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मुम्बई में दोपहर में दंगे शाम को पाकिस्तान की भारतीय चौकियों पर फायरिंग???

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक भारतीय
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है?ओये म्यांमार और असाम में भडकी सम्प्रदाईक हिंसा की चिंगारी से मुम्बई में भी शोले भड़काने की साजिश हो रही है| नेताओं ने निर्दोष अल्पसंख्यकों को आज़ाद मैदान में इकट्ठा किया और उन्हें भड़का दिया| पत्थर चले +लाठियां उठी +आंसू गैस फ़ैली और हवाई फायर दागे गए |बेचारे दो लोग मर गए कई लोग घायल हो गए |सरकारी गैर सरकारी गाड़ियां टूटी मीडिया के वाहन जले | पोलिस वालों के साथ ही मीडिया कर्मी भी घायल हुए|
अफ़सोस तो इस बात का है की सत्ता में सहयोगी पार्टी के अलावा दूसरे कई दलों के अल्पसंख्यक नुमाईन्दों ने इसका आयोजन किया था |और ये अपने
लोगों को कंट्रोल नहीं कर पाए तो देश को कैसे कंट्रोल कर पाते होंगें??इन्होने असाम में प्रताडित अल्पसंख्यकों के शिविरों में बाद इन्तेजामी और मीडिया की अनदेखी का आरोप लगा कर लोगों को भड़का दिया|
झल्ला
ओये भोले बादशाहों दरअसल ये राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई है| ये तो आप भी मानोगे कि हसाड़े सोणे ते मन मोहने पी एम् ने तत्काल असाम कोकराझाड़ का दौरा भी किया था उन्होंने वहां बँगला देशियों की घुसपैंठ से सीधे इंकार करके अल्पसंख्यकों के जख्मो पर मलहम भी लगाया था उसे मीडिया ने भी दिखाया ही था |दरअसल झलेविचानुसार कहानी कुछ और ही है|
अभी जन्माष्टमी पर हिन्दू वादी संगठनों और कांग्रेसी नेताओं ने गोविन्दाओं से पूरे मुंबई में दही हांडी तुड़वा कर करोड़ों रुपये इकट्ठा किये + खर्च किये और दूसरों से बडत ले ली अब एन सी पी +एस पी आदि दल कैसे पीछे रहते इन्होने अपने वोट बैंक को इकट्ठा किया और अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया |लेकिन हाँ कल जब मुम्बई में जब दंगाई दंगे कर रहे थे तब उसके थोड़ी दिएर के बाद ही पाकिस्तान की तरफ से पञ्च भारतीय चौकियों पर फायरिंग भी की गई|हो सकता है की इन दोनों घटनाओं में कोई लिंक जोड़ना जल्दबाजी होगी मगर एक बात तो साफ़ है की पड़ोसी मुल्क की फौज मौके की तलाश में जरूर है|