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इलाहाबाद बैंक लाकरों की सुरक्षा का इंतज़ाम नहीं: बैंक और स्थानीय पोलिस अधिकारी फिर लकीर पीटने आ रहे हैं


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

,बैंक उपभोक्ता

ओये झल्लेया ये क्या ओये ये अब बैंकों में भी हसाडी गाड़े की कमाई सुरक्षित नहीं रह गई| अब तो इन बैंको पर से भी हमारा विश्वास उठता जा रहा है |देखो तो सही इलाहाबाद बैंक सबसे पुराना है मगर इसकी जानी खुर्द में धौल्डी शाखा में एक साथ १३ लाकर लॉकर नंबर-२ + :३ +४+५ +८+९++१०+११ +१२+१३+१४+१५+५४+ तोड़ डाले गए और लगभग ५ करोड़ गायब कर दिए गए हैं| बैंक का अलार्म सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे जैसे उपकरण धरे के धरे रह गए |पहले लाकरों की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम किया नहीं अब वहां बैंक और स्थानीय पोलिस अधिकारी लकीर पीटने के लिए आ रहे हैं| इससे पहले बीते साल [१] आई आई एम् टी में एस बी आई के ऐ टीम एम् को तोड़ने का प्रयास किया गया | इस साल [२] रेलवे रोड पर 23 जनवरी को पीएनबी शाखा में घुसे बदमाशों ने कैश मशीन, एटीएम और महत्वपूर्ण मशीनें तोड़ दी थीं। स्ट्रांग रूम तक पहुंचने में नाकाम रहने पर वे फरार हो गए थे। [३] दो फरवरी को बदमाशों ने बागपत रोड पर स्थित ओरियंटल बैंक आफ कामर्स की शाखा में धावा बोला। यहाँ तो गैस कटर का भी प्रयोग किया गया फिर भी नहीं चेते |ओये सरकार को इतना मोटा इनकम टैक्स और बैंकों को ब्याज देते हैं मगर कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं|व्यवस्था किंकर्तव्यविमुड थी और अभी भी है|

झल्ला

हाँ सेठ जी कह तो आप सच ही रहे हो मगर आज कल तो आतंकवादी गतिविधिओं की सूचना मिलने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती वरन वारदात होने के बाद केवल जांच होती हैऔर इस बैंक की भी जांच शुरू हो ही जायेगी| अब जहां तक सुरक्षा की बात है तो अधिकाँश बैंको ने अपनी सुरक्षा को स्थानीय पोलिस के हवाले छोड़ा हुआ है| सी सी टी वी कैमरों को लगाया गया है मगर उन पर नज़र रखने के लिए कोई सुरक्षा कर्मी नहीं है|इन कैमरों पर नज़र रख कर वारदात को होने से पहले ही रोका जा सकता है लेकिन देखने में आ रहा है कि वारदात के बाद भी इन कैमरों से कोई सफलता नहीं मिलती और चोर +लुटेरे+ डाकू माल समेत ऐश करने को स्वतंत्र ही रहते हैं| और हम जैसे अपनी जमा पूँजी को ही रोते रहते हैं