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७२०० करोड़ रुपये की खैरात से चीनी मिल मालिकों की ही नाक कुछ समय के लिए उठी रह सकेगी

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

चिंतित भाजपाई

ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ?ओये चीनी के आयात पर नियंत्रण करने +गन्ना किसानो को उनके उत्पाद की उचित कीमत देने के बजाय केंद्र सरकार चीनी मिल मालिकों को उनके अपने कर्जे चुकाने के लिए ७२०० करोड़ रुपयों का कर्जा देगी और १२% सब्सिडी देकर कोई ब्याज भी नहीं वसूलेगी|मिल मालिकों पर इतनी उदारता दिखाने वाली सरकार किसानों को अधिक ऋण देने के लिए वित्तीय संस्थानों से आग्रह ही कर रही हैं

झल्ला

अरे सेठ जी वास्तव में ४०% जनता[कमजोर +गरीब] संस्थागत वित्त तक पहुँचने में असमर्थ है|दरअसल सरकारों का यह राजनीतिक धर्म रहा है कि मिडिल क्लास से टैक्स वसूलो और चुनावों से पहले सरमायेदारो में अंधा धुंध बांटो इस ७२०० करोड़ रुपये की खैरात से मिल मालिकों की ही नाक कुछ समय के लिए उठी रह सकेगी |किसानो को तो उनका अपना पुराना कर्जा ही अब वसूल हो जाये तो गनीमत होगी |