या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता ,नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमो नमः
पारम्परिक नव वर्ष सबके लिए मंगल मय ,हो कल्याणकारी हो और लाभ कारी हो \
ऋतू परिवर्तन के शुभ अवसर पर नई ऋतू के स्वागत के लिए मनाये जाने वाले त्योहारों की श्रंखला प्रारम्भ हो गई है|
सांस्कृतिक विभिन्ता से भरे भारत में नव वर्ष का स्वागत करने के लिए अनेकों पौराणिक परम्पराएं हैं इनमे से प्रमुख गुडी पडवा[ महाराष्ट्र ]+उगाडी[ आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ]+चैत्र सुखलाड़ी+नवरेह[कश्मीर] + चेती चाँद[ सिंधी]दुर्गा नवरात्र आदि है
चेती चाँद विशेष रूप से ब्र्ह्माकी सृष्टि रचना को समर्पित है |
[१]राजा राम और महाराज युधिश्धिर का राज्यभिशेक आज के ही दिन हुआ था.
[२]संत झूलेलाल का प्रकाश पर्व है
[3] स्वामी विवेकानंद ने आर्य समाज की स्थापना आज के ही दिन कि थी.
[4] विक्रमादित्य ने शकों को परस्त किया
[५]महर्षि गोतम का जन्मदिवस
कलयुग का प्रारंभ भी आज से ही माना गया है | कलयुग शुरू हुए ५११२ वर्ष होगए|
दुर्गा नवरात्र के इन नौ रातों और दस दिनों में शक्ति +देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह शुभ पर्व [१]पोष [२],चैत्र[३],आषाढ[४]अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
नवरात्रि के नौ रातो में [१]महालक्ष्मी[धन][२] सरस्वती [शिक्षा]और [३]दुर्गा[शक्ति ] के नौ स्वरुपों की पूजा होती है इन्हें ही नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का अर्थ जीवन के दुख कॊ हटाने वाली होता है।
नौं देवियों के स्वरुप निम्न हैं
[१] शैलपुत्री -इसका अर्थ-पहाड़ों की पुत्री होता है।
[२] ब्रह्मचारिणी -इसका अर्थ-ब्रह्मचारीणी।
[३] चन्द्र घंटा -इसका अर्थ-चाँद की तरह चमकने वाली।
[४]कुष्मांडा -इसका अर्थ-पूरा जगत उनके पैर में है।
[५]स्कंदमाता -इसका अर्थ-कार्तिक स्वामी की माता।
[६] कात्यायनी -इसका अर्थ-कात्यायन आश्रम में जन्मि।
[७] कालरात्रि -इसका अर्थ-काल का नाश करने वली।
[८]महागौरी -इसका अर्थ-सफेद रंग वाली मां।
[९] सिद्धिदात्री -इसका अर्थ-सर्व सिद्धि देने वाली।