तम्बाकू-निरोधी फिल्मों में ‘मुकेश’ और ‘स्पंज’ की जगह अब ‘बच्चा’ और ‘धुआं’ के माध्यम से जाग्रति फैलाई जायेगी
सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन की रोकथाम और व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण नियमन) अधिनियम के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, तम्बाकू-निरोधी गतिविधियों का संचालन एवं नियंत्रण करता है।
इस संदर्भ में 02 अक्टूबर, 2012 से ‘मुकेश’ और ‘स्पंज’ को केन्द्र में रख कर तम्बाकू-निरोधी फिल्में दिखायी जाती रही हैं। मंत्रालय ने निर्णय किया है कि इसकी जगह 02 अक्टूबर, 2013 से ‘बच्चा’ और ‘धुआं’ पर केन्द्रित फिल्में दिखायी जाएंगी। इन फिल्मों को 16 भारतीय भाषाओं में तैयार किया गया है, ताकि तम्बाकू के दुष्परिणाम संबंधी संदेश देशभर में दिया जा सके।
‘बच्चा’ और ‘धुआं’ फिल्म के जरिए ध्रूमपान, तम्बाकू सेवन और ध्रूमपान करने वाले की संगति में रहने पर स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के प्रति सावधान किया जा रहा है। इसके अलावा, ध्रूमपान निरोधी कानून का उल्लंघन करने पर दंड के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। इन फिल्मों को वर्ल्ड लंग फॅाउंडेशन ने तैयार किया है।
उल्लेखनीय है, तम्बाकू सेवन से पूरे विश्व में हर साल लगभग 60 लाख लोगों की जान जाती है। अगर इसपर नियंत्रण नहीं किया गया तो 2030 तक मरने वालों का आंकड़ा 80 लाख प्रति वर्ष तक पहुंच जाने की आशंका है। एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रति वर्ष तम्बाकू सेवन से लगभग 8-9 लाख लोग मरते हैं। इसके अलावा, भारत में प्रतिदिन सिगरेट पीने की शुरुआत करने वाले युवाओं की संख्या 5500 है।यह आंकड़े स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किये गए हैं|
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