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अकादमी ने साहित्यकारों की हत्या की निंदा औरअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत के साथ चुप्पी तोड़ी

[नयी दिल्ली]साहित्य अकादमी ने साहित्यकारों की हत्या की निंदा के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत की
साहित्य अकादमी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए साहित्यकारों की हत्या की निंदा की
साहित्य अकादेमी अध्यक्ष ने भारतीय संस्कृति के बहुलवाद को संरक्षित रखे जाने की वकालत भी की
साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने आज कहा कि देश में साहित्यकारों की सर्वोच्च संस्था कन्नड़ के लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा करती है और भारतीय संस्कृति के बहुलवाद को संरक्षित रखने की अपील करती है।
श्री तिवारी ने साहित्य अकादेमी के कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद संवाददताओं से कहा, ‘‘संस्था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का पूरी दृढता के साथ समर्थन करती है और किसी भी लेखक के खिलाफ किसी भी तरह के अत्याचार की कड़े शब्दों में निंदा करती है। हम भारतीय संस्कृति के बहुलवाद को संरक्षित रखने की अपील करते हैं, जो दुनिया के लिए अनुकरणीय है।’’ उन्होंने कहा कि अकादेमी मांग करती है कि केंद्र और सभी राज्य सरकारें समाज और समुदाय के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व बनाये रखें। संस्था सभी समुदायों से भी विनम्र अनुरोध करती है कि जाति, धर्म, क्षेत्र और विचारधारा आधारित मतभेदों को अलग रखकर एकता और समरसता को बरकरार रखें। उन्होंने अकादेमी के 61 सालों के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि यह एक स्वायत्त संस्था है, जो लेखकों द्वारा संचालित होती है। पुरस्कारों सहित सभी फैसले लेखकों द्वारा ही लिए जाते हैं। अकादेमी पुरस्कार लौटाने वाले या संस्था से अपने को अलग करने वाले लेखकों से अकादेमी का अनुरोध है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
यहां आज संपन्न हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में सभी भारतीय भाषाओं के 24 में से 20 सदस्यों ने भाग लिया।