प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह अपने सुधारों का पिटारा लेकर जी-20 के सदस्य देशों को इन्वेस्टमेंट के लिए रिझाने रूस पहुँच गए हैं|
,आठवें जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के लिए प्रस्थान करने से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने विचार भी व्यक्त किये|
जी-20 वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय मंच के रूप में सामने आया है। इसका आठवां शिखर सम्मेलन वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रही लगातार चुनौतियों और कमजोरियों की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जाएगा। औद्योगिक देशों में विकास के उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं, लेकिन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का दौर भी है, जो महत्वूपर्ण पूंजी के बाह्यप्रवाह के प्रतिकूल प्रभाव का सामना कर रही है। मैं सेंट पीटर्सबर्ग में विकसित देशों द्वारा पिछले कुछ वर्षों से अपनाई जा रही गैर-परम्परागत मौद्रिक नीतियों से बाहर निकलने की आवश्यकता पर जोर दूंगा, ताकि विकासशील देशों की विकास संभावनाओं को नुकसान पहुंचने से रोका जा सके।
यह भी महत्वपूर्ण है कि जी-20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नीति समन्वय को इस तरीके से प्रोत्साहन और बढ़ावा देती है जिससे मजबूत आधार और सतत् वैश्विक आर्थिक सुधार और विकास प्राप्त किया जा सके। भारत ”मजबूत, सतत् और संतुलित विकास के ढांचे” पर कार्यकारी समूह के सह अध्यक्ष के रूप में अपने प्रयास में सक्रिय भागीदार रहा है। इस शिखर सम्मेलन में मैं एक बार फिर इस बात पर जोर दूंगा कि जी-20 को अपने विचार-विमर्श में रोजगार सृजन पर ध्यान केन्द्रित करने+ वैश्विक विकास को प्रोत्साहित करने के माध्यम के रूप में बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रोत्साहित करने +मध्यावधि में सतत् उच्च विकास के लिए विकासशील देशों में संभावनाओं का सृजन करने के लिए विकास आयाम की प्रधानता को सुनिश्चित करना चाहिए।
वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक शासन के संस्थानों में सुधार लाये जाने की भी तत्काल आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि रूसी प्रेजीडेंसी ने निवेश पहल के लिए नए वित्त पोषण के माध्यम से इस वर्ष जी-20 के एजेंडे में इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया है। मैं सेंटपीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन के दौरान इन मुद्दों पर रचनात्मक विचार-विमर्श और निर्णय लिए जाने के लिए तत्पर हॅूं।
उन्होंने कहा कि सेंटपीटर्सबर्ग वह स्थान भी है जहां ब्रिक्स विचारधारा ने जुलाई 2006 में जन्म लिया था। पिछले कई जी-20 शिखर सम्मेलनों के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया के अनुसार ब्रिक्स नेताओं की एक अनौपचारिक बैठक शिखर सम्मेलन के एजेंडे पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए जी-20 बैठक से हटकर आयोजित की जाएगी। इससे डरबन में 27 मार्च, 2013 को आयोजित पांचवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को लागू करने में हुई प्रगतिकी समीक्षा और वैश्विक गतिविधियों की समीक्षा करने का अवसर भी उपलब्ध होगा।
यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय पर आयोजित किया जा रहा है, जब हमने भारत में अनेक सुधार कार्यक्रम शुरू किए हैं और बृहद आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने, रुपए को स्थिर करने और निवेशकों में अनुकूल वातावरण का सृजन करने के लिए कदम उठाए गए हैं। इस समय आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिए एक स्थिर और सहायक बाहरी आर्थिक वातावरण तैयार करने की भी आवश्यकता है। इसलिए जी-20 शिखर सम्मेलन अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण तलाशने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो सभी देशों के लिए लाभदायक है।
मैं इस शिखर सम्मेलन से हटकर अन्य जी-20 नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों के लिए तत्पर हॅूं। ”
फोटो कैप्शन :प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह जी २० शिखर सम्मलेन में भाग लेने के लिए रूस के पुलकोवो एयर पोर्ट[ Pulkovo Airport, ] पर उतरते हुए ४ सितम्बर