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सी डी ऐ आर्मी मेरठ में निरीक्षण शुरू

[मेरठ] रक्षा सौदों में नित नए घोटाले सामने आ रहे हैं|कैग भी फाईलें खोल रहा है मगर दो शताब्दियों से अधिक समय से रक्षा विभाग के आन्तरिक अडिट का दाईत्व संभाले हुए रक्षा लेखा विभाग के मेरठ स्थित कार्यालय में ना केवल खानापूर्ति की जा रही है वरन मिली भगत से गोपनीय और महत्वपूर्ण कागजात जलाये भी जा रहे है| रक्षा लेखा नियंत्रक (सेना) की जिम्मेदारी है कि सेना के अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाए, वित्तीय अनियमितता को रोके, लेकिन विभाग ऐसा कुछ नहीं कर रहा। इसके उलट सैन्य यूनिटों और ठेकेदारों से मिलीभगत कर ऑडिट की खानापूर्ति की गई और फिर बिलों को जला दिया गया।
‘ दैनिक अमर उजाला’ के मेरठ संस्करण के विनीत त्रिपाठी ने भी इसे प्रमुखता से छापा है| विनीत ने तो यह दावा भी किया है कि उनके हाथ सहारनपुर स्थित एक सैन्य यूनिट में दुग्ध सप्लाई के वर्ष 2009 के कुछ बिल लगे हैं। इनके बिलों का भुगतान तो सैन्य यूनिट द्वारा किया जा चुका है, लेकिन रक्षा लेखा नियंत्रक (सेना) द्वारा पोस्ट ऑडिट नहीं किया गया। न तो बिलों के मानक पूरे होने की जांच की गई और न ही मुख्य पृष्ठ पर पुष्टि की गई। लेकिन सैकड़ों बिल ऐसे थे, जो खाक हो चुके हैं।
उधर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आनन फानन में दस्तावेजों को जलाये जाने की जांच भी शुरू कर दी गई है। विभाग की मंशा दस्तावेजों को जलाने वाले दोषियों को पकड़ने से ज्यादा इस पर है कि यह खबर विभाग से बाहर कैसे पहुंची। बुधवार २० फरवरी को अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद रक्षा लेखा नियंत्रक (सेना) कार्यालय की गैलरी में पड़ी दर्जनों फाइलों को आनन-फानन में हटा कर सफाई कराई गई। जहां पान कीई पीकों के बदनुमा दाग नई बिल्डिंग में साफ़ दिखा करते थे वहां अब दिन में दो बार फिनाईल के पौंचे लगाए गए हैं|
रक्षा लेखा नियंत्रक (सेना) कार्यालय में पेंशन-वेतन, ठेकेदारों के बिलों समेत अन्य वित्तीय दस्तावेजों की जांच के लिए बुधवार को सहायक रक्षा लेखा नियंत्रक नई दिल्ली राम लुभाया शर्मा के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम मेरठ आ गई है। राम लुभाया ने टीम को विभिन्न सेक्शन में दस्तावेजों की गुरुवार से जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है।बताया जा रहा है कि श्री शर्मा मेरठ के ही रहने वाले हैं और यहाँ की गतिविधियों से बखूबी वाकिफ हैं|इसीलिए इनसे किसी घपले को खोलने की आशा की जा रही है|