राजौरी गार्डन, दिल्ली में माता की चौकी के रूप में सत्संग का आयोजन हुआ । इस सुअवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी द्वारा दिए गए प्रवचन के कुछ अंश प्रस्तुत हैं: :
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि ने बड़ी संख्या में आये श्रधालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमेश्वर अपने नाम में ऐसे समाया है जैसे स्रोतों में जल , पुष्पों में खुशबू एवं लकड़ी में अग्नि । जैसे पुष्प में छिपी खुशबू इत्रकार पुष्प से अलग कर देता है , इसी प्रकार संतजन , भेदीजन हमें युक्ति बताते हैं , परमात्मा के पावन नाम का अभ्यास कराते हैं और हमें परमात्मा के दर्शन कराते हैं ।
हमें अपने पाप और पुण्य सभी प्रभु के चरणों में अर्पित कर देने चाहिए क्योंकि पाप और पुण्य के फल अर्थात दुःखों और सुखों को भोगने के लिए शरीर धारण करना पड़ता है । हम जो भी पुण्य करें , वह निष्काम अर्थात कामना रहित भावना से करना चाहिए | सत्संग करने का अर्थ केवल ढोलक बजाना या भजन गाना ही नहीं है , सत्संग के द्वारा साधक परमात्मा से सामूहिक रूप में प्रार्थना करते है कि हे प्रभु ! हम अबल हैं , आप सबल हैं , हम गुणहीन हैं , आप गुणवान हैं , आप अपने देव – द्वार से हम दीन – हीनों पर कृपा की बरसात करो । हमारी चित्त – चुनरिया को अपने प्रेम और भक्ति से रंग दो ।
I just want to tell you that I am just new to blogs and actually enjoyed this web page. Likely I’m want to bookmark your website . You amazingly have really good articles and reviews. Thanks for sharing your website.