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गौरी नारायणी नमोस्तुते

आज देवी के आठवें स्वरुप में सर्व मंगलकारी माँ महागौरी के पूजन का विधान है| आज कन्यायों का पूजन किया जाता है|सौभाग्य+धन+सम्पदा+सौन्दर्य+स्त्री गुणों की अधिष्ठात्री माँ गौरी को अठारह गुणों का प्रतीक माना जाता है|इन्हें अष्टांग योग की अधिष्ठात्री भी कहा जाता है|लोक कथाओं के अनुसार माँ गौरी ने भगवान शिव को वर के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया जिससे उनकी काया काली पड़ गई उस समय भगवान शिव ने गंगाजल छिड़क कर माँ को महा गौरी का स्वरुप प्रदान किया|तभी से इन्हें महागौरी कहा जाता है

गौरी नारायणी नमोस्तुते

|माँ के इस स्वरुप को श्रृष्टि का आधार और महिलाओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है|

Comments

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