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प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने प्रेस की आजादी के प्रति वचनबद्धता दोहराई

प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने आज प्रेस पर लगाम लगाने की तमाम अटकलों को दर किनार करते मीडिया की स्वतंत्रता को लोक तंत्र के लिए जरूरी बताया | उन्होंने कहा कि गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता का जवाब सेंसरशिप नहीं है और मीडिया का आत्मनियमन आज के समय में आवश्यक है। चौथे स्तम्भ के सदस्यों को मिलकर इसके उद्देश्यों को बढावा देने और सनसनी फैलाने पर रोक लगानी चाहिए। यह मीडिया के लिये आत्ममंथन का समय है कि वह किस प्रकार से देश, समाज की सेवा कर सकता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर अपने संदेश में सिंह ने कहा कि एक देश के रूप में हम मानते हैं कि मीडिया को बाहय नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही है कि कभी कभी गैर जिम्मेदार पत्रकारिता से सामाजिक सौहाद्र्र और व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है जिसे बनाये रखना लोक सेवकों की जिम्मेदारी है, लेकिन सेंसरशिप इसका जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दिनों से ही मीडिया सामाजिक बदलाव, पाठकों को उनके अधिकारों के बारे में बताने और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए जागरुकता फैलाने का काम करता रहा है।

प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह


राष्ट्रीय प्रेस दिवस प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है। भारतीय प्रेस परिषद ने इसी दिन 1956 में काम करना शुरू किया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रेस की आजादी के प्रति अपनी वचनबद्धता रेखांकित करते हुए कहा कि सेंसरशिप कोई जवाब नहीं है,प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर एक संदेश में मीडिया पर प्रतिबंधों की बात खारिज कर दी, लेकिन गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता के खतरों के प्रति आगाह भी किया।प्रधानमंत्री ने कहा, “एक देश के रूप में हम मीडिया को बाहरी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त रखने में विश्वास करते हैं