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Category: Social Cause

साउंड सिस्टम ने कराये तीन शहरों में साम्प्रदाईक झगडे

साउंड सिस्टम को लेकर उत्तर प्रदेश के बरेली +खतौली और संभल में में दो समुदाय आपस में भिड़ गए तथा साम्प्रदाईक हिंसा से माहौल को बिगाड़ने की कौशिश की गई| बरेली में गंगा जल ले कर आ रहे कवारनियों के साउंड सिस्टम को बंद कराने को लेकर विवाद हुआ |शाहबाद से उठा और शहर के विभिन्न इलाकों में फ़ैल गया|दुकनो की आगजनी से कई लोगों के घायल होने के समाचार भी आ रहे हैं|
मुज्ज़फरनगर के खतौली में रोज्ज़ इफ्तारी के समय एक धार्मिक स्थल में बज रहे माईक को लेकर बवाल हो गया| लगभग १० ग्रामीणों के घायल होने की खबर है और एक धार्मिक स्थल में मूर्ति तोड़े जाने का भी समाचार है|
भीम नगर के संभल[हयातनगर] में अजान के समय एक धार्मिक स्थल से लाउड स्पीकर के बज़ने से झगडा हो गया स्थिति तनाव पूर्ण बताई जा रही है|

बिजली की सुनामी समस्या के लिए लोड का रिअसेस्मेंट जरुरी

बिजली आती ही कब है और जब कभी भी आती है तो वोल्टेज कहाँ आती है | इस बिजली की बन्दर बाँट से इनवर्टर +फ्रिज तो फूंक ही रहे हैं एयर कंडिशनर भी शो पीस बने हैं लिहाजा साहब इस भीषण गर्मी में तन तो जल ही रहा है इसपर बिजली का बिल दोगुना आया रहा है इसे देख कर दिल भी जल रहा है|यह जुमला आज कल मेरठ में तो आम हो चला है \
उमस भरी इस गर्मी में रेगुलर रोस्टिंग फिर उपरी आदेश से रोस्टिंग उसके बाद फाल्ट से रोस्टिंग |कहीं बिजली कार टूट कर गिर रहा है तो कहीं ट्रान्सफार्मर फुकने का बहाना सुनाई दे रहा है|पहले शिव भक्त कावंरियऔर अब रोजेदार यानि सभी एक सामान बिजली का रोना रो रहे हैं|व्यवस्थापक लो वोल्टेज के लिए ओवर लोड की शिकायत कर रहे हैं\
एक मार्केट सर्वे के अनुसार जुलाई माह तक २००० नए एयर कंडीशनर्स बिके हैं |इनके लिए लोड कहीं नहीं बढाया गया है |बिलों में जरूर अतिरक्त चार्ज लग कर आने लगता है मगर उस इलाके के सेंक्शन लोड को किसी भी छेत्र में बढाया नहीं गया है|ट्रांसफार्मर्स जो पुराने सेंक्शन थे उन्ही से गुजारा किया जा रहा है ये और बात है की ये बार बार फ्हुंक रहे हैं और इनकी मरम्मत हो रही है|

मुक़द्दस दरगाह में फिल्म वालों की एंट्री पर बैन हो = दरगाह दीवान

मुक़द्दस दरगाह अजमेर शरीफ के दीवान जैनुल आबेदीन ने दरगाह में आने वाले फिल्म वालों की एंट्री पर कड़ा एतराज जताया है|
इनके अनुसार इस्लाम में न्रत्य और फिल्मो की मनाही है|इसीलिए अपनी फिल्मो की सफलता के लिए यहाँ आकर कामना करना उचित नहीं है |
दरगाह अजमेर शरीफ पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने के बाद उनके जहन में सिर्फ अकीदा ही बाकी रहता हैयह हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है|
इतिहास के पन्नों में झांकने पर पता चलता है कि बादशाह अकबर को भी इसी मुक़द्दस दरगाह पर माथा टेकने से पुत्र[सलीम] की प्राप्ति हुई थी ।ख्वाजा साहब का शुक्रिया अदा करने के लिए अकबर बादशाह ने आमेर से अजमेर शरीफ तक पैदल आये थे |पिछले दिनों पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी आये थे और एक बड़ी राशि दे कर गए थे यहाँ हाजरी देने वालों में मज़हब की कोई दीवार नहीं है|फिल्म वाले भी अपनी फिल्मो कि सफलता और प्रसिद्धि के लिए आते हैं|इसी पर एतराज जताते हुए दरगाह दीवान[प्रमुख] श्री जैनुल द्वारा इस्लाम के बुद्धिजीवी+अनुयायी +उलेमाओं से फिल्म वालों की एंट्री पर विचार करने की|अपी;ल की गई है |
तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित दरगाह शरीफ वास्तुकला की दृष्टि से भी बेजोड़ है…यहाँ ईरानी और हिन्दुस्तानी वास्तुकला का सुंदर संगम दिखता है। दरगाह का प्रवेश द्वार और गुंबद बेहद खूबसूरत है। इसका कुछ भाग अकबर ने तो कुछ जहाँगीर ने पूरा करवाया था। माना जाता है कि दरगाह को पक्का करवाने का काम माण्डू के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने करवाया था। दरगाह के अंदर बेहतरीन नक्काशी किया हुआ एक चाँदी का कटघरा है। इस कटघरे के अंदर ख्वाजा साहब की मजार है। यह कटघरा जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह ने बनवाया था। दरगाह में एक खूबसूरत महफिल खाना भी है, जहाँ कव्वाल ख्वाजा की शान में कव्वाली गाते हैं।