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मेरी ईद

मेरे जीवन में ईद के बहुतेरे रंग हैं इनमेसे तीन रन आज साझा करना चाहता हूँ|
[१]बात उस वक्त की है जब मेरा बचपना था|हमारा संयुक्त परिवार था|दादा+दादी+पापा+मम्मी+के साथ दो चाचाओं के परिवार भी साथ ही थे|अल्लाह के फज़ल से अच्छा खासा खाता पीता परिवार था|
जब मुक़द्दस रमजान शुरू होते थे घर में हर तरफ चहल पहल रहते थी | सुबह के वक्त सहरी में चावल की खीर बना करती थी|रोजा आफ्तियारी में फलों +चने की चाट+पकौड़ी बना करती थी|

आज के दौर में खीर की जगह डबल रोटी और फैनी ने ले ली है|

बच्चे होने के नाते हमसे जुम्मा का रोजा रखाया जाता था|
रमजान पूरा होने पर चाँद का बेसब्री से इंतज़ार रहता था अगर चाँद नहीं दिखा तब मायूसी छाने लगती थी|
ईद पर मम्मी पापा मेरे लिए हमेशा नए कपडे ला कर देते थे|
नए कपड़ों में शान के साथ सभी पापा के साथ ईद गाह नमाज़ पड़ने जाते थे|इद्द पर बच्चों को ईदी के रूप में पैसे मिला करते हैं|सो जेबों में ईदी हुआ ही करती थी जिससे ईद की नमाज़ के बाद वहां चाट जरूर खाते थे और कुछ खिलोने भी लेते थे|घर आने के बाद मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता था शीर से उनका मुह मीठा कराया जाता था| वोह दिन आज भी यादों में समाये हुए हैं|
[२] अब बड़े हुए तो जिम्मेदारियां भी बढ गईं|फौज जाईन कर लीअक्सर घर से बाहर ही रहना होता था|जाहिर है ज्यादा तर ईद घर से बाहर ही होती थी|
एक बार में एक कोर्स करने गोवा गया था जहां शाम को रोज़े की वजह से छुट्टी रहती थी सुबह की पी टी परेड भी माफ़ थी|शाम को सभी मस्जिद में रोज़ा खोलते थे|ईद पर कमांडिंग आफिसर साहब ने ईद की पार्टी का आयोजन कराया जिसमे सभी आफिसर और जवान इकठ्ठा शरीक हुए|शीर के साथ सात्विक[वेज] तामसिक[नॉन वेज]हर तरीके का खाना था|वहां मुझे ईद के विषय में बताने को भी कहा गया सो मैंने ईद के विषय में सबको जानकारी दी सबन तालियाँ बजा कर स्वागत किया|
वोह ईद आज भी जहन में खुसबू की मानिंद बसी हुई है|यह शायद पहली मौका था जब घर की याद नहीं आई|
[३] नागालैंड में पोस्टिंग के मुझे फौज के किसी काम से दिल्ली भेजा गया लंबा सफ़र था ईद ट्रेन में ही आ गई| रात २ बजे घर पहुंचा पता चला की पापा पेशेंट होकर बेड पर हैं|मुझे अचानक देख कर बेहद खुश हुए और शीर भी पी|शायद उन्हें मेरा ही इंतज़ार था उसके बाद पापा अल्लाह को प्यारे हो गए|

शायद ये मेरे रोजों का सदका था जिन्होंने मुझे पापा के अंतिम दर्शन करा दिए और पापा को इत्मीनान से जन्नत जाने का मौका मिला|यह ईद मेरे पापा की मौत से जुडी है सो इसे भी भूलना मेरे लिए मुमकिन नहीं है|