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वासंती वेलेंटाइन बाबा के “किस”डे का शगन करना लाजमी होतो अपनी को ही”किस”करो

[नई दिल्ली]वासंती वेलेंटाइन बाबा के “किस”डे का शगन करना लाजमी होतो अपनी को ही”किस” करो
आज बसंत पंचमी है सो स्वाभाविक मदनोत्स्व भी है और इसके साथ ही वेलेंटाइन बाबा का किस[चुम्बन] डे भी है
बसंत पंचमी पर अपनी उमंगों को आकाश दिखाने के लिए पतंगों का सहारा लिया जाता है तो किस डे पर अपने मित्रों को
प्रेमियों को चूमने की भी प्रथा है ।आजकल इन दोनों ही प्रथाओं में कुप्रथाएँ हावी होने लग गई है ।बसन्त में अपनी उमंगों को हवा
देने वाले उद्वेलित होकर अपनी पतंगों से दूसरों की डोर काट कर बेसाख्ता चिल्लाने लगते हैं वोह काटा!वोह काटा।अनेकों तो
दूसरों की पतंगों में लंगड़ डालने की फिराक में खुद की पतंग उड़ाना भूल जाते हैं।हा जिसकी पतंग कटती है वोह बेचारा
बौडम बना खड़ा रह जाता है । इधर किस डे पर अपने मित्रों को ही चूमना वाजिब होता है लेकिन यत्र तत्रसर्वत्र लौंडे तो लौंडे
ऐसे लोग भी चूमने को आतातुर रहते हैं जो बरसों पहले मुंह से दांत और पेट से आंत गवा चुके होते हैं।बगलगीर होना+फिर चूमना
मौसम+उत्सव की जरूरत हो सकती है लेकिन किसी भी आती जाती गुलाब देकर चूमने की ख्वाईश तो जबरदस्ती ही कहलाती है
और इस जबरदस्ती को जबरन दबाने वाले भी शंख +त्रिशूल निकाल लेते हैं ।
इसीलिए झल्ले की सलाह है के अपनी पतंग उड़ाओ+ जितनी उड़ा सको उड़ाओ मगर दूसरे की पतंग को काटने के लिए नहीं बल्कि
उसे चूमने के लिए।और हाँ दूसरों की उड़ती पतंग पर “जी” ललचा कर लंगड़ तो कभी मत डालो|और हाँ अंत में अगर किस करने का
शगुन पूरा करना लाजमी होतो भैया अपनी को ही किस करो