लिए उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार का दरवाजा खटखटाया है। कानून मंत्री से मुलाकात के बाद चौधरी अजित सिंह इस मामले में सकारात्मक नतीजे की उम्मीद लगाए हुए हैं।
हाईकोर्ट बेंच केन्द्रीय संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार से मुलाकात कर अजित सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की मेरठ में बेंच स्थापित करने की कई वजह गिनाईं। [१]इलाहाबाद हाई कोर्ट में जितने मुकदमे चल रहे हैं, उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के काफी ज्यादा मामले हैं। [२], 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट (लखनऊ बेंच समेत) में 99 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं। [३]लखनऊ बेंच समेत इस हाई कोर्ट में 160 जजों के स्वीकृत पदों में से लगभग आधे खाली पड़े हैं।

चौधरी अजित सिंह


गौरतलब है कि मेरठ में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ की मांग तीन दशक पुरानी है। कई बार लंबे आंदोलन हो चुके हैं। एक बार तो दाताराम शिंगल [अब स्वर्गीय] आदि के संचालन में जेल भरो आन्दोलन भी चलाया जा चुका है| एक कमीशन भी इसकी संस्तुति काफी पहले कर चुका है। खंडपीठ की स्थापना में सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और उम्मीद है कि सरकार लगभग 30 साल पुरानी इस मांग को पूरा कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगी।
अजित सिंह की इस सक्रियता को रालोद की तरफ से लोकसभा की चुनावी तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रतिनिधि मंडल में संघर्ष समिति के चेयरमैन अशोक शर्मा +संयोजक सुधीर पवार+ एम पी शर्मा+गजेन्द्र सिंह धामा, जितेन्द्र मोहन शर्मा आदि शामिल रहे।
बताते चलें कि पिछले दिनों छेत्र में राजनीतिक पकड़ के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की सरकार और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के बीच एक अघोषित जंग जारी है| केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय मेरठ के अलावा प्रदेश में एयर पोर्ट विकसित करने में इच्छुक है मगर मंत्रालय को प्रदेश सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा रही|उलटे इस पहल का मज़ाक उड़ाया जा रहा है|काबिना मंत्री श्री आज़म खान राम पुर में एयर पोर्ट की जरुरत बताते हैं तो अखिलेश यादव भी मेरठ के बजाय इस्टर्न यूं पी को प्राथमिकता दिए जाने की वकालत करते नजर आते हैं|
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगाने पर अब मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच की दशकों पुराणी मांग को पुनः उठा कर प्रदेश सरकार के लिए सरदर्दी बड़ा दी है|

पूर्व प्रधान मंत्री पुरुषार्थी आई के गुजराल पञ्च तत्व में विलीन:सात दिन का राजकीय शोक

पूर्व प्रधानमंत्री पुरुषार्थी इंद्र कुमार गुजराल का पार्थिव शरीर आज शनिवार को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गया।दिल्ली में राजघाट के निकट स्थल पर दोपहर तीन बजे उनके ज्येष्ठ पुत्र एवं शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी।श्री गुजराल के सम्मान में सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है|

पूर्व प्रधान मंत्री पुरुषार्थी आई के गुजराल पञ्च तत्व में विलीन:सात दिन का राजकीय शोक


श्री गुजराल का कल गुडगांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। वह 92 वर्ष के थे। इस मौके पर सेना के तीनों अंगों ने उन्हें सशस्त्र सलामी दी और उनके सम्मान में शीश झुकाये अंत्येष्टि के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी+ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी+ यूं पी ऐ अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के अलावा + भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली सहित विभिन्न दलों के नेता अपनी पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर वहां उपस्थित थे।
इससे पूर्व तिरंगे में लिपटे गुजराल के पार्थिव शरीर को पांच जनपथ स्थित उनके आवास से स्मृति स्थल लाया गया। उनका पार्थिव शरीर फूलों से सजे एक वाहन से स्मृति स्थल ले जाया गया। साथ में सैन्यकर्मी और करीबी रिश्तेदार भी थे। सशस्त्र सेना के तीनों अंगों के अधिकारी गुजराल के पार्थिव शरीर को दाह संस्कार स्थल तक लेकर गये।
आज सुबह से ही उन्‍हें श्रद्धां‍‍जलि देने के लिए बड़े राजनीतिज्ञ आते रहे। उनके निधन पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, मीरा कुमार, लालकृष्‍ण आडवाणी ने शोक व्‍यक्‍त किया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि गुजराल के निधन से मैनें एक करीबी दोस्‍त खो दिया। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, गुजराल के निधन से हमारे देश ने एक स्वतंत्रता सेनानी, एक महान देशभक्त और एक विद्वान राजनीतिज्ञ खो दिया पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल को दिल्ली में अंतिम विदाई दे दी गई. उनका पार्थिव शरीर पंचततंत्व में विलीन हो गया. स्मृति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल का अंतिम संस्कार हुआ. इससे पहले उनके आवास पर उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था. गुजराल साहब के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा|

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की निजी वेबसाइट भी हैक हो गई

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की निजी वेबसाइट को हैक करके अस्थाई रूप से उसका स्वरूप बिगाड़ दिया गया ।
श्री सिब्बल की गलत छवि पेश करने के लिए कल वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट कपिलसिब्बलएमपी डॉट कॉम को निशाना बनाया गया और उसमे प्रकाशित सामग्री में छेड़छाड़ की गयी। संसद में चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सिब्बल इस पोर्टल का इस्तेमाल अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ संवाद करने के लिए करते हैं।

Kapil Sibal

बताया जा रहा है कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पर कुछ समूहों ने इंटरनेट सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध का आरोप लगाते हुए उनकी निजी वेबसाइट को हैक कर लिया तथा उसका स्वरूप बिगाड़ दिया। इस वेबसाइट की अधिकतर चीजें दुरूस्त कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है| लेकिन ब्लॉग, गैलरी, भाषण और बातचीत जैसे कई खंड अब भी काम नहीं कर रहे।
इसी बीच सरकार ने कहा कि जनवरी-अक्तूबर, 2012 के दौरान विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों की 294 वेबसाइट हैक हुई है
सामाजिक दूरियों को दूर करने की नियत से डेवेलप किये गए सोशल साईट्स का नफरत फैलाने के लिए या अपने स्कोर सेटल करने के लिए किया जा रहा दुरूपयोग एक चिंता का विषय बनता जा रहा है| जहां इसके विषय में पर्याप्त जानकारी का न होना+प्रभावी कानून की अनुपस्थिति+ पोलिस गिरी+और इसके प्रभाव को सिमित करने की जद्दोजहद में इसका दुरूपयोग बदता जा रहा है यहाँ तक कि सरकारी मंत्री का एकाउंट भी हैक कर लिया गया है|इस विषय में एक प्रभावी कानून और उसका पालन करने वाले प्रशिक्षित स्टाफ कि जरुरत है|

येदियुरप्पा ने भाजपा से नाता तोड़ने की ओपचारिकता पूरी कर दी

बाग़ी पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने अज शुक्रवार को भाजपा से नाता तोड़ने की ओपचारिकता पूरी कर दी| कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी को एक कड़ा झटका देते हुए पार्टी छोड़ दी, उन्होंने राज्य में भाजपा को खड़ी करने में 40 साल तक अपना पूरा सहयोग दिया था। भाजपा के अनुसार इस इस्तीफे से राज्य की जगदीश शेट्टर सरकार पर तत्काल प्रभाव पड़ने की कोई संभावना नहीं है।पिछले काफी समय से येदियुरप्पा पार्टी से नाराज़ चल रहे थे |

येदियुरप्पा ने भाजपा से नाता तोड़ने की ओपचारिकता पूरी कर दी


श्री येदियुरप्पा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र फैक्स किया। बाद में वह विधानसभा अध्यक्ष के जी बोपैया से मिले और उन्होंने उन्हें सदन की सदस्यता से अपना इस्तीफा सौंपा। वह जनसंघ के दिनों से ही भाजपा से जुड़े थे।
भाजपा नेतृत्व पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि मैं पार्टी छोड़ने का यह कठिन निर्णय लेने के लिए बाध्य हुआ हूं, जबकि मैंने ही राज्य में इसे खड़ा किया था।
उन्होंने कहा कि ये महज कुछ नेता थे जिन्होंने मुझे इतनी दूर धकेल दिया, जहां से मैं नहीं लौट सकता।
एक न्यूज चैनल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भविष्य में किसी भी पार्टी का सहयोग नहीं लेंगें|

बारहवें [पूर्व]प्रधान मंत्री पुरुषार्थी इंद्र कुमार गुजराल नहीं रहे :श्रधान्जली

पूर्व प्रधानमंत्री पुरुषार्थी+स्वतन्त्रता सेनानी इंद्र कुमार गुजराल का आज शुक्रवार दोपहर साड़े तीन बजे निधन हो गया। श्री गुजराल को 19 नवंबर को गुडगांव के मेडिसिटी मेदांता हास्पिटल में फेफड़े के संक्रमण के इलाज़ के लिए भर्ती कराया गया था। पिछले दो-तीन दिन से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। डॉ नरेश त्रेहान के नतृत्व में नौ डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल कर रही थी। अंतिम संस्कार कल शनिवार को दिल्ली में होगा। विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए श्री गुजराल भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। इसे पूर्व 1950 के दशक में वे एनडीएमसी के अध्यक्ष बने और उसके बाद केंद्रीय मंत्री बने और फिर रूस में भारत के राजदूत भी रहे। जमोस न्यूज़.काम परिवार की एक विनम्र श्रधान्जली |

बारहवें [पूर्व]प्रधान मंत्री पुरुषार्थी इंद्र कुमार गुजराल


अच्छे पड़ोसी संबंध को बनाए रखने के लिए ‘गुजराल सिद्धांत’ [डाक्टराइन] का प्रवर्तन करने वाले गुजराल कांग्रेस छोड़कर 1980 के दशक में जनता दल में शामिल हो गए। वह 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में [१]विदेशमंत्री बने। विदेशमंत्री के तौर पर इराकी आक्रमण के बाद वह कुवैत संकट के दुष्परिणामों से निपटे, जिसमें हजारों भारतीय विस्थापित हो गए थे।वह 1998 में पंजाब के जालंधर से लोकसभा में अकाली दल के सहयोग से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने गए। उनकी सरकार का विवादास्पद निर्णय 1997 में उत्तर प्रदेश में [२]राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करना था। तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उस पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया और पुनर्विचार के लिए इसे सरकार के पास वापस भेज दिया। उनकी पत्नी शीला गुजराल कवयित्री और लेखिका थीं, जिनका निधन, 2011 में हो गया। उनके भाई सतीश गुजराल मशहूर पेंटर और वास्तुविद हैं उनके परिवार में दो बेटे हैं, जिनमें एक नरेश गुजराल राज्यसभा के सदस्य और अकाली दल के नेता हैं।
एचडी देवेगौड़ा की सरकार में गुजराल दूसरी बार विदेशमंत्री बने और बाद में जब कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया, तो 1997 में वह प्रधानमंत्री बने। लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह और अन्य नेताओं सहित संयुक्त मोर्चे की सरकार में गंभीर मतभेद होने के बाद वह सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरे। यह अलग बात है कि उनकी सरकार कुछ महीने ही चली, क्योंकि राजीव गांधी की हत्या पर जैन आयोग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस फिर असंतुष्ट हो गई।
लोकसभा में गुजराल के निधन की सूचना देते हुए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री 93 वर्षीय इंद्र कुमार गुजराल का निधन साढ़े तीन बजे गुडगांव के मेदांता हास्पिटल में हुआ। गुजराल के निधन की खबर के बाद दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

निधन से पहले ही श्रधान्जली

झारखंड विधानसभा में आज पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के निधन के पहले ही सदन में उन्हें श्रृद्धांजलि दे दी गई।
राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कार्यवाही शुरू होने पर गुजराल के निधन के पहले ही विधानसभा में उन्हें श्रद्धांजलि दे दी गई। इसके बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
श्री गुजराल को म्रदुभाषी + कुशल राजनयिक+ महान दार्शनिक+सज्जन राजनितिज्ञ माना जाता रहा है। गुजराल को उनके सिद्धांतों के कारण जाना जाता है। उनक तर्क था कि भारत को अपने पड़ोसियों के साथ उदारता से व्यवहार करना चाहिए। गुजराल का जन्म चार दिसंबर 1919 को झेलम (अविभाजित पंजाब) में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुजराल 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी जा चुके हैं।

ऍफ़ डी आई पर चर्चा के लिए सरकार ने नियम १९३ की जिद छोडी :किसी भी नियम में चर्चा को तैयार

संसद के शीत कालीन सत्र के चार महत्वपूर्ण दिन[छह करोड़ रुपय्ये] बर्बाद होने के उपरान्त केंद्र सरकार ऍफ़ डी आई पर नियम १९३ के तहत चर्चा कराने की अपनी जिद छोड़ कर किसी भी धारा में चर्चा कराने को राजी हो गई है| रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार ने आज मंगलवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर संसद में किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने के लिए तैयार है, लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ही लेंगी.
यूपीए की समन्वय समिति की आज मंगलवार को हुई बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा, “केंद्र सरकार किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने के खिलाफ नहीं है. हम मतदान को लेकर चिंतित नहीं हैं.”
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों के हंगामे के कारण मंगलवार को लगातार चौथे दिन संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही बाधित हुई. इसी के मद्देनजर यूपीए की समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई थी|
श्री कमलनाथ ने कहा, “बैठक में शामिल अत्यधिक सदस्यों ने किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने का समर्थन किया. इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को अवगत कराऊंगा. इस पर फैसला वही करेंगी.”
बीजेपी और वामपंथी दल इस मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं, हालांकि दूसरे दल सिर्फ इस पर बहस की मांग कर रहे हैं और वे बहस के हक में नहीं हैं|बीते दिन स्वास्थ्य मंत्री ग़ुलाम नबी आजाद की डी एम् के के करूणानिधि से हुई मुलाकात के बाद सरकार अपने यूं पी ऐ को एक जुट रखने में सक्षम दिख रही है तभी वोटिंग करने के लिए राजी हो गई लगती है|

Indian Parliament

उत्तर प्रदेश विधान सभा को भी आज हंगामे की भेंट चड़ाया गया :प्रश्न काल स्थगित

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज सोमवार को विपक्ष के हंगामे के बीच अखिलेश सरकार ने अपना पहला अनुपूरक बजट पेश कर दिया | भारी हंगामे को देखते हुए पहले सदन की कार्रवाई दो बार 10-10 मिनट के लिए स्‍थगित की गई इसके बाद कार्रवाई 12 बजकर 20 मिनट तक के लिए फिर सवा एक बजे तक के लिए सदन की कार्रवाई स्‍थगित की गई। इस दौरान एक विधायकों में धक्का मुक्की भी हुई|

उत्तर प्रदेश विधान सभा

स्पीकर माता प्रसाद पांडे ने सदन को दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया।

बी एस पी ने उठाया क़ानून व्यवस्था का मुद्दा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज सोमवार को विपक्षी पार्टियों बसपा+भाजपा + राष्‍ट्रीय लोकदल के विधायकों ने जमकर जबरदस्त हंगामा किया | बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने सदन में सरकार विरोधी नारे लगाए और प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाए जाने की मांग की। बसपा नेताओं का आरोप था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। उन्होंने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में जमकर नारेबाजी की, जिसके बाद प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया।. सदन में सरकार के खिलाफ नीले पोस्टर भी लहराए गए| बसपा के सदस्यों ने हाथों में पोस्टर लेकर सभापति के आसन के करीब आकर नारेबाजी की|

रालोद+बी जे पी ने गन्ना भाव को मुद्दा बनाया

इस बीच राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग को लेकर सदन में हंगामा किया.
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि जब तक सरकार सदन में किसानों के लिए गन्ने के समर्थन मूल्य का ऐलान नहीं करेगी, तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा

सत्र अवधि बढाने की मांग

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हमने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मिलकर सदन की कार्यवाही 10 दिन और बढ़ाने की मांग की है। सदन का शीत सत्र इतना छोटा है कि इसमें राज्य की जनता से जुड़े मुद्दों पर सही तरीके से चर्चा नहीं हो सकती.’
भारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानसभा में प्रदेश का अनुपूरक बजट पेश किया. बजट पर चर्चा होने की उम्मीद है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 23 नवंबर से 30 नवंबर तक प्रस्तावित है. सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विधानसभा में सूबे के खेल एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री कामेश्वर उपाध्याय के निधन पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्घांजलि दी गई थी. सत्र बेहद छोटा होने की वजह से विपक्ष लगातार सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है.