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“आप”अधपकी”दिल्ली”को मझदार में छोड़ कर देश की बागडोर थामने जा रहे हैं यानि आधी छोड़ पूरी को भाग रहे हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

“आप” चीयर लीडर

ओये झल्लेया अब तो हमें मुबारकां दे दे देख दिल्ली में हमने २८ सीटें जीत कर इतिहास बना दिया है |ठीक है, ठीक है बेशक हसाड़ी सरकार नहीं बन रही मगर ये भी समझ लो कि हमने किसी और की सरकार भी नहीं बनाने देनी है |इतनी बड़ी जीत के बावजूद ये कांग्रेसी और भाजपाई हमारी क्रांति को पानी का बुलबुला कह कर हमारी खिल्ली उड़ाने में लगे हैं लेकिन हमने भी ठान ली है अब लोक सभा के चुनावों में भी इन्हें नाकों चने चबवा देने हैं अगर ये लोग नहीं सुधरे तो भाजपाई अरुण जेटली +कांग्रेसी कथित युवराज[राहुल गांधी] के खिलाफ हसाडे हृदय युवा सम्राट[कुमार विशवास] को चुनाव लड़वा कर इनकी मिटटी पलीद कर देंगे

झल्ला

अरे मेरे भोले रत्न ,कुछ तो ढंग के यत्न कर साहित्यिक इतिहास पर भी नजर डालो और उसमे से यह निकाल कर पड़ो कि” अधजल गगरी छलकत जाये ” नहीं समझे तो भापा जी आधी रोटी छोड़ कर पूरी रोटी के चक्कर में भागने वाले को “इतिहास” ने कभी माफ़ नहीं किया और झल्लेविचारानुसार “वर्त्तमान” बेशक एक बारगी नजर अंदाज करदे मगर “भविष्य”अन्धकार मंय ही रहता है