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निजी अस्पतालों में हो रहे सीजेरियन डिलीवरी के मामलों पर फिर संदेह का घेरा

[नयी दिल्ली] निजी अस्पतालों की भूमिका एक बार फिर संदेह के घेरे में आई|निजी अस्पतालों में हो रहे सीजेरियन डिलीवरी के मामलों पर फिर संदेह गहराया
निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी के मामलों की संख्या सरकारी संस्थानों से दोगुना ज्यादा दर्ज कराई गई है जिसके फलस्वरूप निजी अस्पतालों में हो रहे सीजेरियन डिलीवरी के मामले फिर संदेह के दायरे में आ गए हैं |पश्चिम बंगाल के निजी अस्पतालों में 74.7 % डिलीवरी के मामले सीजेरियन रहे
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का कहना है भारत भर में निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी के मामलों की संख्या सरकारी संस्थानों में होने वाली डिलीवरीज की संख्या के दोगुने से ज्यादा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16: के आंकड़ों के तहत 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कई राज्यों में तो निजी अस्पतालों और सरकारी केंद्रों में यह अंतर बहुत ज्यादा है।
शहरी त्रिपुरा के निजी अस्पतालों में 87.1 % शिशुओं का जन्म आपरेशन के जरिए हुआ जबकि सरकारी केंद्रों में सीजेरियन डिलीवरी के मामलों की संख्या कुल मामलों की 36.4 % थी। बिहार के सरकारी अस्पतालों में महज ५% डिलीवरी सीजेरियन विभाग में हुईं जबकि वहीं निजी अस्पतालों में यह प्रतिशत 37.1 रहा।
पश्चिम बंगाल के निजी अस्पतालों में 74.7 % डिलीवरी के मामले सीजेरियन रहे जबकि सरकारी केंद्रों में यह 28.1 % ही था