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सरबजीत की मौत पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान की सरकारों की कमजोरी उजागर हुई

सरबजीत को मृत्यु के पश्चात शहीद का दर्जा पंजाब सरकर ने दे दिया| जगह जगह उसके समर्थन में पाकिस्तान के पुतले फूंके जा रहे हैं यहाँ तक कि भारतियाजैलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों पर अटैक होने लग गए हैं इस सबसे गर्वित होने के स्थान पर इसे वृहद बहस का मुद्दा बना कर इस पर चिंता प्रकट की जानी चाहिए क्योंकि एक तरफ तो दोनों मुल्कों के नागरिकों में भरोसे की दूरे एक कदम बढ गई है और दोनों मुल्कों की सरकारों का क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लगा है| पाकिस्तान की जेल में २२ साल से बन्द सरबजीत की मौत कोई सामान्य हादसा नहीं है. इसने पाकिस्तान सरकार के अमानवीय चेहरे से एक बार फिर नकाब हटा दिया है. बिना सबूत, सिर्फ शक के आधार पर, सरबजीत को बम बलास्ट का आरोपी बना देना, उसके परिवार सहित दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों की आवाज़ को अनसुना करना और फिर सुनियोजित तरीके से उस पर जानलेवा हमला करवाना, इस तरह का अमानवीय आचरण पाकिस्तान की नीति का पहले से ही हिस्सा रहा है. सरबजीत के मुद्दे को भी पाकिस्तान ने भारत के साथ संबन्धों में अपनी नाक का सवाल बना लिया था|
दूसरी तरफ सरबजीत जैसे नागरिकों को न बचा पाना भारतीय विदेश नीति एकदम लाचार नजर आती रही| सरबजीत की बहन और उनके परिवार के अन्य लोगों ने अपने दम पर इस मुददे को जिस शिद्दत से दुनिया के पटल पर रखा, अगर भारत सरकार भी इस बारे में जोर लगाती तो शायद सरबजीत की जान बच सकती थी.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए 49 साल के सरबजीत सिंह पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में 4 से 5 कैदियों ने हमला किया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें वहां के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वे तभी से वेंटिलेटर पर थे।पाकिस्तान के समय के मुताबिक आधी रात को 1 बजे सरबजीत ने आखिरी सांस ली। निधन के बाद जिन्ना अस्पताल के बाहर पुलिस की भारी तैनाती कर दी गई। सरबजीत का परिवार बुधवार को ही तीन दिन पाकिस्तान में रहने के बाद भारत लौटा था।
पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर और मुल्तान में हुए बम धमाकों के आरोप में सरबजीत को 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद से वे वहां की जेल में बंद थे।इसकी प्रातिक्रिया स्वरुप जम्मू जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी पर जानलेवा हमला हुआ है लेकिन भारत सरकार ने तत्परता दिखाते हुए सम्बंधित अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया है|मेरठ कि जेल में बंद तीन पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा बड़ा दी गई है|इसके अलावा स्वयम सेवी और राजनीतिक दल आये दिन पाकिस्तान का पुतला फूंक कर अपनी आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं |