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Category: Politics

हवाई अड्डे के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें तैयार लेकिन पतनाला पुराणी जगह ही गिर रहा है

मेरठ में हवाई पट्टी को हवाई अड्डा बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह तैयार हैं लेकिन इस सबके बावजूद दोनों सरकारों में अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है|इस आपसी लड़ाई में १३३ एकड़ वाली हवाई पट्टी का तक इस्तेमाल भी बंद पडा हुआ है|
सेन्ट्रल सिविल एविएशन मिनिस्ट्री द्वारा ४३३ एकड़ लैंड की मांग की गई है जिसे गावं गगोल+कांशी+ कंचन पुर घोपला से अधिग्रहित की जानी है|
जिस भूमि का ग्रहण किया जाना है उसके लिए साड़े ग्यारह एकड़ भूमि वन विभाग की है|इसके लिए वन विभाग से एन ओ सी[ NOC ] ली जा चुकी है| इसके बदले में सी जाने वाली भूमि की खरीद के लिए एम् डी ऐ [ MDA ] द्वारा कार्यवाही की जानी है|यह अभी फाईलों में ही है|
सरकार के कब्जे में सत्ताईस एकड़ जमीन/ एम् डी ऐ की ढाई एकड़ / गगोल डेरी की दो एकड़ जमें के लिए भी कोई समस्या नही है|ग्राम पंचायत की साड़े सात एकड़ के अलावा प्राईवेट १३४ एकड़ और के लिए भी कोई समस्या नही है लेकिन इसकी रजिस्ट्री अभी लंबित है|
इस सबके अतिरिक्त मुख्य समस्या केंद्र द्वारा ४३३ एकड़ भूमि की मांग को लेकर हुआ है|जिसे पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहित की जानी है| टोटल खर्चा का आधा राज्य सरकार उठाने को तैयार हैं लेकिन इसके साथ आधा खर्चा केंद्र को उठाने की शर्त भी लगा रखी है| इस पर दोनों पक्षों में बातचीत जारी है|
एन सी आर / महानगर में हवाई अड्डे के बनने से दिल्ली के हवाई अड्डे का लोड भी कम होगा।
प्रमुख सचिव नागरिक उड्डयन अनिता सिंह ने मेरठ के डीएम व कमिश्नर को भेजे पत्र में कहा है कि हवाई अड्डे के लिए आवश्यक 433 एकड़ जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाए डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। वह जमीन का सर्वे करके किसानों के नाम व जमीन का ब्यौरा धारा 4 के लिए नागरिक उड्डयन विभाग को भेजेंगे, जिसमें एक माह लगेगा। नागरिक उड्डयन विभाग ने हरी झंडी दी तो जमीन की कीमत की 10 फीसदी राशि जमा करानी होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट मेरठ से मात्र ७० किमी दूर है,लेकिन मेरठ और आस पास से जाने वाला ट्राफिक यहाँ डायवर्ट हो सकेगा|सिविल एविएशन मिनिस्टर चौधरी अजित सिंह भी इसी छेत्र से हैं २०१४ के चुनावों में उतरने से पहले यहाँ कुछ करके दिखाना चाहते हैं लेकिन सूत्रों की माने तो केंद्र द्वारा ४३३ एकड़ भूमि कि मांग कुछ ज्यादा समझी जा रही है|दबी जुबान में यह भी कहा जाता रहा है कि जरुरत से अधिक अधिग्रहित भूमि का इस्तेमाल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माध्यम से किया जाना है इसीलिए केंद्र सरकार को बाज़ार भाव से जमीन की कीमत का आधा खर्च उठाना चाहिए |अब इस सब से ऊपरी टूर से दीखता तो यही है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों तैयार हैं मगर हवाई पट्टीका भविष्य अभी भी उजाले को तरस रहा है|कहा जा सकता है कि सारी बातें सर मात्थे लेकिन पतनाला वहीं पुरानी जगह ही गिर रहा है|

इंटरनेट से सूचना तंत्र में आई क्रांति का भविष्य क्या होगा ;सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से इंटरनेट(अंतरताना)के उपयोग दुरूपयोग और इसके दमन के विषय में रोचक तथ्य दिए हैं| आतंक वादियों द्वारा इसके दुरूपयोग और विक्लिक्स के अनेकों राजनितिक रहस्योद्घाटन और फिर उसके दमन का उल्लेख करके भविष के प्रति चिंता प्रकट की है| प्रस्तुत है सधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से;
गत् सप्ताह एक मित्र ने मुझे ‘इंटरनेट‘ (अंतरताना) से सम्बन्धित एक उत्कृष्ट पुस्तक भेजी, सत्य यह है कि हाल ही के वर्षों में जिन उत्तम पुस्तकों को पढ़ने का मौका मिला, यह उनमें से एक है। पुस्तक का शीर्षक है

”दि न्यू डिजिटल एज”

इस पुस्तक पर की गई टिप्पणियों में

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की टिप्पणी

भी समाहित है, जिसमें वह कहते हैं:
यह पुस्तक इंटरनेट द्वारा सृजित की जा रही नई दुनिया की प्रकृति और इसकी चुनौतियों-दोनों को परिभाषित करती है। यह जन्म ले रही एक प्रौद्योगिक क्रांति का वर्णन करती है। हम इसे कैसे माप पाते हैं, यह देशों, समुदायों और नागरिकों के लिए चुनौती है। एरिक चमस्मिट (Eric schmidt½ और जारेड कोहेन (Jared Cohen½ – इन दोनों से ज्यादा और कौन इसके तात्पर्य को अच्छी तरह से जान सकता है।
इरिक सचमिड्ट, गूगल के इग्जेक्यटिव चेयरमैन हैं और जारेड कोहेन इस पुस्तक के सहयोगी लेखक होने के साथ-साथ गूगल आईडियाज़ के निदेशक हैं।
लेखक द्वारा लिखी गई प्रस्तावना का शुरुआती वाक्य है: ”इंटरनेट उन कुछ चीजों में से है जिसे मनुष्यों ने बनाया लेकिन वे इसे वास्तव में समझते नहीं हैं।”
प्रस्तावना के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है:
”यह पुस्तक गजेट्स, स्माल फोन एप्पस या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में नहीं है, यद्यपि इन प्रत्येक विषयों के बारे में चर्चा की जाएगी….
सर्वाधिक, यह पुस्तक नए डिजिटल युग में मार्गदर्शक मानवीय हाथ के महत्व के बारे में है। संचार प्रौद्योगिकी जिन सभी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, उनका अच्छे या बुरे उपयोग का सारा दारोमदार लोगों पर निर्भर करता है। भूल जाइए उन सभी बातों को जो मशीनों के प्रभावी होने से उठती हैं। हमारे लिए मुख्य है कि भविष्य में क्या होगा।”
मार्च, 2011 में चेन्नई से प्रकाशित हिन्दू ने भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों से सम्बंधित रिपोर्टों की श्रृंखला प्रकाशित करना शुरु किया था, जिनके चलते भारतीय पाठकों को विकीलीक्स नाम के संगठन से घनिष्ठ परिचय हुआ। 15 मार्च, 2011 को हिन्दू के तत्कालीन मुख्य सम्पादक एन. राम ने लिखा:
आज से हिन्दू अपने पाठकों को लिए ऐसी श्रृंखला शुरु कर रहा है जो इसके पाठकों को भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों, कूटनीति, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और बौध्दिक पक्ष की अप्रत्याशित अंतरंग जानकारी देगी जिसे अमेरिकी राजनायिकों ने वाशिंगटन डीसी में विदेश विभाग को भेजे गए केबलों में प्राप्त, प्रत्यक्षदर्शी, जुटाई गई, परिभाषित, टिप्पणियों सहित संजोया गया था।
विषयों, मुद्दों और इण्डिया केबल्स में वर्णित व्यक्तियों का दायरा अद्भुत है। जबकि दक्ष राजनयिकों की दृष्टि बहुधा सदैव अपने लक्ष्य पर थी-विकसित होते भारत-अमेरिकी सामरिक रिश्ते और इसमें सहायक या रोड़ा अटकाने वाली हर चीज-इस दायरे में शामिल है। भारत के अपने पड़ोसियों से रिश्ते, रुस, यूरोपियन यूनियन, ईस्ट एशिया, इस्राइल, फिलस्तीन, इरान और समूचा पश्चिम एशिया, अफ्रीका, क्यूबा और संयुक्त राष्ट्र। गुप्तचर सूचनाओं का आदान-प्रदान, निर्यात नियंत्रण, मानवाधिकार, भारतीय नौकरशाही, पर्यावरण, अफगान-पाक और बहुत कुछ। 26/11 पर विशेष फोकस है, कश्मीर, पाकिस्तान श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश और म्यनमार के प्रति भारत की नीति और भारतीय नीति किधर जा रही है। सभी दलों के राजनीतिक, कूटनीतिज्ञ, और सभी अधिकारी, जासूस, व्यवसायी, पत्रकार, व्यस्ततम लोग, बड़े-बड़े और छोटे-छोटे लोग विकीलीक्स के भारत सम्बन्धी केबल्स में हैं-जो अमेरिकी दूतावास और कान्सुलेट के 5100 केबल्स हैं जो भारत के संदर्भ में प्रासंगिक हैं (सभी भारत से नहीं भेजे गए हैं) और विस्मयकारी 6 मिलियन शब्दों में फैले हैं।”
समाचारपत्र के बहुत से पाठकों की भांति मैं भी विकीलीक्स के मुख्य सम्पादक द्वारा गुप्त दस्तावेजों में सेंध लगाकर रहस्योद्धाटित की गई जानकारियों से काफी प्रभावित हुआ। इसलिए, ब्रिटेन में एसांजे के नजरबंद किए जाने से मैं काफी दु:खी हुआ।
चमस्मिट और कोहेन ने नजरबंदी के दौरान एसांजे से साक्षात्कार किया:
पुस्तक में लिखा है:
साक्षात्कार के दौरान,

एसांजे ने इस विषय पर अपने दो मूल तर्कों को साझा किया। जोकि सम्बंधित हैं: पहला, हमारी मानव सभ्यता हमारे सम्पूर्ण बौध्दिक जीवन इतिहास (रिकार्ड) पर बनी है; अत: रिकार्ड जितना सम्भव हो उतना बड़ा होना चाहिए जो हमारे अपने समय को आकार दे सके तथा भावी पीढ़ियों को सूचित कर सके। दूसरा, क्योंकि विभिन्न पात्र सदैव अपने इतिहास को आत्मसम्मान की खातिर नष्ट करने या संवारने का प्रयास करते हैं, तो अत: सबका जहां तक संभव हो सक,े जो सत्य चाहते हैं और उसे महत्व देते हैं को रिकार्ड को नकारने से बचाने, और फिर इस रिकार्ड को जहां तक सम्भव हो सभी लोगों को सभी जगह सुलभ और शोधयोग्य बनाना चाहिए।

एसांजे के इस अवतार ने स्वाभाविक रुप से मुझे सत्तर के दशक में हमारे आपातकाल के प्रकरण का स्मरण करा दिया जब एक लाख से ज्यादा विपक्षी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानकर जेलों में ठूंस दिया गया, इस पृष्ठभूमि में, इसलिए मैं इस मत का समर्थन करता हूं कि इंटरनेट इत्यादि पर सभी नियंत्रण अवांछनीय हैं और इसलिए एसांजे के उपरोक्त तर्कों से सहमत हूं तथा उनके विचार को समर्थन देता हूं कि व्यापक पारदर्शिता एक ज्यादा न्यायसंगत, सुरक्षित और स्वतंत्र विश्व बनाएगी।
मैं अवश्य ही यह मानता हूं कि इस पुस्तक ने मेरे लिए एक चेतावनी दी है कि इंटरनेट और अन्य आधुनिक संचार उपकरणों द्वारा लाई गई क्रांति ने राष्ट्रों और वैयक्तिक नागरिकों की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर परिणाम पैदा कर दिए हैं।
जब मैंने ‘चेतावनी‘ शब्द का प्रयोग जोर देकर किया कि कैसे यह पुस्तक इंटरनेट जैसे आधुनिक संचार उपकरणों के प्रति मेरे सहज मोह को प्रभावित करती है, तो मुख्य रूप से मेरे दिमाग में इस पुस्तक का पांचवां अध्याय है, जिसका शीर्षक है ”

दि फ्यूचर ऑफ टेरोरिज्म”।

अध्याय की शुरूआत में ही लिखा है:
”जैसाकि हमने स्पष्ट किया कि तकनीक एक समान अवसर हेतु सक्षम बनाने, लोगों को अपने लक्ष्यों के लिए प्रयोग करने हेतु शक्तिशाली औजार प्रदान करती है, कभी अद्भुत रूप से रचनात्मक लक्ष्यों लेकिन कभी-कभी अकल्पनीय विनाशकारी लक्ष्यों के लिए। अपरिहार्य सत्य यह है कि कनेक्टिविटी आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों को भी फायदा देती है; जैसे यह फैलती है वैसे ही जोखिम भी। भविष्यगत आतंकवादी गतिविधियों में भर्ती से लेकर क्रियान्वयन जैसे भौतिक और वास्तविक पहलू शामिल रहेंगे। आतंकवादी समूह बम या अन्य माध्यमों से वार्षिक तौर पर हजारों लोगों को मारते रहेंगे। यह व्यापक लोगों, उन देशों के लिए बहुत बुरा समाचार है जो पहले से ही भौतिक विश्व में अपनी मातृभूमि को बचाने में काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और कम्पनियां निरंतर उनकी मार के दायरे में आएंगी। और निस्संदेह यह भयावह संभावना बनी रहेगी कि इनमें से कोई एक समूह परमाणु, रसायनिक या जैविक हथियार से युक्त हो जाए।
इस पुस्तक के लेखकद्वय ने परिचय में उल्लेख किया है कि इस पुस्तक का विचार उन्हें सन् 2009 में बगदाद में मिलने पर सूझा। दोनों इराक में इस महत्वपूर्ण सवाल से जूझ रहे थे कि एक समाज को फिर से बनाने में कैसे तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
आतंकवाद सम्बन्धी अध्याय में वे कहते हैं ”सन् 2009 में जब वे यात्रा कर रहे थे तब उन्हें यह ख्याल आया कि एक ”आतंकवादी बनना कितना सरल” हो गया है। वे लिखते हैं कि आई ई डी (उन्नत विस्फोटक उपकरण) पहले महंगे थे। सन् 2009 तक वे काफी सस्ते हो गए और ”एक बम जिसका ट्रीगर मोबाईल फोन सेट के कम्पायमान (वाईब्रेट) से दूर से ही नम्बर मिलाकर विस्फोट किया जा सकता है।”
एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन प्रकरण का संदर्भ देते हुए पुस्तक कहती है:
”भविष्य में आतंकवादी पाएंगे कि तकनीक आवश्यक है लेकिन ज्यादा जोखिम वाली है। सन् 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत प्रभावी रूप से आधुनिक प्रौद्योगिकी पर्यावरण से अलग-थलग रहकर गुफा के ठिकाने वाले आतंकवादी युग को समाप्त करती है। कम से कम पांच वर्ष तक बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद के अपने ठिकाने में इंटरनेट या मोबाइल फोन के बगैर छुपा रहा।
और भले ही ‘ऑफ लाइन‘ रहकर बिन लादेन पकड़े जाने से बचा रहा, लेकिन वह फलैश ड्राइव्स, हार्ड ड्राइव्स और डीवीडी का प्रयोग अपनी जानकारी तरोजाता बनाए रखने के लिए किया करता था। इन उपकरणों ने उसे अल-कायदा के दुनियाभर में चल रहे ऑपरेशनों पर नजर रखने में सबल बनाया और उसके गुर्गों को उसके तथा सर्वत्र विभिन्न आतंकी गुटों के बीच बड़ी मात्रा में डाटा प्रदान करने में सहायता की। जब तक वह आजाद रहा, इन उपकरणों पर उपलब्ध सूचनाएं सुरक्षित थीं और पहुंच से बाहर। लेकिन जब नेवी सील टीम सिक्स ने उसके घर पर धावा किया, उन्होंने उसके उपकरणों को कब्जे में लिया, और न केवल उन्हें वांछित व्यक्ति पकड़ने में सफलता मिली अपितु उन सभी के बारे में भी महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलीं जिनके सम्पर्क में वह था।”
इसी संदर्भ में एक और उदाहरण दिया गया है कि कैसे नए उपकरणों ने एक आतंकवादी ऑपरेशन करने में सफलता प्राप्त की लेकिन अपने पीछे सन् 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले जिसमें दस नकाबधारी लोगों ने शहर को तीन दिन तक बंधक बना कर रखा और अनेक विदेशियों सहित 174 व्यक्ति मारे गए, को फंसाने वाला वर्णन भी छोड़ा।
”बंदूकधारी पाकिस्तान में बैठे अपने सूत्रधारों से सामंजस्य बैठाने और हमला करने हेतु, तथा बुनियादी उपभोक्ता प्रौद्योगिकी – ब्लैकबेरी, गूगल अर्थ और वीओआईपी – पर निर्भर थे, जो इस घटना का ताजा प्रसारण्ा सेटेलाइट टेलीविजन पर देख रहे थे और समाचारों की मॉनिटरिंग कर सचमुच में सामरिक निर्देश दे रहे थे। प्रौद्योगिकी ने इन हमलों को अन्य स्थिति की तुलना में ज्यादा घातक बना दिया लेकिन एक बार जब (अंतिम और एकमात्र जीवित) बंदूकधारी पकड़ा गया, उसके पास जो सूचना थी और महत्वपूर्ण यह कि उसके साथियों के छोड़े गए उपकरणों ने जांचकर्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक जांच करते हुए पाकिस्तान में बैठे महत्वपूर्ण लोगों और स्थानों तक पहुंचाया जोकि दूसरी स्थिति में अनेक महीनों तक पता ही नहीं चलते, कभी नहीं भी।”
टेलपीस (पश्च्य लेख)
सी आई ए के पूर्व डारेक्टर जनरल मिशेल हायडेन ‘दि न्यू डिजिटल एज‘ ‘उन सभी को पढ़ने के लिए अनिवार्य मानते हैं जो डिजिटल क्रांति की गहराई को समझना चाहते हैं।‘
यह पुस्तक कहती है कि दुनियाभर के अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को किसी रूप में सेंसरशिप – जिसे कोमल भाषा में ‘फिल्टरिंग‘ के नाम से जाना जाता है – का सामना करना पड़ता है। लेकिन देशों में फिल्टरिंग के तीन मॉडल प्रचलित हैं : खुले तौर पर, संकोची और राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य।
खुले तौर पर : चीन दुनिया में सूचनाओं का सर्वाधिक उत्साही फिल्टर करने वाला देश है। दुनियाभर में प्रर्याप्त लोकप्रिय समूचे प्लेटफार्म – फेसबुक, टि्वटर, टुमबलर – पर चीनी सरकार ने रोक लगाई हुई है। इसी प्रकार राजनीतिक रूप से नाजुक तियनामेन स्कवेयर विरोध, दलाई लामा, तिब्बती अधिकार आंदोलन, 2011 में गूगल के चेयरमैन की बीजिंग यात्रा इत्यादि भी।
संकोची- हालांकि तुर्की में चीन जैसी खुले तौर पर फिल्टरिंग नहीं है परन्तु तुर्की सरकार का खुले इंटरनेट से सम्बन्ध सहज नहीं है। फिर भी लगभग 8000 वेबसाइट्स बगैर सार्वजनिक नोटिस या अधिकारिक सरकारी स्वीकृति के तुर्की मे ‘ब्लॉक‘ कर दी गईं।
राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य: पुस्तक इस श्रेणी में दक्षिण कोरिया, जर्मनी और मलेशिया जैसे देशों को रेखांकित करती है। यह फिल्टरिंग चुनींदा है और कानून आधारित अत्यन्त विशेषीकृत सामग्री को सेंसरशिप से रोकने का न तो प्रयास करती है न ही औचित्य का।
पुस्तक की इच्छा है कि यह तीसरा मॉडल समूचे विश्व का नियम बनना चाहिए।

माओ वादियों के एटैक के जवाब में सुरक्षा फोर्सेस की प्रति हिंसा के बजाय राजनीतिक संवाद स्थापित किया जाना चाहिए

छत्तीस गढ़ में माओ वादियों के खुनी लाल सलाम की आम आदमी पार्टी[आप] ने निंदा की और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को राष्ट्र के लिए वेक अप काल[wake up call to the nation ] बताया और नक्सल समस्या को हल करने के लिए सुरक्षा फोर्सेस द्वारा प्रतिहिंसा के बजाय संवाद स्थापित किये जाने का सुझाव दिया है|आप पार्टी ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के कारवां पर एटैक को दुर्भाग्य पूर्ण और निंदनीय बताया है|और एटैक में मारे गएऔर घायल हुए लोगों के परिवारजनों के प्रति शोक संवेदनाएं प्रकटकी हैं|
पार्टी का कहना है कि इससे पूर्व भी माओ वादियों के एटैक छत्तीस गढ़ को दहला चुके हैं और राज्य तथा केंद्र सरकारेंइसे रोक पाने में असफल साबित हुई है
अब समय आ गया ही जब इस ज्वलंत +आत्मघाती समस्या को सुलझाने के लिए एक अलग मार्ग का अनुसरण करना होगा| केवल कुछ सुरक्षा फोर्सेस भेज कर कुछ माओ वादियों या आदिवासियों को क़त्ल करवा देने के बजाये उनसे संवाद स्थापित किये जाने चाहिए इसके लिए राजनितिक इच्छा शक्ति का सर्वथा अभाव दिख रहा है|

माओ वादियों के खूनी लाल सलाम ने कांग्रेस के छेत्रिय और केन्द्रीय नेताओं को छलनी किया:प्रदेश अध्यक्ष शहीद औरपूर्व केन्द्रीय मंत्री शुक्ल गंभीर घायल

माओ वादियों के लाल सलाम ने कांग्रेस के छेत्रिय और केन्द्रीय नेताओं को छलनी कर दिया| छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों के एक बड़े हमले में राज्य में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल,+ वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा समेत 16 लोगों की मौत हो गई है.|पूर्व केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत कई लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं.|श्री शुक्ल को इलाज के लिए हवाई जहाज से दिल्ली /गुड गाँव लाया गया है|
पूर्व विधायक उदय मुदलियार और गोपी माधवानी भी मारे गए हैं,
राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए जानकारी दी है कि इस घटना में 16 लोग मारे गए हैं जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि रमन सिंह की विकास यात्रा के जवाब में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकाल रही है।
इसी यात्रा के दौरान जगदलपुर से 40 किमी दूर दरबाघाटी में नक्सलियों ने कांग्रेसियों को अपना निशाना बनाया।
बस्तर से एसेम्बली के लिए कुल 12 सीटें हैं और इनमें से कांग्रेस के पास एक केवल एक सीट है।
इसीलिए आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की साख दांव पर है सम्भवत इसलिए सारे दिग्गज कांग्रेसी इस यात्रा में जुटे हुए थे।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता के मुताबिक, करीब दो सौ से ढाई सौ की संख्या में हथियारों से लैस नक्सलियों ने इस यात्रा पर हमला बोल कर बारूदी सुरंग से विस्फोट किया और गोलीबारी शुरू कर दी.
नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को लेकर पहले ही धमकी दी थी. खासकर माओवादियों के खिलाफ सलवा जुड़ूम अभियान का समर्थन करने वाले कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा को लेकर माओवादिओं का गुस्सा पुराना था.श्री कर्मा को सलवा जुडूम के जन्म दाता कहा जाता है|
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस घटना के बाद राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक का एलान किया है.
हमले में घायल हुए लोगों का हाल जानने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी रायपुर पहुंच गए हैं.उन्होंने इस हमले को राष्ट्र की एकता और अखण्डता पर हमला बताया है|

आई पी एल के सर्वोच्च दोषियों को बचाने के लिए नेताओं ने भी शब्दों की वाइड बालिंग शुरू कर दी है

जेंटल मैन के गेम क्रिकेट में सुधार के नाम पर राजनीतिज्ञों में राजनीति का आई पी एल शुरू हो गया है| जबसे बी सी सी आई के सुप्रीमो एन श्रीनिवासन के दामाद एम् गुरुनाथ का नाम बेटिंग या फिक्सिंग में आया है तब से नेताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं दिल्ली पोलिस द्वारा अपनी जांच को सिमित किये जाने के बावजूद अब कमान मुम्बई पोलिस ने संभाल ली है और गुरुनाथ को पूछ ताछ के लिए हिरासत में ले लिया है इसीलिए फेस सेविंग के लिए अब दलों ने शब्दों की/बयानों की बालिंग शुरू कर दी है लेकिन अधिकाँश बालिंग वाईड ही जा रही है| अर्थार्त वर्तमान समस्यायों को हल करने के लिए भविष्य में यौजनाएं बनाए जाने पर बल दिया जा रहा है| उदहारण देखिये
[१] सबसे पहले कांग्रेस के केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने क्रिकेट को लेकर एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया|
[२]स्पोर्ट्स मिनिस्टर जीतेन्द्र सिंह ने आई पी एल को लेकर हो रहे खुलासों पर शर्मिंदगी दिखाई|
[३] संसद में विरोधी मगर क्रिकेट में साथ साथ भाजपा के राज्य सभा में नेता और बी सी सी आई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली तथा कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री और आई पी एल के चेयर मैन राजीव शुक्ला ने कानून मंत्री कपिल सिब्बल के यहाँ जा कर क्रिकेट में एक सशक्त कानून की मांग करके अपना विरोध जताने के ओपचारिकता पूरी कर दी है|गौरतलब है की कपिल सिब्बल पहले ही इसके लिए आदेश दे चुके हैं|वास्तव में राजीव शुक्ल शुरू से ही श्रीनिवासन के बचाव में रवि वसानी कमिटी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने की बात कहते रहे हैं|जेटली शुरू से ही मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं|
[४]क्रिकेट जगत के एक और महायौद्धा शरद पवार की राजनितिक पार्टी एन सी पी के प्रवक्ता डी पी त्रिपाठी ने और उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने श्रीनिवासन के तत्काल इस्तीफे की मांग कर डाली है| इसके अलावा कांग्रेस के ही एक अन्य सहयोगी लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने बड़े हलके स्वभाव में आई पी एल की आलोचना करके पल्ला झाड लिया है|
[५]सहारा श्री सुब्रोतो रॉय ने पुणे वारियर से अपनी फ़्रेञ्चाईसी को समाप्त कर दिया है और अपनी सिक्यूरिटी जब्त किये जाने से क्षुब्ध होकर रॉय ने श्रीनिवासन के अवगुण गिनाते हुए तत्काल हटाये जाने की मांग करने शुरू कर दी है| टाइम्स नॉव के एंकर अरनव गोस्वामी को दिए इंटर व्यू में रॉय ने श्रीनिवासन को नकारा साबित किया है|
जेंटल मैन गेम क्रिकेट में स्पॉट +मैच फिक्सिंग और बेटिंग के माध्यम से राष्ट्र विरोधियो के हाथ मजबूत किये जा रहे हैं ऐसे में बी सी सी आई के कर्णधार अपने सुप्रीमो को बचाने के लिए दुनिया भर की दलीलें देते फिर रहे हैं| दिल्ल्ली और मुम्बई पोलिस में भी फुटबाल शुरू हो गया है यहाँ तक के नेताओं ने वाईड बालिंग शुरू करके समय लिया जा रहा है ऐसे में यह कहना अनुचित नही होगा के जेंटल मैन का यह गेम अब असभ्य लोगों का खेल बन चुका है|

रालोद ने लोक सभा चुनावों की तैय्यारी शुरू करके प. उ. प्र. की इकाई भंग की :सत्य वीर त्यागी को कमान सौंपी

राष्ट्रीय लोक दल [रालोद]ने २०१४ में होने वाले लोक सभा चुनावों की तैय्यारियाँ शुरू कर दी हैं इसकी कड़ी में आज पार्टी की पश्चिमी उत्तर प्रदेश शाखा को भंग कर दिया गया है|पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सत्यवीर त्यागी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है|
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने आज बताया के मुंशी राम पाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके स्थान पर सत्य वीर त्यागी को प्.उ.प्र. का अध्यक्ष बनाया गया है|
इस बदलाव के कारण पूछे जाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टीम को सदस्यता अभियान चलने के निर्देश दिए गए थे इस राष्ट्रीय न्रेत्तव के आदेश के प्रति प. उ. प्र. की इकाई ने कोई विशेष रूचि नही ली यहाँ तक के पा. उ. प्र. प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद श्री पाल स्वयम भी सदस्यता फ़ार्म नही भर पाए| इसी शिथिलता के चलते उन्हें हठा कर श्री त्यागी को प. उ. प्र.की कमान सौंपी गई है|शेष पदाधिकारियों की घोषणा अगले माह तक किये जाने की संभावना है|
प्रदेश अध्यक्ष ने बेशक इस बदलाव के लिए सदस्यता अभियान में शिथिलता को एक कारण बताया है लेकिन सूत्रों की माने तो लोक सभा के चुनावों के मध्यनज़र पार्टी के ढीले पुर्जे बदलने की कवायद शुरू हो गई है|
गौरतलब है के पिछले चुनावों में पार्टी ने पांच सीटों पर चुनाव जीते थे और वर्तमान में उनमे से केवल तीन सांसद ही पार्टी के झंडे के साथ हैं|और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह केंद्र सरकार में भरी भरकम सिविल एविएशन मंत्रालय में मंत्री हैं|

पोलिटिकली+कल्चरली सेंसरशिप स्वीकार्य है : सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

एन डी ऐ इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के पश्च्य लेख[ TAILPIECE ] के माध्यम से इन्टरनेट के माध्यम से व्यक्त किये जा रहे विचारों पर लगाई जा रही सेंसरशिप का उल्लेख किया है | उन्होंने सी आई ऐ [CIA ]के पूर्व निदेशक MichaelHayden के हवाले से पोलिटिकली+कल्चरली [ POLITICALLY AND CULTURALLY ] सेंसरशिप को बेहतर बताया है| श्री आडवाणी ने माइकल हेडेन [ MichaelHayden ] की पुस्तक के हवाले से विश्व में तीन प्रकार की सेंसरशिप का उल्लेख किया है|
[१]

खुल्लमखुल्ला

सेंसर शिप के लिए दबंग चाइना का ज्वलंत उदहारण दिया जा सकता है| चाइना में फेस बुक+ट्विटर+टुम्बिर आदि सोशल साईट्स को थियमनन चौक कांड के बाद [ Tianenmen Square ] सरकार द्वारा खुल्लम खुल्ला बैन कर दिया गया| दलाई लामा के तिब्बत आन्दोलन पर चर्चा पर पूर्णतया पाबंदी है|
[२]

शर्मनाक भेड़ छननी

[ SHEEPISH:Filter ]इसके सपोर्ट में टर्किश सरकार का उदहारण दिया गया है| टर्किश सरकार स्वयम को इंटरनेट यूसर्स के साथ असहज मानती है| बेशक यहाँ चीन की तरह खुल्लम खुल्ला दबंगई नही है फिर भी सूचना या चेतावनी दिए बगैर ही लगभग ८००० वेबसाइट ब्लाक कर दी गई है|
[३]

पोलिटिकली+कल्चरली स्वीकार्य

[POLITICALLY AND CULTURALLY ]इस फ़िल्टर को सबसे भिन्न बताया गया है| इसके लिए साउथ कोरिया+ जर्मनी + मलेशिया के उधारण हैं| यह सेंसर शिप चुनिन्दा और कानूनन कुछ स्पेशल केसों पर ही लागू होती है| जिसे छुपाया नहीं जाता +जबरदस्ती थोपा नही जाता+चोरी छुपे लागू नहीं किया जाता| हेडेन की पुस्तक में इस तरीके की सेंसरशिप की कामना की गई है|
सर्व विदित है के भारत में इमरजेंसी के कारण श्री आडवाणी आदि राजनीतिज्ञों ने जेलों में कष्ट सहे थे|और उस उत्पीडन से उबरने के लिए जनता पार्टी का गठन किया गया था| अब फिर से देश में सोशल मीडिया पर पाबन्दी लगाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं ऐसे में यह लेख आई ओपनर हो सकता है|

जेंटल मैन के गेम आइ पी एल में फिक्सिंग की जांच होने तक श्रीनिवासन को आफिस से बाहर बैठाना सभ्यता की निशानी होगी

भारत में कर्णधारों द्वारा एक विशेष धर्म का पालन बड़े धर्म से किया जाता है और वोह धर्म है विपक्षी के परिवारजनों के सभी नैतिक अनैतिक कार्यों पर मौन धारण करना | इस राष्ट्रीय धर्म का पालन क्रिकेट जैसे राष्ट्रीय खेल में भी किया जा रहा है| इस खेल में छोटे मोटे आरोपियों को लोहे की सलाखों के पीछे रखने के लिए दिन रात पसीना बहाया जा रहा है लेकिन क्रिकेट के कर्णधारों के परिवार जनो के प्रति मौन धर्म का पालन पूरे धर्म से किया जा रहा है|
स्पॉट फिक्सिंग की जांच अब केवल तीन खिलाड़ियों तक ही सिमित नही रही इसकी आंच बड़े लोगों तक पहुँचने लगी है|भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी श्रीमति साक्षी धोनी और बी सी सी आई के टाप बॉस श्रीनिवासन के दामाद एम् गुरुनाथ का नाम भी आरोपियों में आने लगा है| गुरुनाथ स्वयम आई पी एल की टीम के फ्रेंचाइसी[C S K] हैं और उनके लिंक फिक्सिंग के आरोपियों से जुड़ रहे हैं|
श्री मति धोनी को एक मैच में एक आरोपी बिंदू दारा सिंह के साथ मैच में ठहाके लगाते देखा गया |उस मैच में धोनी के हाफ सेंचुअरी बनाने के बावजूद भी दूसरी टीम जीत गई| इसके अलावा स्वयम बिंदू ने अपने संबंधों को आई पी एल की एक टीम के मालिक मय्यपन गुरुनाथ [फ्रेंचाईसी] के साथ स्वीकार कर लिया है यह फ़्रेञ्चाईसी बी सी सी आई के चेयर मैन एन श्रीनिवासन का दामाद है|
दिल्ली +मुम्बई की पोलिस आये दिन एक के बाद एक नए खुलासे करके एक दूसरे पर स्कोर करने की कौशिश में हैं| कांग्रेस +भाजपा+एन सी पी आदि पार्टियों के राजनीतिक इस प्रकरण पर अफ़सोस जता रहे हैं मीडिया चिल्ला चिल्लाकर सबका ध्यान इस दिशा में ला रहा है | इस सब के बावजूद कोई श्रीनिवासन या एम् एस धोनी जैसों के विषय में बोलना भी गवारा नही कर रहा| पोलिस गुरुनाथ को आई पी सी की धारा १६० के अंतर्गत तत्काल पूछ ताछ तक के लिए अपने थाणे में नही बुला सकी|
कांग्रेस के संसदीय राज मंत्री राजीव शुक्ला[स्वयम भी पत्रकार ] की रटी रटाई स्टीरियो टाइप प्रतिक्रिया है कि कानून अपना काम कर रहा है|भाजपा कोटे के युवा नेता अनुराग ठाकुर तो किसी बात से अनभिज्ञता जाहिर करते फिर रहे हैं| भाजपा के राज्य सभा में नेता अरुण जेटली की क्रिकेट से बर्खास्तगी की मांग उठने लग गई है| इससे पूर्व पार्टी की लोक सभा में नेता श्री मति सुषमा स्वराज ने आइ पी एल पर प्रतिबन्ध लगाये जाने का विरोध जताया है|खेल से जुड़े एन सी पी के सुप्रीमो शरद पवार की चुप्पी टूटी नहीं है|टीम चयन के लिए जिम्मेदार के.श्रीकांत+ वरिष्ठ सुनील गवास्कर+कपिल देव आदि श्रीनिवासन के खिलाफ बोलने को तैयार नही दिख रहे है | पूर्व पी एम् अटल बिहारी वाजपई के दामाद से लेकर वर्तमान यूपी ऐ की अध्यक्षा के दामाद के केस में इसी धर्म का पालन किया जाता रहा है|अब क्रिकेट के चेयर मैन एन श्रीनिवासन के दामाद के केस में भी उसी लाईन को फॉलो किया जा रहा है|
देश और खेल के कर्णधारों का यह व्यवहार कहीं न कहीं इस धर्म का सन्देश जरुर देता है कि किसी के परिजनों पर अटैक नही करना चाहिए|
यहाँ यह कहना उचित ही होगा कि क्रिकेट कि सबसे बड़ी संस्था आई सी एल ने स्पॉट फिक्सिंग के मात्र आरोप के आधार पर पाकिस्तान के एम्पायर असद रऊफ को आगामी चैम्पियंस ट्रॉफ़ी क्रिकेट प्रतियोगिता से बाहर कर दिया है| लेकिन भारत में अपने प्रतिनिधि एन श्रीनिवासन को हटाने को तैयार नही है| अगर असद रऊफ़, की बर्खास्तगी खेल और प्रतियोगिता के हित में है और किसी भी जांच के नतीजे की प्रतीक्षा किये बगैर ही असद को हत्या जा सकता है तो एम् एस धोनी और एम् गुरुनाथ के विषय में कोई कार्यवाही नही की जा रही |यहाँ यह कहना अनुचित नही होगा के क्रिकेट को जेंटल मैन का गेम कहा जाता रहा है ऐसे में जेंटल मैन के नैतिक धर्म को कानून की पैचिदिगियों के नीचे नही दबाना चाहिए|इसीलिए आइ पी एल में वर्तमान फिक्सिंग की जांच होने तक एन श्रीनिवासन को आफिस से बाहर बैठाना सभ्यता की निशानी होगी|

केंद्र सरकार अपने रक्षा सचिव को कैग के बजाय अकाउंटेंट के रूप में इस्तेमाल कर सकता है ;जनहित याचिका

नए कैग की न्युक्ति को लेकर आर टी आई के बाद अब पी आई एल दाखिल कर दी गई है| राष्ट्रपति डा, प्रणव मुखर्जी ने देश के लेखानियंता[ Comptroller ]& [ AuditorGeneral ] के रूप में केंद्र सरकार के रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को शपथ दिला दी है लेकिन इसको चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक जनहित याचिका भी दायर कर दी गई।याचिका में कहा गया है कि वह खुद रक्षा सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और हाल के दिनों में रक्षा सौदे में अनेकों घोटालों की बात सामने आई है। कहा गया है कि रक्षा विभाग के एक पक्षकार द्वारा किया जाने वाला लेखा आडिट निष्पक्ष कैसे हो सकता है|।इस जनहित याचिका की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद होने की प्रबल संभावना है।
उल्लेखनीय है कि श्री शर्मा ने आज ही सीएजी[ CAG ] के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। श्री शर्मा का कार्यकाल 24 सितंबर 2017 तक होगा। उन्होंने विनोद राय का स्थान लिया है जो कल सेवानिवृत्त हो गए। श्री शर्मा इससे पहले रक्षा सचिव थे।
आम आदमी पार्टी के प्रशांत भूषण ने भी यह आरोप लगाया है कि ‘शर्मा ने 2003 से 2010 तक रक्षा मंत्रालय में संयुक्त +अतिरिक्त सचिव के रूप में अलग-अलग पदों पर काम किया है । इसके बाद 2011 में रक्षा सचिव बने। इस दौरान लाखों-करोड़ों के रक्षा सौदे हुए।इन सौदों पर आपत्ति कि जा रही है और इनका आडिट किया जाना है|
1976 बैच के बिहार कैडर से आईएएस अफसर शशिकांत शर्मा जुलाई 2011 से रक्षा सचिव हैं। और फिलहाल सर्विस एक्सटेंशन पर हैं|यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले हैं। रक्षा सचिव बनने से पहले वे वित्त मंत्रालय में सचिव (वित्त सेवाएं) थे। उसके पहले 2003 से 2010 के दौरान उन्होंने रक्षा मंत्रालय में ही संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (खरीद) पदों पर भूमिका निभाई है।
कैग न्युक्ति की प्रक्रिया
इस न्युक्ति पर पहले भी आर टी आई के माध्यम से आपत्ति उठाई जा चुकी है|जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया है कि कैग की न्युक्ति के लिए योग्यता का कोई माप दंड नही है|परम्परा को ही न्युक्ति का आधार बनाया गया है|बताया गया है कि
[१]कैग की नियुक्ति 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक के लिए होती है।
[२]वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर सरकार राष्ट्रपति को सिफारिश भेजती है।
[३]इसके लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। पुरानी परंपरा का ही पालन होता है।
[४]कैग के पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता के संबंध में कोई शर्त नहीं है।
[५]इसके लिए कोई सलेक्शन कमेटी नहीं । सरकार जिसे चाहे उसे बना सकती है।

पशु कत्लगाहों के पुराने नासूर पर प्रशासन ने ध्वस्तीकरण का नश्तर चला कर कानून व्यवस्था को स्थापित किया

[मेरठ]] कमेले[SlaughterHouses ] के पुराने नासूर पर प्रशासन ने ध्वस्तीकरण का नश्तर चला कर कानून व्यवस्था को स्थापित किया|प्रदेश में नगर विकास मंत्री आज़म खान की सख्ती + अदालत की तत्परता +स्थानीय प्रशासन की यौजना और अधिकारियों की समर्पित भावना के फलस्वरूप शहर के एक अहम् हिस्से में कानून व्यवस्था को पुनः स्थापित करने के लिए सैकड़ों अवैध भट्टियों के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया गया |
हापुड़ रोड स्थित पुराने कमेले को यदपि घोसीपुर शिफ्ट किया जा चूका है लेकिन इसके मालिकों की हटधर्मी + सत्ता से नजदीकियों से पुराना कमेला बदस्तूर पशुओं की कत्ल गाह बना रहा यही नहीं मीत व्यापारियों द्वारा एक वर्ग विशेष में बगावत की चिंगारी भी सुलगाने के प्रयास शुरू हो गए| जिसके विरुद्ध आये दिन आवाज उठती रही है और मामले को कौर्ट में भी लेजाया गया|
अब चूंकि अदालत का फैसला इनके विरुद्ध आ चूका है इसीलिए विश्व प्रसिद्ध मेला नौचंदी के समाप्त होते ही पूरी सुरक्षा फ़ोर्स से और सबके सहयोग से पुराने कमेले पर कब्ज़ा अभियान चलाया गया जिसमे सफलता भी मिली|इस इलाके को एक तरह से पोलिस की छावनी में तब्दील कर दिया गया |आने जाने वाले रास्तों पर बैरिकेटिंग लगा दी गई| एक तरफ तो प्रशासन के [३] बुलडोजर[JCB]अवैध निर्माण ढहाने में लगा था तो दूसरी तरफ सैकड़ों सफाई कर्मी भी तत्परता से मलबा हटाने में जुटे रहे|
गौरतलब है के नगर निगम की भूमि पर मीत कारोबारियों की दबंगई से १२० मीट गौदाम के अलावा प्राईवेट जमीन पर लगभग पांच गुना गौदाम थे| जिन्हें अवैध घोषित किया जा चूका है|
बताते चलें के शहर में पशुओ की सडकों पर हत्या+चोरी और लूट की घटनाये बढने लगी हैं बताया जा रहा है के इस प्रकार के पशुओं को इन्ही कत्लगाहों पर लेजाकर बेचा जाता रहा है|अब इससे राहाह्त मिलने की आशा जताई जा रही है|[इसकी पुष्टि के लिए मीट व्यापारी से संपर्क नही हो पाया]