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पोलिस शस्त्रागार में पड़े शस्त्र जंग खा रहे हैं तो बेचारे बावर्दी पोलिस कर्मी भी पिट रहे हैं

[मेरठ]

I P S K Satyanarayan Promoted as D I G

एक जमाना था जब पोलिस के आने की आहट से ही अपराधियों के क्या आम जनता के भी पसीने छूटने लगते थे और अब ये आलम है कि बावर्दी बेचारे बने हुए हैं और रोजाना पिट रहे हैं | उनके अपने शस्त्रागार उपेक्षित पड़े जंग खा रहे हैं| अपराध , जनाक्रोश का सामना करने के लिए पोलिस को सक्षम बनाने के तमाम दावे ४ जनवरी को उस समय धराशाई होगये जब बावर्दी पोलिस कर्मी के रसूख और शस्त्रागार की दो अलग अलग घटनाओं में पोल खुली |
पुलिस लाइन में एसएसपी से डी आई जी बने आई पी एस के. सत्यनारायण ने औचक निरीक्षण किया और पाया कि वज्र वाहन में जंग लग चुका है+ सुरक्षा हेलमेट + शस्त्रागार में आंसू गैस के गोले नाकाबिलेइस्तेमाल मिले
एक छोटी गाड़ी में जंग लगा मिला। सिपाहियों को दिए हेलमेट लापरवाही के साथ पवन मोबाइल में पड़े मिले। हेलमेट को जब्त कर संबंधित पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। गारद से सलामी लेने के बाद कप्तान शस्त्रागार में पहुंचे और हथियारों की जांच-पड़ताल की तो पाया कि आंसू गैस का गोला तीन साल पहले एक्सपायर हो चुका है। दरअसल यह बात कप्तान को तब पता चली जब उन्होंने एक गोले को चलाने की बात कही लेकिन वह लगातार दूसरी बार मिस हो गया। कप्तान ने जांच पड़ताल की तो वह एक्सपायर हो चुका था।

४ जनवरी को सिपाही अशोक उपाध्याय बेचारे सरे बाज़ार पिट गए |

अशोक उपाध्याय वर्तमान में हापुड़ रोड स्थित पीएसी 44वीं वाहिनी में तैनात बताया गया है| शुक्रवार दोपहर वह खंदक बाजार में खरीदारी करने आया था। इसी दौरान कुछ अन्य व्यापारियों ने उसे पकड़ लिया और उगाही करने का आरोप लगाते हुए पीटना शुरू कर दिया। व्यापारियों ने बताया कि पांच दिन पूर्व अशोक बाजार में कई दुकानों पर पहुंचा था। अशोक ने बताया कि वह पीएसी में दरोगा है और वर्तमान में उसकी ड्यूटी कोतवाली में है। आरोप है कि अशोक ने बाजार की दुकानों से कई चादरें और अन्य सामान डरा-धमकाकर मुफ्त में ले लिया। बाद में थाने में पता करने पर ज्ञात हुआ कि अशोक नाम का कोई दरोगा पीएसी से यहां नहीं आया है। शुक्रवार को जब अशोक दोबारा खंदक बाजार पहुंचा तो व्यापारियों ने उसे पकड़ लिया और पास की दुकान में बंधक बनाकर पिटाई की। सूचना मिलने पर फैंटम पुलिस मौके पर पहुंची और सिपाही को बचाने का प्रयास किया तो व्यापारी भड़क गए और सिपाहियों से धक्कामुक्की कर दी। करीब एक घंटे बाद थाना पुलिस की जीप मौके पर पहुंची और अशोक उपाध्याय को थाने ले आई। बाद में सीओ की मौजूदगी में थाने में व्यापारियों की बैठक हुई। मालूम हुआ है कि समझौता करा दिया गया यानि कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गई |
इन दोनों घटनाओ के परिपेक्ष्य में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि [१]बेशक शहर में अमन की ब्यार बह रहे है इसीलिए शस्त्रों कि आवश्यकता नहीं हुई मगर शस्त्रागार में रखे गए शस्त्रों की तो समय समय पर जांच किये जाने के नियम हैं और एक्सपायर होने पर उनकी रिपोर्ट तत्काल ऊपर के कार्यालय में भेजी जानी जरुरी है लेकिन तीन सालसे उपेक्षित पड़े एक्सपायर्ड पड़े आंसू गैस के गोले जवाब देही तो मंगाते ही हैं [२]और उधर खन्दक में उगाही अगर की जा रही थी तो उसकी सज़ा दोषी को तत्काल मिल ही गई मगर इन व्यापारियों से कोई ये तो पूछे कि भई तुमने किस दबाब या डर में उगाही देदी और फिर वर्दी पर हाथ उठाया फिर रिपोर्ट भी नही लिखी गई अर्थार्त कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है