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राज ठाकरे भस्मासुर हैं या कांग्रेस के संकट मौचक

मनसे प्रमुख ने राज ठाकरे द्वारा मुम्बई में ११ अगस्त को हुए दंगों को महाराष्ट्र बनाम बिहार बनाने का प्रयास किया जा रहा है इससे इन्हें कुछ लोग अपनी सुविधानुसार भस्मासुर तो कोई जरनैल सिंह भिंडरवाले की संज्ञा दे रहे हैं तो एक बड़ा तबका ठाकरे को कांग्रेस के लिए संकट मौचक के रूप में देख रहा है|
बिहार के लोगों को मुंबई से खदेड़ने के बयान पर अपनी राजनितिक छिचालेदर करवा चुके महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे अब अपना गुस्सा हिंदी मीडिया पर निकाल रहे हैं।
मीडिया पर हमला

मुम्बई में उन्होंने हिंदी मीडिया पर आरोप लगते हुए कहा कि हिंदी मीडिया उन्हें गलत तरीके से पेश कर रही है और उनके बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश कर रही है। उन्होंने हिंदी मीडिया को धमकी दी है कि यदि उन्होंने अपना खेल नहीं सुधारा तो वह मुंबई में उनका खेल बंद कर देंगे। इस बीच, राज की धमकी के मद्देनजर मीडिया चैनलों ने मुंबई में अपने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार से गुहार लगाई है। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने राज के बयान पर उन्हें सिरफिरा कहा है।

श्री ठाकरे ने रविवार को हिंदी चैनलों पर खुद को बदनाम करने का आरोप जड़ दिया। उन्होंने ऐसे

चैनलों को सीधी-सीधी धमकी दी की यदि उन्होंने अपना यह खेल बंद नहीं किया तो उन्हें उन चैनलों का खेल बंद करना पड़ेगा

मनसे कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे प्रमुख ने अंग्रेजी चैनलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें देश से कोई मतलब नहीं है।
ठाकरे पहले भी न्यूज चैनलों पर उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते रहे हैं।
उनका यह नया बयान उन पर इन दिनों हो रहे चौतरफा हमलों से उपजी खीझ माना जा रहा है। देश के सभी प्रमुख नेताओं ने राज के उस हालिया बयान की निंदा की थी
, जिसमें उन्होंने बिहारियों को घुसपैठिया बताकर महाराष्ट्र से खदेड़ने की धमकी दी थी। रियलिटी म्यूजिक शो ‘सुरक्षेत्र’ को लेकर दिग्गज गायिका आशा भोसले पर अपने बयान को भी राज ने सही ठहराया है। शो में पाकिस्तानी गायकों की मौजूदगी का विरोध कर रहे राज ने कहा, आशा भोसले को पता ही नहीं कि देश में क्या हो रहा है? राज के अनुसार पाकिस्तानियों का विरोध दो देशों के बीच का मुद्दा है। विरोध करने पर ही पाकिस्तान के रवैये में सुधार आएगा। राज ने
आशा भोंसले पर
इससे पहले कहा था कि

सिर्फ पैसों के लिए आशा भोसले ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं।

बिहार की प्रतिक्रिया
राज के बयान पर भड़के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे को लेकर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार पर खूब बरसे।

राज ठाकरे को सिरफिरा करार देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र अगर ऐसे तत्वों से नहीं निपट सकते, तो आतंकवाद से क्या मुकाबला करेंगे? लोकतांत्रिक समाज में क्या कोई इस तरह की बातें करता है? कांग्रेस पर हमें अचरज है। कांग्रेस सरकार ने महाराष्ट्र में शासन को आउटसोर्स कर

दिया है। नीतीश संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बंदरघुड़की से कोई डरने वाला नहीं है। चार टैक्सी या टेंपो वालों को पीटकर खुद उसका वीडियो बनाते हैं और टीवी चैनलों को प्रसारण के लिए देते हैं, ताकि लोगों में उनका डर बने। मैं ऐसे लोगों को मुंह नहीं लगाना चाहता। बिहार और उत्तर प्रदेश का ही नहीं, बल्कि कोई भी भारतवासी देश में कहीं जाना चाहे, उसे कोई नहीं रोक सकता। प्रधानमंत्री अभी खुद कई समस्याओं से घिरे हैं। जरूरत पड़ी तो इस मामले में उनसे भी मिलेंगे। बिहार में इस मामले पर सभी पार्टियां एकजुट हैं।
केंद्र सरकार दिल्ली के मुख्य सचिव
इस मुद्दे पर बिहार के लोगों का हौंसला बढाने के लिए स्वयम आर के सिंह को कैमरा के सामने आकर बिहारियों की सुरक्षा का आश्वासन देने पडा है|
पोलिस कार्यवाही
मुख्यमंत्री के मुताबिक पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकार है। लेकिन दूसरे राज्य में गिरफ्तारी करने से पहले स्थानीय पुलिस को सूचना देनी चाहिए। बिहार में बाहर की पुलिस द्वारा बिना सूचना दिए की गई कुछ गिरफ्तारियों की हमने गृह मंत्रालय से शिकायत की थी। गृह मंत्रालय ने स्थानीय पुलिस को सूचना देने संबंधी सर्कुलर जारी किया। इसके बावजूद महाराष्ट्र पुलिस ने बिहार से गलत तरीके से गिरफ्तारी की। यह कौन सा तरीका है, लोगों को ‘लिफ्ट’ कर लिया जाता है? इससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसा लगता है, उन्हें किडनैप किया जा रहा है। राज्य के डीजीपी ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति जतायी है। साफ कहा गया है कि आगे से बिना सूचना के गिरफ्तारी न हो। कांग्रेस सरकार इसका ख्याल रखे। विदित हो कि मुंबई के आजाद मैदान में शहीद स्मारक पर तोड़फोड़ करने वाले शख्स को पिछले दिनों महाराष्ट्र पुलिस ने बिहार से स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बगैर गिरफ्तार किया था।
शरद यादव ने भी राज ठाकरे के बयान पर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने कहा कि

राज ठाकरे कांग्रेस के हाथ की कठपुतली हैं

कांग्रेस महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन के खिलाफ मनसे प्रमुख राज ठाकरे का इस्तेमाल कर रही है।
इसके अलावा वर्तमान में घोटालों में घिरी केंद्र सरकार के तरफ से ध्यान बटाने के लिए राज ठाकरे का इस्तेमाल किये जाने के भी आरोप लग रहे हैं|
टीवी चैनलों ने की सुरक्षा के लिए गुहार
मनसे प्रमुख राज ठाकरे की धमकी को लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार करार देते हुए समाचार चैनलों ने महाराष्ट्र सरकार से सुरक्षा की गुहार लगाई है। ब्राडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन ने रविवार को एक बयान में कहा कि मुंबई में असामाजिकतत्वों से मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
बयान में कहा गया है, हमने राज ठाकरे की हिंदी समाचार चैनलों को दी गई धमकी को गंभीरता से लिया है। लोकतांत्रिक समाज में ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं हैं। ऐसी टिप्पणियां संविधान, कानून के शासन और समाज के प्रति उनके असम्मान को दर्शाती हैं।
व्यापक जनहित को देखते हुए केंद्र व महाराष्ट्र सरकार को इस संबंध में तत्काल कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए|
अब राज भस्मासुर हैं+कठपुतली हैं+सरफिरा हैं या फिर कांग्रेस के संकट मौचक यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा मगर फ़िलहाल ठाकरे के जो मुद्दे हैं लगभग बरसों पहले इन्ही के डी एन ऐ वाली शिव सेना भी उठाती रही है उनका आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है|जिस व्यापक तरीके से वहां लोगों का आना जारी है उससे स्थानीय नागरिक सुविधाओं का अभाव लाजमी है कमोबेश यही स्थिति दिल्ली में भी है|अब इन मूल भूत समस्यायों से आँखें मूँद कर कब तक इस बारूद के ढेर पर बैठा रहा जा सकता है|नेपाल के रास्ते बिहार या यूं पी और फिर महाराष्ट्र+ दिल्ली में प्रवेश बेहद आसान होगया है|असाम में तो हालात हाथ से निकलते दिखाई दे रहे हैं| म्यांमार में हिंसा को लेकर भारत के कई हिस्सों में हिंसा का होना और इस हिंसा के प्रति राजनीतिक संकीर्णता का भौंडा प्रदर्शन किसी भी द्रष्टि से देश हित में नहीं कहा जा सकता |
अगर देश से बाहर विदेशों पर नज़र डाली जाये तो अमेरिका+आस्ट्रेलिया+ब्रिटेन आदि में बाहर के नागरिकों के कारण असंतोष बढ़ता ही जा रहा है| यह असंतोष नस्ली हिंसा को बढावा दे रही है| मेरा मानना है की अगर कहीं कोई महामारी दिखाई दे रही है तब उससे बचाव के लिए उपाय किये जाने में कोई बुराई नहीं है |एक राज्य से दूसरे राज्य में रोज़गार की तलाश में जाने का हमारा पौराणिक चलन है और विका में असमानता के मध्य्नज़र आज इसकी बेहद जरुरत भी है|और जहां तक बात है जरनैल सिंह भिंडर वाले की तो ये भी कभी कांग्रेस के संकट मौचक हुआ करते थे मगर बहुत जल्द कांग्रेस के लिए ही भस्मासुर बन गए |इसीलिए अगर राज ठाकरे मौजूदा केंद्र सरकार की नज़र में संकट मौचक हैं तो एक संकट मौचक के भस्मासुर तक के सफ़र में पाजिटिव पालिटिक्स+समान विकास+ आंतरिक सुरक्षा के उचित और पर्याप्त उपाय के ब्रेकर्स लगाए जाने बेहद जरुरी हैं|