ऊनों[ Wool] के आयात के लिए अनापत्तिप्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता समाप्त होने से ऊन आयातकों की समस्या दूर हुर्इ
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री डॉ. के. एस. राव ने केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार से मुलाकात करके संगरोध (क्वारेनटाइन) के मुद्दे को लेकर पिछले तीन वर्षों से चली आ रही ऊन आयातकों की समस्या को दूर कर दिया है। इस संबंध में 18 जुलाई को पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन विभाग ने स्पष्टीकरण जारी करके कुछ खास किस्म की ऊनों के आयात के लिए अनापत्तिप्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इस संबंध में विभिन्न बंदरगाहों के संगरोध एवं प्रामाणीकरण विभागों को भी सूचित कर दिया गया है।
ऊन आयातकों के सामने संगरोध के मुद्दे को लेकर ऊन की कुछ किस्मों के आयात के मामले में पिछले तीन वर्ष से समस्याएं बनी हुई थी, जिस कारण वह ऊन आयात करके न तो वे उस ऊन का मूल्य संवर्द्धन कर पा रहे थे और न ही ऊन का निर्यात। संगरोध का मुद्दा आयातित उत्पादों के साफ-सुथरे और किटाणुविहीन होने से जुड़ा होता है। ऊन की जिन किस्मों को ”सेनिटरी इम्पोर्ट परमिट” (एसआईपी) की आवश्यकता से मुक्त किया गया है उनकी जानकारी कृषिमंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से ली जा सकती है।
डॉ. राव ने इस समस्या को अतिशीघ्र सुलझा देने के लिए श्री शरद पवार की सराहना की और कहा किइससे वांछित ऊन के आयात के बाद ऊनी परिधानों और ऊन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।