Ad

स्कूलों में सीखे प्रोजेक्ट जीवन में रोज़गारपरक गतिविधि से जोड़ते हैं

आज कल शिक्षण संस्थानों में विशेषकर सरकारी संस्थानों में प्रोजेक्ट बनवाने पर जोर दिया जा रहा है मगर अधिकाँश बच्चे बाज़ारों में बैठे प्रोजेक्ट व्यापारियों से ही प्रोजेक्ट बनवा कर सबमिट कर देते हैं|
इससे बच्चे का सर्वांगिक विकास तो होता नहीं शिक्षा का उद्देश्य भी प्राप्त नहीं हो पाता|शिक्षा पर व्यय व्यर्थ ही चला जाता है|इसीलिए अविभावकों को प्रोजेक्ट के महत्त्व को समझ कर अपने बच्चों में इसके प्रति रूचि पैदा करनी होगी|

बाल विज्ञान कांग्रेस के संयोजक -दीपक शर्मा ने प्रोजेक्ट बनाने के लिए लाभप्रद जानकारी देते हुए कहा है कि बाल विज्ञानं कोंग्रेस एक उद्देश्यपूर्ण गतिविधि है जिसमे किसी समस्या के समाधान हेतु स्वाभाविक परिस्थितियों में स्वतंत्रतापूर्वक रुचिपूर्ण संलग्नता के साथ प्रयास किया जाता है प्रोजेक्ट के किर्यान्वयन से किसी परिणाम की प्राप्ति होती है।
उन्होंने एक अच्छे प्रोजेक्ट के निम्न गुण बताये हैं|
[१]प्रोजेक्ट में समस्या का होना आवश्यक है समस्या होने पर ही बच्चो को कार्य में लगाया जा सकता है साथ ही ये भी ध्यान रखे की समस्या जीवन की परिस्थितियों से जुडी हुई हो।
[२]कार्य के लिए स्वाभाविक वातावरण होना चाहिए .
[३]समस्या का हल छात्र स्वयं करे।
[४]प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्वयं कार्य ही है जो जीवन उपयोगी होने के साथ ही बालको की आवश्यकता को पूरी करता हो .
[५]प्रोजेक्ट का महत्व हो तभी बालक उसे पूरा करेंगे . और प्रोजेक्ट तभी महतवपूर्ण होगा जब वह बालक द्वारा अनुभव की गई आवश्यकताओ को पूरा करता हो ,प्रोजेक्ट का महत्व उसकी पूर्ति के बाद भी हो और उससे बालको को ज्ञान ,आदत ,कौशल तथा रुचियों की प्राप्ति हो।

उपरोक्त गुणों के कारण ही बाल विज्ञानं कोंग्रेस के प्रोजेक्ट मानव जीवन का हिस्सा बन सकते हैं

Comments

  1. Amedar says:

    Amedar Consulting…

    Excellent web site. A lot of helpful information here. I am sending it to a few buddies ans additionally sharing in delicious. And naturally, thanks to your sweat!…