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डॉ मन मोहन सिंह ने शहीद पत्रकार लाला जगत नारायण को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री द्वारा शहीद पत्रकार लाला जगत नारायण की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया
डॉ मन मोहन सिंह ने लाला जगत नारायण को एक बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानी+ निडर पत्रकार+ और कुशल सांसद के रूप में याद किया|लाल जगत नारायण द्वारा शुरू किये गए ३ अख़बारों को 33 लाख से भी ज्‍यादा लोग रोज पढ़ते हैं|
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्‍ली में लाला जगत नारायण की स्‍मृति में एक डाक टिकट जारी किया।इस आवसर पर पी एम् ने कहा कि लाला जगत नारायण जी हमारे देश के एक महान सपूत थे। वह एक बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानी, एक निडर पत्रकार और कुशल सांसद थे, उनकी राष्‍ट्रभक्ति हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हम आज उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी याद में एक डाक टिकट जारी कर रहे हैं।
डॉ मन मोहन सिंह ने लाला जी कि उपलब्धियों का वरन करते हुए बताया कि 21 साल की उम्र में लाला जगत नारायण जी ने पढ़ाई छोड़कर महात्‍मा गांधी की अपील पर असहयोग आंदोलन में हिस्‍सा लिया। उनको ढाई साल की सज़ा हुई, लेकिन लाला लाजपत राय के सचिव के रूप में उन्‍होंने जेल में भी आजादी की लड़ाई में योगदान देने का काम जारी रखा। जेल से रिहाई के बाद वह देश के स्‍वतंत्र होने तक बराबर आजादी की लड़ाई में सरगर्मी से हिस्‍सा लेते रहे। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्‍सा लेने के लिए उन्‍हें 3 साल की सज़ा हुई और आजादी की जंग के सिलसिले में वह कुल 9 साल जेल में रहे।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the release of the commemorative postage stamp

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the release of the commemorative postage stamp


आजादी के बाद वह लाहौर से जालंधर आ गए। उन्‍होंने देश सेवा का अपना काम जारी रखा। वह पंजाब विधान सभा के सदस्‍य और पंजाब सरकार में शिक्षा, परिवहन और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रहे। 1964 से 1970 तक वह राज्‍य सभा के सदस्‍य रहे। इन सभी पदों पर उन्‍होंने अपनी कार्यकुशलता की एक अलग छाप छोड़ी।
पत्रकारिता से लाला जगत नारायण जी का संबंध 1924 में बना, जब वह भाई परमानंद की पत्रिका आकाशबानी के संपादक बने। वह श्री पुरूषोत्‍तम दास टंडन जी की साप्‍ताहिक पत्रिका पंजाब केसरी के संपादक भी रहे। आजादी के बाद उन्‍होंने उर्दू अख़बार ”हिंद समाचार” की शुरुआत की और आगे चलकर हिंदी अख़बार ”पंजाब केसरी” और पंजाबी अख़बार ”जगबानी” भी स्‍था‍पित किए। आज इन तीनों अखबारों को 33 लाख से भी ज्‍यादा लोग रोज पढ़ते हैं।
लाला जगत नारायण जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में जिन आदर्शों और मूल्‍यों का हमेशा पालन किया, वह आज भी हमारे देश के पत्रकारों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्‍होंने मीडिया पर काबू रखने की कोशिश का जोरदार विरोध किया। उनकी निडरता हमारे लिए एक मिसाल है। उन्‍होंने आतंकवादी ताकतों की पुरजोर मुखालफत की, जिसकी वजह से उन्‍हें अपनी जान भी कुर्बान करनी पड़ी। उनके जीवन से हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, हमें अपने उसूलों से कभी भी कोई समझौता नहीं करना चाहिए।
पत्रकारों के लिए लाला जगत नारायण जी का संदेश खास अहमियत रखता है। मीडिया को किस प्रकार की भूमिका अदा करनी चाहिए और किस तरह से मुश्किल हालात में भी एक पत्रकार को ईमानदार, निडर और निष्‍पक्ष रहना चाहिए, उनका जीवन हमें यह खास सीख देता है।
अपनी बात खत्‍म करने से पहले मैं एक बार फिर लाला जगत नारायण जी को श्रद्धांजलि देता हूं।”
फोटो कैप्शन [1]प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह लाला जगत नारायण की स्मृति में ९ सितम्बर २०१३ को नई दिल्ली में डाक टिकेट जारी करते हुए| साथ में केन्द्रीय मंत्री कपिल सिबल भी हैं