संत रहीम जी ने परमात्मा के मर्म को समझने के लिए मान सम्मान का लोभ और अहंकार का त्याग जरुरी बताया है
मान – सम्मान और अहंकार में डूबे रहे तो जीवन व्यर्थ है ।
राम नाम जान्यो नहीं , जान्यो सदा उपाधि ।
कहि रहीम तिहिं आपुनो , जनम गंवायो बादि ।
अर्थ :कवि रहीम कहते हैं कि मनुष्य ने जीवन भर परमात्मा के मर्म को नहीं समझा
और हमेशा मान – सम्मान तथा अहंकार को ही समझा । ऐसे व्यक्तियों ने व्यर्थ
के विवादों में फंसकर अपने जन्म को नष्ट कर लिया ।
भाव : जो व्यक्ति परमात्मा के रहस्य को अथवा उसकी शक्ति को न समझकर केवल
अपने मान – सम्मान और अहंकार में ही खोया रहता है , उसका जीवन इस
संसार में व्यर्थ है ।
संत रहीम जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना
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