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“अकबर” शनिवार २६ अक्टूबर से पर्यटकों को अलवर की मनोरंजक सैर कराने के लिए तैयार है

“अकबर” शनिवार २६ अक्टूबर से पर्यटकों को अलवर की मनोरंजक सैर कराने के लिए तैयार है| भारतीय रेलवे की पुराने भाप इंजन से चलने वाली यह रेलगाड़ी यात्रियों को फिर अलवर की सैर कराने के लिए तैयार हो गई है |
‘अकबर’ नाम के पुराने भाप के इंजन से चलने वाली दो कोचों वाली पर्यटक रेलगाड़ी कल से यानि 26 अक्‍टूबर,2013 से वर्तमान सत्र में यात्रियों को पैकेज यात्रा पर दिल्‍ली से अलवर के बीच सैर कराने के लिए पूरी तरह तैयार है|भाप के इंजन वाली यह पर्यटक रेलगाड़ी यात्रियों को यात्रा पैकेज पर राजधानी दिल्‍ली के कैंट स्‍टेशन से शुरू होकर रेवाड़ी के रास्‍ते 138 किलोमीटर दूर अलवर के दर्शन कराएगी, जिसमें अलवर के पास सरिस्‍का राष्‍ट्रीय उद्यान भी शामिल है। अक्‍टूबर, 2013 से अप्रैल 2014 के बीच वाले वर्तमान सत्र में यह रेलगाड़ी 26 अक्‍टूबर, 2013 से अपनी यात्रा शुरू कर रही है जो प्रत्‍येक दूसरे और चौथे शनिवार को रवाना हुआ करेगी। 48 साल पुराना भाप का इंजन “अकबर” चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्‍स द्वारा निर्मित चालू हालत में आखिरी भाप का इंजन है। इस इंजन का नाम महान मुगल सम्राट अकबर के नाम पर रखा गया है। ब्रॉडगेज का यह इंजन इस शानदार पर्यटक रेलगाड़ी को 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाने में सक्षम है। काफी वर्षों की सेवा के पश्‍चात अकबर इंजन को अक्‍टूबर, 2012 में उत्‍तरी रेलवे की अमृतसर वर्कशॉप में ओवर हॉलिंग और मरम्‍मत के पश्‍चात इसे पूरी क्षमता के साथ कार्य करने लायक बनाया गया है।
अमृतसर वर्कशॉप भारतीय रेलवे की एकमात्र ऐसी वर्कशॉप है, जिसे भाप के इंजनों को पुन: तैयार कर सेवा लायक बनाने में महारत हासिल है। यह वर्कशॉप ऐसे इंजनों की समय-समय पर ओवर हॉलिंग करती रहती है।
अभी हाल ही में भारतीय धावक मिल्‍खा सिंह पर बनी ‘भाग मिल्‍खा भाग’ फिल्‍म में इस इंजन को दिखाया गया है। इसी के इंजन से मिल्खा सिंह अपने साथियों के साथ कोयला उठाया करते थे छुक‍-छुक करता, सीटी बजाता और समय-समय पर काला धुआं छोड़ती भाप के इंजन वाली यह रेलगाड़ी अतीत के उस नशे से सराबोर कर देती है जो एक समय रेल यात्रा का हिस्‍सा हुआ करता था। उत्‍तरी रेलवे का लोकामोटिव हैरिटेज शेड ऐसे भाप के इंजनों का ठिकाना है।