[मेरठ] भुमध्य रेखा पर आये सुरज की परछाई के साथ अनेकों महत्त्व पूर्ण प्रयोग किये गए| पृथ्वी की गोलाई जानने का यूनिवर्सल पता निकालनेके साथ ही सूरज पर चल रही हलचल और वहां से निकलने वाली लपटो का भी अध्ययन किया गया |
मेरठ में 20 जगह पर छ हजार बालक बालिकाओ ने इन प्रयोगों में भाग लिया|
प्रगति विज्ञान संस्था और जिला विज्ञान क्लब,मेरठ द्वारा सूरज के भुमध्य रेखा पर होने के कारण कई जीवंत प्रयोग मेरठ में 20 जगह पर छ हजार बालक बालिकाओ के साथ किये।
शहर में जहाॅं तीन भागो में बाँट कर सेठ बी.के.माहेश्वरी बालिका इन्टर कालिज में[१] दीपक शर्मा ,
एन.ए.एस.इन्टर कालिज में[२] चरण सिंह ओर सरस्वती शिशु मंदिर में [३]मतीन अंसारी वहीं देहात में सरधना में [४]गीता सचदेवा,हस्तिनापुर में [५]एस.के.भारद्वाज तथा जानी ब्लाक में [६]मनोज कुमार ने समन्वयन किया।
सेठ बी.के.माहेश्वरी बालिका इन्टर कालिज सराय लाल दास में एक तरफ जहाॅं सूरज की परछाई के साथ प्रयोग किये जा रहे थे वही दिल्ली की अंतरिक्ष कंपनी के सहयोग से हाइड्रोजन एल्फा टेलिस्कोप की मदद से सूरज पर चल रही हलचल और निकलने वाली लपटो को सीधे देख पाने का अवसर भी मिला। दिल्ली से आये मनी रामा स्वामी ओर अतिश ंअमन ने बालिकाओ के मन में उठ रहे ढेरो सवालो का जवाब भी दिया।
समन्वयक जिला विज्ञान क्लब दीपक शर्मा ने बताया कि जब सूरज भुमध्य रेखा पर हो तब सबसे छोटी परछाई का कोण उतना ही आता हैं जितना कि वहा का अक्षांतर होता है। और अपने विजिटिंग कार्ड में अपना पता अक्षांतर के रूप में लिखना स्टेटस सिममबल के साथ ही तकनिकी जरूरत भी बन गया है।
किये गये प्रयोग के प्रस्तुती करण अन्य देशो के साथ अब 7 अक्टूवर को होगा।
इस अवसर पर विजय लक्ष्मी गुप्ता,के.के शर्मा,अजित चैधरी,राजेश मोहन,गीता रस्तोगी,वंदना ,सन्धया कुश,राजरानी,अजय सोम,मुजुलिका अग्रवाल,श्रीमती माला का सहयोग भी मिला।
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