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एल के अडवाणी ने २ साल पहले इमरजेंसी पर फिल्मो की आवश्यकता बताई वोह अब शोधपरक धारावाहिक “प्रधानमंत्री” ने पूरी की

भाजपा के वयोवृद्ध नेता और पत्रकार एल के अडवाणी ने १९७५ की इमरजेंसी पर फिल्म नहीं बनने पर , दो वर्ष पूर्व , फिल्म निर्माण में जो व्याप्त शून्य की तरफ इंगित किया था वोह शून्य अब शोधपरक धारावाहिक प्रधानमंत्री के माध्यम से भरा जा सका है| इसके लिए अडवाणी ने टी वी चैनल और निर्माताओं को बधाई दी है और इस धारावाहिक की प्रशंसा भी की है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से:
1जनवरी, 2011 के अपने एक ब्लॉग में, मैंने ब्रिटिश शासन के विरुध्द चटगांव विद्रोह से जुड़ी प्रसिध्द फिल्म निर्माता आशुतोष गॉवरीकर द्वारा निर्मित हिन्दी फिल्म के बारे में लिखा था। फिल्म का नाम था खेलें हम जी जान से और यह दि टेलीग्राफ की मानिनी चटर्जी द्वारा लिखी गई अत्यन्त शोधपरक पुस्तक पर आधारित थी।
गॉवरीकर की दो पूर्व देशभक्तिपूर्ण फिल्में लगान और स्वदेश काफी लोकप्रिय रहीं। हालांकि इस ब्लॉग विशेष का जोर इस पर था कि ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के भारतीय संघर्ष पर तो कुछ फिल्में बनी हैं परन्तु हमारी अपनी भारत सरकार द्वारा 1975 में लोकतंत्र का गला घोंटने और कैसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लोगों ने आपातकाल के विरुध्द लड़ाई लड़ी तथा लोकतंत्र को समाप्त करने के शासकों के मसूबों पर पानी फेरा-को लेकर एक भी फिल्म नहीं बनी है।
आज के मेरे ब्लॉग का उद्देश्य एबीपी[ABP ] न्यूज को बधाई देना है कि न केवल उन्होंने उस शून्य को भरा है जो मैंने 2011 के ब्लॉग में इंगित किया था अपितु एक अत्यन्त शोधपरक धारावाहिक प्रधानमंत्री के माध्यम से आजादी के बाद से सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में दर्शकों को शिक्षित भी किया है।
अभी तक मैं लगभग आधा दर्जन एपिसोड-[१]ऑपरेशन ब्लू स्टार, [२]श्रीमती गांधी की हत्या,[३] भारत-पाक युध्द में लालबहादुर शास्त्री की विजय, [४]ताशकंद शिखर वार्ता और[६] ताशकंद में शास्त्रीजी की मृत्यु,
श्रीमती गांधी का आपातकाल, और 1977 के चुनावों में मोरारजी देसाई की विजय-से सम्बन्धित देख पाया हूं। मुझे ज्ञात हुआ कि इसका शोध, स्क्रिप्ट, सम्पादन, निर्देशन इत्यादि सभी चैनल के भीतर ही किया गया है। मैं अवश्य ही कहूंगा कि इसके प्रस्तोता शेखर कपूर के साथ यह धारावाहिक दिलचस्प और शिक्षित भी कर रहा है।
अभी तक इस धारावाहिक की 14 या 15 कड़ियां प्रसारित हो चुकी हैं। रात्रि (19 अक्तूबर) को दिखाई गई कड़ी में शाहबानो प्रकरण और न्यायालय द्वारा अयोध्या में रामजन्म भूमि के द्वार खोलने सम्बन्धी घटनाक्रम दिखाया गया।
धारावाहिक में कार्यक्रम प्रस्ताता ने प्रस्तुत किया कि कैसे सरकार ने बारी-बारी, पहले मुस्लिम वोट बैंक और फिर हिन्दू वोट बैंक को लुभाने की योजना रची।
इस धारावाहिक के निर्माताओं ने इसे यूटयूब पर डालकर बुध्दिमानी का काम किया है। मैंने व्यक्तिगत रुप से कोलकाता में अविक बाबू और दिल्ली में एमसीसी के ग्रुप एडीटर (जिसमें एबीपी न्यूज भी शामिल है) शाजी जमां को इस शानदार कार्यक्रम के लिए बधाई दी है।