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बाल वैज्ञानिकों ने धुप और छावं से धरती मापी


आज सूरज भूमध्य रेखा पर है और दिन और रात एक समान होंगें| यह प्रयोग अनेकों शहरों में किया गया | एकतरफ जहा उस स्थान का लातितुड आशान्तर निकाला जा सकता है वही सबसे छोटी परछाई से उत्तर दिशा और पृथ्वी की गोलाई नापी जा सकती है| . देश भर में पिछले 8 वर्षो से प्रगति विज्ञानं संस्था इस प्रयोग को बालको में वैज्ञानिक समझ विकसित करने के लिए कर रही है .
आज भी देश भर में भुज में नरेन्द्र गोर,हरियाणा में दर्शन बबेजा ,मेरठ में मतीन अंसारी,बागपत में योगेश कुमार,गाजियाबाद में रोहिणी ,आसाम में गणेश शर्मा ,पुणे में डॉ.अशोक कुमार शर्मा ,डेल्ही में रंजीता रानी ने इस प्रयोग को बाल विज्ञानियो के साथ किया .
मेरठ में एन.ऐ.एस.इंटर कालेज के मैदान पर १५० बच्चो ने इस प्रयोग को केवल समझा ही नहीं बल्कि आशान्तर,उत्तर दिशा ज्ञात करना और पृथ्वी की गोलाई नापना जैसे प्रयोग करने में खूब आनंद लिया ,इस बार के प्रयोग की खास बात ये रही की मोहमद मतीन अंसारी ने एक नयी डिवाइस तैयार [की जो धागे के] जिसके सहयोग से ऑन द स्पोट ही परछाई का कोण मालूम किया जा सकता है .यही डिवाइस आज पुरे समय आकर्षण का केंद्र रही.इस प्रोजेक्ट के रास्ट्रीय कोआर्दिनेतर दीपक शर्मा ने मतीन जी को बधाई दी !
प्रयोग का सीधा प्रसारण बालचेतना के वेब चेनल पर भी किया गया .तकनिकी विशेषग शास्वत रतन ने इसकी बागडोर जबकि कमेंट्री दीपक शर्मा ने की .
इस अवसर पर चरण सिंह ,आबिद ,अजरम अली, और प्रगति विज्ञानं की पूरी टीम ने पूरा सहयोग दिया,

Comments

  1. Ossie says:

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